नई दिल्ली, रक्षा मंत्रालय ने देशभर की 39 सैन्य फर्म को बंद करने का आदेश दिया है। इस फैसले के बाद सरकार के निर्णय पर सवाल उठाए जा रहे हैं। क्योंकि इन फर्म में जो गाय पाली जा रही हैं वो देश की सबसे अच्छी नस्ल की गाय हैं। ये गाय देशभर की अन्य गायों की तुलना में भी सबसे ज्यादा दूध देती हैं। वहीं गौशालओं में करीब 20 हजार गाय पाली जाती हैं,जिन्हें लावरिस होने का खतरा मड़रा रहा है, इसके अलावा इस फैसले से करीब 2,500 कर्मचारियों के रोजगार पर तलवार लटक गई है। गौरतलब है कि 20 जुलाई (2017) को कैबिनेट कमेटी ने आर्मी को निर्देश देते हुए कहा कि तीन महीने के भीतर इन गौशालाओं को बंद किया जाए। कमेटी ने आगे कहा कि सेना के जवानों के लिए दूध डेयरी से खरीदा जाए। समझा जा रहा है कि सेना को अब गौशालाएं रखने की जरूरी आवश्यकता नहीं है। सरकार के इस फैसले के पीछे वजह गौशालाओं में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले सामने आना भी माना जा रहा है। दूसरी तरफ विपक्ष सरकार के इस फैसले को निजी मिल्क और डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने के रूप में देखा जा रहा है।क्योंकि इसके बाद सेना का निजी मिल्क लेना होगा।
हालांकि ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ डिफेंस वर्कर ने इस पर चिंता जाहिर की है। क्योंकि गौशालाओं में काम रह रहे कर्मचारी अब बेरोजगार होने की कगार पर आ गए हैं। जानकारी के लिए बता दें कि इन सैन्य गौशालाओं की शुरुआत ब्रिटिश काल में हुई थी। सबसे पहली सैन्य गौशाला 1889 में इलाहबाद में खोली गई थी। वर्तमान सैन्य गौशालाएं अंबाला (हरियाणा), बैंगडुबी (नोर्थ बंगाल), झांसी, कानपुर, लखनऊ, मेरठ, पिमप्री (महाराष्ट्र), पानागढ़ (बंगाल) और रांची के साथ अन्य स्थानों पर हैं। फेडरेशन ने कहा कि सरकार के इस फैसले से अब भारत की सबसे अच्छी नस्ल की गायों के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। ये गाय सबसे ज्यादा दूध देती हैं। बता दें कि सरकार का फैसला ऐसे समय में आया है जब मोदी सरकार गायों की सुरक्षा को लेकर सवालों के घेरे में बनी हुई है। वहीं दूसरी तरफ आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने कहा कि हमें नहीं पता सैन्य गौशालाएं बंद होने के बाद इन गायों को क्या होगा। क्योंकि देश में दूसरी ऐसी कोई फर्म नहीं है जो जहां बीस हजार गायों को पाला जा सके।आने वाले दिनों में इस निर्णय पर भाजपा खुद ही अपने हिन्दुवादी संगठन के विरोध का सामना करना पड़ सकता है।