बिहार हुआ बाढ़ से बेहाल राहत-बचाव के लिए सेना उतरी

पटना, नेपाल के मैदानी इलाके और सीमांचल में लगातार बारिश के कारण बिहार में बाढ़ ने विकराल रूप धारण कर लिया है। राज्य के पूर्णिया, किशनगंज, कटिहार, अररिया, दरभंगा समेत 18 जिलों में बाढ़ का पानी सड़कों पर आ गया है। इन जिलों के दूर-दराज के क्षेत्रों में हालात और भी खराब हो चुके हैं। राज्य सरकार ने स्थिति से निपटने के लिए सेना को उतार दिया है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण के बाद कहा कि वायुसेना के हेलिकॉप्टर से खाने के पैकेट गिराए जा रहे हैं। बाढ़ के कारण राज्य में करीब एक करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं।
नीतीश ने कहा कि राहत और बचाव कार्य जारी है। उन्होंने कहा, ‘कल (मंगलवार) को हम आपदा विभाग,सड़क निर्माण विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग के मुख्य सचिव और जिलाधिकारियों को स्थिति का जायजा लेने के लिए भेजेंगे।’ सीएम ने कहा कि राहत और भोजन शिविर भी बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘अभी हमने एक बैठक बुलाई है ताकि आगे की कार्रवाई का निर्देश दिया जा सके। एनडीआरएफ, एसडीआरएफकी टीमें सीतामढ़ी, मधुबनी और चंपारण में भेजी गई हैं। इसके अलावा सेना की टुकड़ियों को भी भेजा जाएगा।’ केंद्र ने भी बिहार को हरसंभव मदद देने का भरोसा दिलाया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने नीतीश से बात की है। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी नीतीश से बात कर बाढ़ की स्थिति पर चर्चा की। बिहार में राहत व बचाव कार्यों के लिए एनडीआरएफ के 320 कर्मी भेजे गए हैं। बिहार आपदा प्रबंधन विभाग ने निचले इलाकों में रह रहे लोगों को तुरंत ऊपरी इलाके में आने का निर्देश दिया है।
बिहार के अलावा यूपी और असम में भी बाढ़ का असर बढ़ता जा रहा है। बाढ़ की विभीषका के कारण पूर्वोत्तर का संपर्क देश के दूसरे हिस्सों से कट गया है। पूर्वोत्तर जाने वाली 30 से ज्यादा ट्रेनों रद्द कर दी गई हैं। बिहार-नेपाल बॉर्डर पर 72 घंटों से हो रही बारिश ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है, तो वहीं असम में भी बाढ़ ने आम जनजीवन के साथ-साथ काजीरंगा नैशनल पार्क के जानवरों की जिंदगी पर भी संकट ला दिया है। बताया जा रहा है कि लगभग तीन दशकों बाद काजीरंगा पार्क को ऐसी भयावह स्थिति देखनी पड़ रही है।

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