इलाहाबाद, केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा है कि सरकार ने तय कर लिया है कि 2019 के आते आते कानपुर की गंदगी को साफ कर और किसी भी कीमत पर उसे गंगा में नहीं जाने देंगे। गंगा की सफाई में कानपुर की टैनरीज को सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए उन्होंने कहा कि अगर किसी ने इसे सांप्रदायिकता का रंग देने की कोशिश की तो वह बड़ा पाप करेगा क्योंकि अगर हिंदू को पूजा करने के लिए गंगा जल चाहिए तो मौलवी को भी वुजू करने के लिए गंगा जल चाहिए। गंगा की गंदगी सबको प्रभावित करेगी।
इलाहाबाद में यमुना पार नैनी में आयोजित गंगा ग्राम सम्मेलन में उमा भारती ने कहा, कानपुर को ट्रीट करने की तैयारी हो रही है। गंगा का सबसे गंदा स्ट्रेच कानपुर है। विभिन्न बांधों के चलते गंगा का पानी इतना कम हो गया और कानपुर आते आते वह एक कमजोर और बीमार नदी में तब्दील हो गई है। इस पर सबसे बड़ा हमला टैनरीज, बूचड़खानों और चमड़ा उद्योग का हुआ है।
उन्होंने कहा, हमने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी के साथ एक कार्यबल बनाया है जो इस बारे में सिफारिश देने वाला है कि इन टैनरीज को यहां से स्थानांतरित किया जाए अथवा उनका शोधन किया जाए। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में गंगा के किनारे बसे 1011 गांवों को खुले में शौच से मुक्त घोषित करते हुए कहा कि प्रदेश के तीन जिलों बिजनौर, गाजियाबाद और हापुड़ को खुले में शौच से मुक्त करने का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है और 31 दिसंबर तक 30 जिलों को खुले में शौच से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा, हमें 1 करोड़ 91 लाख शौचालय ग्रामीण क्षेत्र में बनाने थे। अब तक हम 43 लाख शौचालयों का निर्माण करा चुके हैं। हमें 31 मार्च, 2018 तक 78 लाख नए शौचालयों का निर्माण करना है। अगले वर्ष जो शेष 70 लाख शौचालय बचेंगे उन्हें हम 2017-18 की योजना में पूरा करेंगे.. हमारा प्रयास होगा कि हम अक्तूबर, 2018 तक पूरे प्रदेश को खुले में शौच से मुक्त कर दें।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास, पंचायती राज एवं शहरी विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि पांच राज्यों में गंगा के किनारे बसे 4480 गांवों ने स्वयं को खुले में शौच से मुक्त किया है, यह हमारे लिए गर्व की बात है और जल्द ही इसका सत्यापन होने से यह काम पूर्ण हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि उमा भारती की इच्छा है कि गंगा के किनारे बसे गांव ओडीएफ ही नहीं, बल्कि ओडीएफ प्लस हों यानी उन गांवों में स्वच्छता, घाटों का निर्माण, वहां अन्य सुविधाएं मौजूद हों। इस दिशा में 24 गंगा ग्रामों की घोषणा की जा रही है। इन गांवों की मैपिंग करके वहां गंदे पानी को गंगा में जाने से रोकने की व्यवस्था की जाएगी।
तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत की जो पहल की है, उसके तहत समाज के सभी वर्ग जुड़कर दो अक्तूबर, 2019 तक देश को पूर्ण रूप से ओडीएफ बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।