जानिये क्या आपकी राशि में हैं प्रशासनिक सेवा में जाने के योग?
सपने हर कोई देखता है और उन सपनों को पूरा करने के लिए जीतोड़ मेहनत करता है हालांकि किसी को यह पता नहीं होता कि उनका सपना पूरा होगा या नहीं। मेहनत तो हर कोई करता है लेकिन उन्हें अपना लक्ष्य हासिल होगा या नहीं, यह निश्चित नहीं होता। ज्योतिष के हिसाब से जानते हैं कि क्या आप प्रशासनिक अफसर बन पाएंगे या नहीं।
कौन से ग्रह व्यक्ति के अंदर प्रशासन में जाने की इच्छा पैदा करते हैं ?
व्यक्ति की कुंडली में सूर्य की प्रधानता हो तो व्यक्ति के अंदर प्रशासन की इच्छा बलवती होती है। मंगल का प्रभाव भी सेना या फ़ोर्स की इच्छा पैदा करता है। बृहस्पति का प्रबल होना भी शासन का गुण पैदा करता है. 1, 4, और 9 अंक वालों के अंदर शासन की काफी इच्छा देखी जाती है।
कब व्यक्ति प्रशासनिक सेवा में जाता है?
कुंडली में शनि का प्रभाव होना ही चाहिए
बुध की स्थिति भी बेहतर होनी चाहिए
इसके अलावा सूर्य या मंगल भी असरदार होने चाहिए
राहु या चन्द्रमा का गड़बड़ प्रभाव न हो
प्रशासनिक सेवा में जाने के लिए क्या उपाय करें?
नित्य प्रातः सूर्य को जल अर्पित करें
गायत्री मन्त्र का जप अवश्य करें
पूर्व दिशा की तरफ सर करके सोएं
सलाह लेकर एक माणिक्य या पन्ना धारण करें
रविवार को किसी धर्मस्थान जरूर जाएँ
प्रशासन में हों और काम में समस्या आ रही हो तो क्या उपाय करें ?
नित्य प्रातः सूर्य को जल अर्पित करें
सूर्य के समक्ष हनुमान चालीसा का पाठ करें
नियमित रूप से घडी लगाएं
लकड़ी के फर्नीचर का प्रयोग करें
सुबह घर से गुड़ खाकर निकलें
शनिवार शाम को पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
सपनों के पीछे ग्रह और राशियां भी होती हैं जिम्मेदार
आमतौर पर सभी को नींद में सपने आते हैं पर कई बार सपने डरावने व अलग हट के होते हैं जो हमें कई प्रकार के संकेत देते हैं।
सपने मन की एक विशेष अवस्था होते हैं, जिसमें वास्तविकता का आभास होता है। स्वप्न न तो जागृत अवस्था में आते हैं न तो निद्रा में बल्कि यह दोनों के बीच की तुरीयावस्था में आते हैं। सपनों के आने के पीछे खान-पान और बीमारियों की बड़ी भूमिका होती है। इसके पीछे ग्रह और राशियां भी जिम्मेदार होती हैं लेकिन हर सपने का कोई अर्थ नहीं होता है। ज्यादातर सपने निरर्थक होते हैं।
धर्म शास्त्र क्या कहते हैं
अलग-अलग घटनाओं के माध्यम से पुराणों में सपने का अर्थ बताया गया है।
रामचरित मानस में सपनों के बारे में विशेष चर्चा की गयी है।
इसके अलावा भगवान महावीर और गौतम बुद्ध के जन्म का सम्बन्ध भी सपनों से जोड़ा गया है।
शास्त्रों में सपनों के अलावा इसके प्रभाव से मुक्ति का रास्ता भी बताया गया है।
सपनों का हम पर कितना प्रभाव पड़ता है?
