अशोकनगर,बसों में यात्रियों को सुरक्षा इंतजामों के साथ सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। यहां तक कि कई बसें बगैर शीशों के यात्रियें को सफर करा रहीं हैं। यात्री वाहनों में क्षमता से अधिक सवारियां बिठाई जा रहीं हैं। जिलेभर में ओवरलोडिंग के चलते यात्रियों की फजीहत आए दिन देखी जा रहीं है। सड़क परिवहन विभाग द्वारा बस ऑपरेटरों को संकट कालीन द्वार लगवाने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन उक्त आदेशों का पालन न करते हुए बस ऑपरेटरों द्वारा पूर्व की भांति मनमाने ढंग से बसों का संचालन किया जा रहा है। जिनमें यात्रियों को सुविधाओं के साथ बैठने की तक उचित व्यवस्था नही होती है। जिलेभर में 32 सीटर बस और 52 सीटर बसें संचालित हो रहीं हैं। जो हर रोज अशोकनगर जिले के अलावा सीमावर्ती जिलों में फेरे लगाकर यात्रियों को सफर कराती हैं।
क्या नियम, क्या निर्देश?
जिले में बसों के अलावा यात्रियों को यात्रा कराने में ऑटो, मैजिक वाहन भी संचालित हैं। ये वाहन पूरी तरह स्वयं के नियमों के मुताबिक चलते हैं। इन वाहनों के आने और जाने का न तो समय निर्धारित होता है और निर्धारित रूट होता है। हद तो तब हो जाती है जब यात्रियों को बैठाने के लिए ये वाहन क्षमता से कहीं अधिक यात्रियों को बिठाकर यात्रा करा रहे हैं। ऐसे वाहनों के संचालक परिवहन विभाग जैसे किसी भी नियमों की कोई परवाह नही करते हैं। यह वाहन जिला मुख्यालय से गुना रोड, आरोन रोड, मुंगावली रोड और ईसागढ़ रोड पर बिना रोक टोक के दौड़ रहे हैं।
ये हैं नियम:
परिवहन विभाग द्वारा यात्री वाहनों के संचालन के लिए जिन नियमों का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। उनमें यात्री बसों में आपातकालीन द्वार होना अनिवार्य। प्राथमिक चिकित्सा के लिये उचित व्यवस्थाएं बस के अंदर मेडीकल बॉक्स होना चाहिये। साथ ही बस स्टॉफ की निर्धारित गणवेश एवं उनके नाम व बैच नंबर सहित ड्यूटी के दौरान ड्रायवर, कंडक्टर यूनिफार्म पहनें होगें। बस में सीटों की आरक्षण व्यवस्था के तहत बुर्जुग, महिलाएं एवं जनप्रतिनिधियों के लिये आरक्षित होंगी। बस में यात्रा कर रहे प्रत्येक सवारी को ट्रवल्स एजेंसी या विभाग द्वारा जारी किये गये टिकिट दिये जाएगें। बस में सीटों की संख्या के बराबर ही यात्रियों को बैठाया जाएगा। तथा उक्त वाहनों की फिटनेस विभाग के नियमों व निर्धारित समय-सीमा के तहत कराना अनिवार्य है।
सड़कों पर दौड़ रहीं कंडम बसे:
जिला परिवहन विभाग द्वारा यात्रियों की सुरक्षा व सुविधा को प्राथमिकता देते हुए बस ऑपरेटरों को निर्देशित जरूर किया है। लेकिन संचालकों की मनमानी से मुसाफिरों को उचित इंतजामों के साथ व्यवस्थाएं नही मिल पा रही। तो वहीं कंडम हो चुकी बसें भी जुगाड़ तंत्र पर ओवर लोड यात्री भरकर दौड़ रहीं हैं। जिला मुख्यालय से चलने वाली अधिकांश बसें नियमों की अनदेखी कर संचालित हैं। जिन्हें बिना फिटनेस होने के बाद भी जोखिम भरे हालात में चलाया जा रहा है। तो वहीं बसों में पर्याप्त सुविधाएं व सुरक्षा इंतजाम ढूढ़ने पर भी दिखाई नही देते।