ज्यादातर सपने मन के विचार से या बीमारियों से पैदा होते हैं।
इस प्रकार के सपने वर्तमान या भविष्य पर कोई प्रभाव नहीं डालते या न्यूनतम प्रभाव डालते हैं।
कुछ सपने चेतावनी स्वरूप या सूचना स्वरूप होते हैं और यही स्वप्न दरअसल महत्वपूर्ण होते हैं।
ये सपने भविष्य के प्रति आपको आगाह करते हैं और शुभ-अशुभ घटनाओं को बताते हैं।
भोर में या अचानक दिखने वाले सपने आम तौर पर सत्य होते हैं।
अलग-अलग सपनों के अर्थ-
आकाश या हवा से सम्बन्ध रखने वाले स्वप्न बताते हैं कि आपका वात का संतुलन बिगड़ा हुआ है।
अगर पानी, झरना या नदी अर्थात जल से सम्बंधित सपने दिखाई दें तो समझ लीजिए आपका कफ तत्त्व गड़बड़ है।
अगर आग का सूर्य का या ज्वालामुखी का सपना दिखे तो बताता है कि आपका पित्त का संतुलन गड़बड़ है।
कमल का फूल, हाथी, बन्दर, हंस और गाय का स्वप्न बहुत शुभ माना जाता है।
स्वप्न में सांप का दिखना ये बताता है कि आपकी लापरवाही आपको मुश्किल में डाल सकती है।
अगर स्वप्न में किसी व्यक्ति की मृत्यु दिखाई दे तो समझना चाहिए कि उस व्यक्ति पर आया हुआ संकट टल गया है।
अगर स्वप्न में किसी व्यक्ति के साथ या अपने साथ कोई दुर्घटना होती हुई दिखे तो आपको सावधान हो जाना चाहिए।
अगर स्वप्न में किसी उत्सव या पार्टी का सपना देखें तो समझना चाहिए कि आप बीमार होने वाले हैं।
अगर स्वप्न में स्वयं को या किसी और को पूजा पाठ करते देखें तो समझना चाहिए कि आपको कोई बड़ा लाभ होने वाला है।
अगर धन, जेवर, गहने से सम्बंधित स्वप्न दिखें तो यह बीमारी का संकेत है। आप बीमार पड़ सकते हैं या नौकरी जा सकती है। अगर मंदिर या देवी देवताओं के स्वप्न दिखें तो यह संस्कारों के बारे में सूचना देते हैं कि आपके संस्कार कैसे हैं। अगर खाने पीने की चीज़ों के स्वप्न दिखें तो यह स्थान परिवर्तन का संकेत है। अगर सफ़ेद वस्तुओं का स्वप्न देखें तो यह आपके जीवन में पूरा बदलाव कर सकता है।
ज्योतिष उपायों से परीक्षा में मिलेंगे बेहतर परिणाम
कई बच्चों का मन पढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं लगता, कुछ को तो परीक्षा का भय घेरे रहता है। जिसकी वजह से उन्हें परीक्षा में बेहतर परिणाम प्राप्त नहीं होते ज्योतिष किस प्रकार पढ़ाई में आपकी सहायता कर सकता है आइए जानते हैं। सफलता के लिए आवश्यक है मेहनत और मेहनत तभी सफल होती है जब हम एकाग्र होकर कोई कार्य करें। यहां हम आपको बता रहे हैं ज्योतिष के कुछ ऐसे उपाय जो एकाग्रता बढ़ाने में सहायक होते हैं।
गुरुवार या रविवार को गायत्री हवन करें तथा पूर्व की ओर उन्मुख होकर उसमें इक्कीस बार आहुति दें।
कौड़ी को चांदी में जड़वाकर लाल धागे या चेन में डालकर बाजू या कलाई में धारण करें। बेहतर परिणाम के लिए इसे धारण करने से पहले ग्यारह दिनों तक गंगा जल में अपने इष्ट देवता के सामने रखें फिर धारण करें।
बुधवार के दिन हरे धागे में तांबे के तीन सिक्कों को गले में धारण करें।
भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करें, लाभ होगा।
शनिवार के दिन ज्वार को दूध में धो कर,उसे बहते पानी में प्रवाहित करें।
पढ़ाई में सुधार के लिए लगातार तीन गुरुवार को सूरज ढलने से पहले पांच विभिन्न प्रकार की मिठाइयों को कुछ हरी इलायची के साथ पीपल के पेड़ को अर्पण करें।
पढ़ाई में रुकावट या दिक्कत को कम करने के लिए बुधवार के दिन भगवान गणेश को हरे कपड़े में हरी साबुत मूंग की दाल, कुछ हरी घास के पत्तों तथा हरी इलायची के साथ अर्पित करें। यदि बच्चा ऐसा स्वयं नहीं कर पाए तो बच्चे का हाथ लगवाकर यह उपाय बच्चे के मां-बाप भी कर सकते हैं।
पढ़ाई में सुधार व बेहतरी के लिए लाल धागे में, दस मुखी रुद्राक्ष, गले या सीधे हाथ की बाजू में धारण करें।
परीक्षा या साक्षात्कार के दिनों में बेहतर परिणाम के लिए गले में चांदी की चेन में तांबे का एक चौकोर छोटा टुकड़ा धारण करें।
स्टडी टेबल के पास ‘सरस्वती यंत्र’ लगाएं या रखें।
अपने पढऩे या कार्य करने वाली टेबल पर हमेशा पानी का एक गिलास भर कर रखें। यह आपकी एकाग्रता को बढ़ाता है।
बादाम, मीठी सौंफ व कुंजा मिश्री बराबर मात्रा में पीस कर सफेद दखनी मिर्च का सम्पुट लगाकर प्रात: या रात्रि काल में दूध के साथ सेवन कराएं।
ऐसे बच्चों को माता-पिता एवं बड़ों के चरण छूकर आशीर्वाद लेकर परीक्षा में जाना चाहिए।
जिन बच्चों को परीक्षा के दौरान या उससे पहले भय का आभास अधिक होता हो तो एक चौकोर सफेद कागज पर मां का नाम लिखकर सिरहाने के बीच रख देना चाहिए।
परीक्षा वाले दिन बच्चे का हाथ लगवाकर एक देसी पान के पत्ते पर साबुत सुपारी, चार बताशे, चार छोटी इलायची एवं मिश्री रखकर मन्दिर में शिवलिंग पर चढ़ा दें। यह कार्य परिवार का कोई भी सदस्य कर सकता है।
परीक्षा के प्रथम दिन से अन्तिम दिन तक बच्चा जिस कक्षा में पढ़ता है उसमें 1 जोड़कर उतनी संख्या में बांसुरी एवं दोगुनी संख्या में टॉफियां छोटे बच्चों को देने से लाभ मिलता है।
पढ़ाई में रुकावट या दिक्कत को कम करने के लिए बुधवार के दिन भगवान गणेश को हरे कपड़े में हरी साबुत मूंग की दाल, कुछ हरी घास के पत्तों तथा हरी इलायची के साथ अर्पित करें।
यंत्र से मिलता है जीवन की समस्याओं का समाधान
हिन्दू धर्म के अनेक ग्रंथों में कई तरह के चक्रों और यंत्रों के बारे में विस्तार से उल्लेख किया गया है। जिनमें राम शलाका प्रश्नावली, हनुमान प्रश्नावली चक्र, नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र, श्रीगणेश प्रश्नावली चक्र आदि प्रमुख हैं। कहते हैं इन चक्रों और यंत्रों की सहायता से लोग अपने मन में उठ रहे सवालों, जीवन में आने वाली कठिनाइयों आदि का समाधान पा सकते हैं। इन चक्रों और यंत्रों की सहायता लेकर केवल आम आदमी ही नहीं बल्कि ज्योतिष और पुरोहित लोग भी सटीक भविष्यवाणियां तक कर देते हैं।
श्री राम शलाका प्रश्नावली
श्री राम शलाका प्रश्नावली का उल्लेख गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस में प्राप्त होता है। यह राम भक्ति पर आधारित है। इस प्रश्नावली का प्रयोग से लोग जीवन के अनेक प्रश्नों का जवाब पाते हैं। इस प्रश्नावली का प्रयोग के बारे कहा जाता है कि सबसे पहले भगवान श्रीराम का स्मरण करते हुए किसी सवाल को मन में अच्छी तरह सोच लिया जाता है।फिर शलाका चार्ट पर दिए गए किसी भी अक्षर पर आंख बंद कर उंगली रख दी जाती है। जिस अक्षर पर उंगली रखी जाती है, उसके अक्षर से प्रत्येक 9वें नम्बर के अक्षर को जोड़ कर एक चौपाई बनती है, जो प्रश्नकर्ता के प्रश्न का उत्तर होती है।
हनुमान प्रश्नावली चक्र
यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि हनुमानजी एक उच्च कोटि के ज्योतिषी भी थे। इसका कारण शायद यह हो सकता है कि वे शिव के ग्यारहवें अंशावतार थे, जिनसे ज्योतिष विद्या की उत्पत्ति हुई मानी जाती है। कहते हैं, हनुमानजी ने ज्योतिष प्रश्नावली के 40 चक्र बनाए हैं। यहां भी प्रश्नकर्ता आंख मूंद कर चक्र के नाम पर उंगली रखता है। अगर उंगली किसी लाइन पर रखी गई होती है, तो दोबारा उंगली रखी जाती है। फिर नाम के अनुसार शुभ-अशुभ फल का निराकरण किया जाता है। कहते हैं। रामायण काल के परम दुर्लभ यंत्रों में हनुमान चक्र श्रेष्ठ यंत्रों का सिरमौर है।
नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र
अनेक लोग, विशेष देवी दुर्गा के परम भक्त, यह मानते हैं कि नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र एक चमत्कारिक चक्र है, जिसे के माध्यम से कोई भी अपने जीवन की समस्त परेशानियों और मन के सवालों का संतोषजनक हल आसानी से पा सकते हैं। इस चक्र के उपयोग की विधि के लिए पहले पांच बार ऊँ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र का जप करना पड़ता फिर एक बार या देवी सर्वभूतेषु मातृरुपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: मंत्र का जप कर, आंखें बंद करके सवाल पूछा जाता है और देवी दुर्गा का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र पर उंगली घुमाते हुए रोक दिया जाता है, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है।
श्रीगणेश प्रश्नावली चक्र
हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान गणेश प्रथमपूज्य हैं। वे सभी मांगलिक कार्यों में सबसे पहले पूजे जाते हैं। उनकी पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। श्रीगणेश प्रश्नावली यंत्र के माध्यम से भी लोग अपने जीवन की सभी परेशानियों और सवालों के हल जानने की कोशिश करते हैं। जिसे भी अपने सवालों का जवाब या परेशानियों का हल जानना होता है, वे पहले पांच बार ऊँ नम: शिवाय: और फिर 11 बार ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जप करते हैं और फिर आंखें बंद करके अपना सवाल मन में रख भगवान गणेश का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र प्रश्नावली चक्र पर उंगली घुमाते हुए रोक देते हैं, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है।
शिव प्रश्नावली यंत्र
इस यंत्र में भगवान शिव के एक चित्र पर 1 से 7 तक अंक दिए गए होते हैं। श्रद्धालु अपनी आंख बंद करके पूरी आस्था और भक्ति के साथ शिवजी का ध्यान करते हैं और और मन ही मन ऊं नम: शिवाय: मंत्र का जाप कर उंगली को शिव यंत्र पर घुमाते हैं और फिर उंगली घुमाते हुए रोक देते हैं, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है1
इन प्रश्नावलियों और यंत्रों के अलावा अनेक लोग साईं प्रश्नावली का उपयोग भी अपने मन में उठ रहे सवालों का जवाब पाने के लिए करते हैं।
अंगूठा बता देता है आपके अंदर का राज
सभी को भविष्य में क्या छिपा है यह राज जानने की जिज्ञासा होती है। जन्मकुंडली के साथ ही हाथ की रेखाएं देखकर भी भविष्य के राज जाने जा सकते हैं। हस्तरेखा विज्ञान में अंगूठे को चरित्र का आइना कहा जाता है। आप इसे देखकर व्यक्ति के बारे में कई गुप्त बातें जान सकते हैं। व्यक्ति की आर्थिक स्थिति और रोगों सहित कई बातों का पता भी अंगूठे से लग जाता है।
लंबा अंगूठा
जिनका अंगूठा लंबा होता है वह बुद्धिमान और उदार होते हैं। ऐसे व्यक्ति शौकीन भी खूब होते हैं। अगर अंगूठा तर्जनी उंगली के दूसरे पोर तक पहुंच रहा है तो व्यक्ति नेक होता है और कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता।
छोटा अंगूठा
अंगूठा छोटा होना अच्छा नहीं माना जाता। ऐसे लोगों का उधार और कर्ज देने से बचना चाहिए क्योंकि पैसा डूबने का डर रहता है। इन्हें जीवन में कई बार हानि उठानी पड़ती और पारिवारिक जीवन में भी उथल-पुथल मचा रहता है।
अधिक चौड़ा अंगूठा
अगर अंगूठा अधिक चौड़ा हो तो व्यक्ति खर्चीले स्वभाव का होता है। ऐसे लोग अक्सर कोई न कोई बुरी लत अपना लेते हैं।
कम खुलने वाला अंगूठा
कम खुलने वाला अंगूठा हस्तरेखा विज्ञान में अच्छा नहीं माना गया है। ऐसे लोगों के हर काम में बाधा आती रहती है और सफलता देर से मिलती है। ऐसे लोग चाहकर भी कमाई के अनुसार बचत नहीं कर पाते हैं।
ऐसे लोग होते हैं शंकालु
अगर अंगूठा नीचे पतला और ऊपर मोटा और गोल हो तो ऐसा व्यक्ति शंकालु होते और इन्हे भी अपने काम में बाधाओं का सामना करना पड़ता है लेकिन हाथ भारी हो तो उन्नति करते हैं।
अंगूठा पतला और लंबा हो तो व्यक्ति शांत स्वभाव का होता है। ऐसे व्यक्ति अपने पर नियंत्रण रखने में कुशल होते हैं। इन्हें व्यवहारकुशल भी माना जाता है। ऐसे लोग भावुक भी खूब होते हैं।
लंबा पतला अंगूठा
ऐसे लोग जिनका अंगूठा ज्यादा खुलता है धनी होते हैं। अपने व्यक्तित्व के कारण इन्हें समाज में खूब सम्मान मिलता है।
सोया हुआ भाग्य जगा सकती है चांदी
चांदी एक चमकदार और सफेद धातु है जो कि हमारे जीवन में हर रोज इस्तेमाल होने वाली एक मुख्य धातु है। धार्मिक दृष्टि से चांदी को अत्यंत पवित्र और सात्विक धातु के रूप में भी माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस का उद्भव भगवान शिव शंकर के नेत्रों से हुआ था। चांदी ज्योतिष में चंद्रमा और शुक्र से संबंध रखती है। चांदी शरीर के जल तत्व तथा कफ धातु को नियंत्रित करती हैं। चांदी मध्य मूल्यवान होने के कारण ज्यादा प्रयोग की जाती है। इसलिए आम आदमी की जिंदगी में चांदी की बहुत ज्यादा महत्ता मानी जाती है। चांदी हमारा सोया हुआ भाग्य इस प्रकार जगा सकती है।
शरीर और ग्रहों पर असर डालती है चांदी
शुद्ध चांदी के प्रयोग से मन मजबूत होने के साथ-साथ दिमाग भी तेज हो जाता है। शुद्ध चांदी का प्रयोग पीड़ित चंद्रमा को बल देता है और चंद्रमा शुभ प्रभाव देना शुरू कर देता है। चांदी का प्रयोग करके शुक्र को बलवान किया जा सकता है। सही और शुद्ध मात्रा में चांदी का प्रयोग करके शरीर में जमा विष को बाहर निकाल सकते हैं और हमारी त्वचा कांतिवान बन जाती है।
कौन सी सावधानियां रखें
चांदी जितनी शुद्ध हो उतना ही अच्छा होगा। चांदी के साथ सोना मिश्रित करके विशेष दशाओं में ही पहन सकते हैं। चांदी के बर्तनों को हमेशा साफ़ करते रहें, तभी उनका प्रयोग करें। जिन लोगों को भावनात्मक समस्याएं ज्यादा हैं, उन्हें चांदी के प्रयोग में सावधानी रखनी चाहिए। कर्क, वृश्चिक और मीन राशि वालों के लिये चांदी हमेशा उत्तम है। मेष, सिंह और धनु राशि के लिए चांदी बहुत अनुकूल नहीं होती। बाकी राशियों के लिए चांदी के परिणाम सामान्य हैं।
चांदी के किस्मत चमकाने वाले उपाय
धन प्राप्ति
शुद्ध चांदी का छल्ला कनिष्ठा उंगली में धारण करना सर्वोत्तम माना जाता है, इससे अशुभ चंद्रमा शुभ प्रभाव देना शुरू कर देता है और मन का संतुलन बहुत अच्छा हो जाता है धन की प्राप्ति होती है।
यदि पापी ग्रहों से चन्द्रमा शुक्र पीड़ित हो
शुद्ध चांदी की चेन गंगाजल से शुद्ध करके गले मे धारण करने से वाणी शुद्ध हो जाती है और हमारे हारमोंस संतुलित होने लगते हैं तथा वाणी और मन एकाग्र रहते हैं।
बार-बार यदि बीमार होते हैं
शुद्ध चांदी का कड़ा चन्द्रमा के मंत्रों से अभिमंत्रित करके धारण करने से वात पित्त और कफ नियंत्रित होते हैं और हमारा शरीर स्वस्थ रहता है हम बहुत जल्दी-जल्दी बीमार नहीं पड़ते हैं।
दूर होगा मन का भटकाव, बढ़ेगी एकाग्रता
शनि बना सकते हैं धनी
शनि को न्याय के देवता के तौर पर जाना जाता है क्योंकि वह इंसान के कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। ऐसे में इंसान को दरिद्र या धनवान बनाना शनि देव के ही हाथ में है। अगर आप कुछ विशेष कर्मों पर ध्यान दें तो शनि स्वयं आपको धनी बना देंगे। आइए जानते हैं कि आखिर धन योग से शनि का क्या संबंध है।
शनि का धन से सम्बन्ध
शनि जीवन में हर प्रकार के शुभ-अशुभ कर्मों के कारक और फलदाता हैं। कर्मों के अनुसार आप धनवान होंगे या दरिद्र, ये शनि देव ही तय करते हैं। शनि की विशेष स्थितियों से धन की प्राप्ति सरल हो सकती है और कठिन भी। शनि की महादशा उन्नीस वर्ष तक चलती है। नकारात्मक प्रभाव होने पर शनि लम्बे समय तक धन के लिए कष्ट देते हैं। अगर शनि नकारात्मक हो तो साढ़े साती या ढैया में घोर दरिद्रता आती हैं। कुंडली में बेहतर योग होने के बावजूद अगर कर्म शुभ न हों तो शनि धन की खूब हानि करवाते हैं।
कुंडली में शनि की स्थिति से ही धन की स्थिति तय होती है। कभी शनि विशेष धन लाभ करवाते हैं तो कभी बेवजह पैसों का नुकसान भी करवाते हैं। इसलिए आर्थिक मजबूती के लिए कर्मों के साथ-साथ कुंडली में शनि की स्थिति पर भी ध्यान देना जरूरी है। तो आइए जानते हैं कि शनि कब पैसों का नुकसान करवाते हैं।
शनि कराते हैं धन हानि
शनि कुंडली के अशुभ भावों में हो तो धन हानि करवाते हैं।
शनि नीच राशि में हों या सूर्य के साथ हों तो भी धन हानि होती है। शनि की साढ़े साती या ढैया चल रही हो तब धन हानि होती है अगर बिना सलाह के नीलम रत्न धारण करने धन हानि होती है। इंसान का आचरण शुद्ध ना हो,बुजुर्गों का अनादर करता हो तब धन हानि होती है।
शनि कब बनाएंगे धनवान
शनि अनुकूल हों,तीसरे, छठे या एकादश भाव में हों तो धनी बनाते हैं। शनि उच्च के हों या अपने घर में हो तो धन लाभ देते हैं। शनि की महादशा, साढ़ेसाती, ढैया चल रही हो तो धन लाभ होता है। व्यक्ति का आचरण शुद्ध हो,आहार सात्विक हो धन लाभ कराते हैं। माता-पिता और बड़ों का आशीर्वाद हो तो धन लाभ होता है। व्यक्ति शिव जी,कृष्ण जी का भक्त हो तो शनि धन लाभ कराते हैं।
कैसे मनाएं शनि को
शनिवार को पहले पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
इसके बाद पीपल की कम से कम तीन बार परिक्रमा करें।
परिक्रमा के बाद शनिदेव के तांत्रिक मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
मंत्र होगा – “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः”।
फिर किसी निर्धन व्यक्ति को सिक्कों का दान करें।
चंद्र पर्वत का है जीवन में अहम स्थान
हमारे जीवन में हाथों की रेखाओं के साथ ही कई अन्य निशान भी होते हैं जिससे किसी के भी बारे में जाना जा सकता है। हाथ में चंद्र पर्वत बेहद महत्वपूर्ण और जीवन के बारे में बहुत कुछ बताने वाला होता है। यदि चंद्र पर्वत सामान्य विकसित हो तो जातक बहुत जल्दी सपनों की दुनिया में ही लाखों कमा लेते हैं। करोड़ो रूपये का हिसाब-किताब इनकी उंगलियों पर चलता है। हालांकि ये योजनाएं धरातल पर कम और काल्पनिक ज्यादा होती हैं। इसलिए कोई भी योजना ये पूरी नही कर पाते और ना ही इनके अंदर कोई कार्य करने का साहस होता है।इस तरह के जातक हद से ज्यादा भावुक होते हैं। किसी भी व्यक्ति की हल्की से बात इनको अंदर तक झकझोर देती है। इनको दूसरों की बातें बहुत जल्दी चुभती हैं। इनके अंदर साहस ना के बराबर होता है। ये लोग निराशा वादी होकर जल्दी पलायन कर जाते हैं।
यदि चंद्र पर्वत हथेल से बाहर निकल जाए तो ये जातक स्त्री के पीछे रहने वाले भोगी होते है। इन्हें जीवन में भोग और विलास से अलग कोई और कार्य नही सूझता। यदि चंद्र पर्वत पर आड़ी-टेड़ी रेखाएं हों तो जातक अपने जीवन में जल यात्रा करता है और यात्रा करने का बहुत ही ज्यादा शौकीन होता है। यदि चंद्र पर्वत गोल गिरा हो तो जातक राजनीति कार्य से विदेश यात्रा करता है। जिन जातकों का चंद्र पर्वत सामान्य रूप से उभरा हुवा हो तो जातक समझदार माना जाता है। यदि किसी जातक के हाथ में चंद्र पर्वत अधिक उभरा हुवा होता है तो वे जातक स्थिर, पागल, वहमी , निराश, रहने वाले होते है। इन्हें सरदर्द की शिकायत रहती है।
वहीं जिस व्यक्ति की हथेली पर स्थित हृदय रेखा हथेली के किनारे से निकलती है, तो ऐसा व्यक्ति कुण्ठा एवं निराशा से उत्पन्न होने वाले क्रोध में आदर्श की प्रवृत्ति रखता है। ऐसा व्यक्तियों को मनुष्यों की अपेक्षा मूर्तियों से ज्यादा प्रेम होता है। ऐसा व्यक्ति कभी भी मानवीय सीमाओं को मान्यता नहीं देता। ऐसा व्यक्ति सदा ही सच्चे एवं निर्दोष मित्र तथा अनुयाइयों की कामना रखता है।
ज्योतिष के अनुसान जिस व्यक्ति की हथेली पर स्थित हृदय रेखा छोटी होती है तो ऐसा व्यक्ति उदासीन, कठोर एवं अत्यधिक क्रूर प्रवृत्ति का होता है। किन्तु यदि हृदय रेखा लम्बी है तो यह सम्बंधित व्यक्ति के दयालु एवं स्नेही स्वभाव वाला होने की सूचक है। जिस व्यक्ति की हथेली पर स्थित हृदय रेखा गहरी बनी होती है ऐसा व्यक्ति गिने चुने मित्रों के प्रति गहरे स्नेह एवं आदर के भाव रखता है। किन्तु यही हृदय रेखा चौड़ी बनी हो तो सम्बंधित व्यक्ति के असंख्य लोगों के प्रति उमड़े प्रेम की कहानी कहती जिस व्यक्ति की हथेली पर स्थित हृदय रेखा जब हथेली को लम्बे मोड़ से काटती हुई जाती है, तो सम्बंधित व्यक्ति उत्साहपूर्ण एवं भावुक प्रवृत्ति वाला होता है। ऐसे व्यक्ति का हृदय सच्चा होता है एवं यह अच्छा साथी भी सिद्ध होता है। इस प्रकार की हृदय रेखा के स्वामी व्यक्ति प्रिय पुत्र, स्नेही मित्र एवं आज्ञाकारी बच्चे सिद्ध होते हैं।
ढैय्या और साढ़ेसाती के संकेत समझें
शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि शनिदेव का प्रभाव एक राशि पर ढाई या सात साल तक रहता है। इस वजह से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक पीड़ा उठानी पड़ सकती है।ज्योतिष के अनुसार, जब शनिदेव का प्रभाव राशि पर होता है तो वह आने से पहले कई संकेत देते हैं। उन संकेतों को ध्यान में रखकर आप सजग हो सकते हैं। आप उसके निवारण के लिए उपाय कर सकते हैं।
आप अपनी नौकरी से हाथ धो सकते हैं यानी आपको नौकरी से निकाला जा सकता है।
आप जो व्यवसाय या व्यापार कर रहे हैं, उसमें मंदी आ जाएगी।
बुरी लत या गलत संगत में पड़ सकते हैं।
आप झूठ बोलने लगते हैं, हर वक्त झूठ का सहारा लेने लगते हैं।
आप किसी कानूनी पचड़े में पड़ सकते हैं, कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं।
जमीन जायदाद संबंधी विवाद हो सकता है।
भाई बहन या परिवार के किसी सदस्य से विवाद हो सकता है।
आचरण हीन हो सकते हैं या अनैतिक कार्यों में लिप्त हो सकते हैं।
कर्ज के भंवर में फंस सकते हैं, उस कर्ज से मुक्त होने के रास्ते नहीं दिखेंगे।
इनके अलावा आप अपनी कुंडली से भी पता लगा सकते हैं कि आप पर शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती है या नहीं।
शनि पर्वत का है खास स्थान
हस्तारेखा से हर मनुष्य के बारे में काफी कुछ जाना जा सकता है। इसमें देखा गया है कि यदि शनि पर्वत पर त्रिकोण जैसी आकृति हो तो मनुष्य गुप्तविधाओं में रुचि, विज्ञान, अनुसंधान, ज्योतिष, तंत्र-मंत्र सम्मोहन आदि में गहन रुचि रखता है और इस विषय का ज्ञाता होता है। इस पर्वत पर मंदिर का चिन्ह भी हो तो मनुष्य प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पद तक पहुंचता है। यह चिन्ह राजयोग कारक माना जाता है। यह चिन्ह जिस किसी की हथेलियों के पर्वत पर उत्पन्न होते हैं, वह किसी भी उम्र में ही मनुष्य को लाखों-करोड़ों का स्वा मी बना देते हैं। यदि इस पर्वत पर त्रिशूल जैसी आकृतियां हो तो वह मनुष्य एका-एक सन्यासी बन जाता है। यह वैराग्य सूचक चिन्ह है। वहीं अगर शनि पर्वत अत्यधिक विकसित होता है तो मनुष्यन आत्म हत्याग तक कर लेता है। अगर यह पर्वत बहुत विकसित पाया जाता है और साधारणत: पीलापन लिए होता है तो हालात बेहद विपरीत होते हैं। इस प्रकार के लोगों की हथेली और चमडी भी पीली होती है और स्वएभाव में चिडचिड़ापन झलकता है। ऐस में मनुष्य अपराधी भी बन सकता है। यह पर्वत अनुकूल स्थिति में सुरक्षा, संपत्ति, प्रभाव, बल पद-प्रतिष्ठा और व्यवसाय प्रदान करता है, परंतु विपरीत गति होने पर इन समस्त सुख साधन नष्ट करके घोर कष्टदायक रूप धारण कर लेता है।
हथेली में ये निशान होते हैं शुभ
हथेली पर कई शुभ निशान बने होते हैं। ज्योतिष के अनुसार इन भाग्यशाली निशानों के बनने से व्यक्ति अपने जीवन में बहुत सफलता प्राप्त करता है। ये खास निशान व्यक्ति को धन लाभ का खास योग का निर्माण करता है। जिस किसी व्यक्ति की हथेली पर शनि पर्वत उठा हुआ होता है वह बहुत ही भाग्यशाली व्यक्ति माना जाता है। उसके जीवन में उसे धनलाभ होता है। मणिबंध से शुरू होकर अगर भाग्यरेखा सीधे शनि पर्वत पर जाकर मिलती हो तो ऐसा व्यक्ति बहुत धनवान और भाग्यशाली होता है। हथेली में किसी भी जगह पर त्रिशूल का चिन्ह बनता हो वह व्यक्ति भाग्य का धनी होता है। अगर त्रिशूल का निशान मंगल पर्वत के ऊपर बनता हो तो यह और भी शुभकारी हो जाता है। जिसका सीधा सा संकेत आपका धनवान, गुणवान और समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करने के अधिकारी होते हैं। स्वस्तिक का निशान काफी शुभ माना जाता है। जिसके हाथ में यह निशान बनता है उसके भाग्य में धन-सम्पदा का योग रहता है। जिनकी छोटी उंगली पर तिल का निशान होता है वह धन संपत्ति के मामले में भाग्यशाली होते हैं। बुध पर्वत सबसे छोटी उंगली के नीचे पर बना होता है।
रोटी भी बदल सकती है किस्मत
रोटी, कपड़ा और मकान यह इंसान की 3 सबसे पहली जरुरत है। रोटी के कुछ ऐसे उपाय हमें किताबों में मिलते हैं जो आश्चर्य में डाल देते हैं. आइए जानते हैं कुछ ऐसे टोटके रोटी के, जो हमारा नसीब भी बदल सकते हैं.
घर की रसोई में पहली रोटी सेंकने के बाद उसमें शुद्ध घी लगाकर चार टुकड़े कर लें और चारों टुकड़ों पर खीर अथवा चीनी या गुड़ रख लें। इसमें से एक को गाय को, दूसरे को कुत्ते को, तीसरे को कौवे को और चौथे को किसी भिखारी को दे दें। इस उपाय के तहत गाय को रोटी को खिलाने से पितृदोष दूर होगा, कुत्ते को रोटी खिलाने से शत्रुभय दूर होगा, कौवे को रोटी खिलाने से पितृदोष और कालसर्प दोष दूर होगा और अंतिम रोटी का टुकड़ा किसी गरीब या भूखे को भोजन के साथ खिलाने से आर्थिक कष्ट दूर होंगे और बिगड़े काम बनने लगेंगे।
यदि आपके जीवन में शनि पीड़ा है या फिर राहु-केतु की अड़चनें हो तो रोटी का यह उपाय आपके लिए रामबाण साबित हो सकता है। इन सभी ग्रहों की अशुभता को दूर करने के लिए रात के समय बनाई जाने वाली अंतिम रोटी पर सरसों का तेल लगाकर काले कुत्ते को खाने के लिए दें। यदि काला कुत्ता उपलब्ध न हो तो किसी भी कुत्ते के बच्चे को खिलाकर इस उपाय को कर सकते हैं.
हमारे यहां अतिथि को देवता के समान माना गया है फिर वह धनवान हो या फिर आम आदमी. यदि कोई निर्धन या भिखारी आपके घर के दरवाजे पर आए तो यथासंभव भोजन अवश्य कराएं। भोजन में भी रोटी जरूर खिलाएं या हाथ से परोसें।
यदि तमाम प्रयासों के बावजूद सफलता आपके हाथ नहीं लग रही है तो आप के लिए रोटी का यह उपाय वरदान साबित हो सकता है। रोटी और चीनी को मिलाकर छोटे-छोटे टुकड़े चीटियों के खाने के लिए उनके बिल के आस-पास डालें। इस उपाय से आपकी बाधाएं धीरे-धीरे दूर होने लगेंगी।
यदि आपके घर की शांति को किसी की नजर लग गई है और आए दिन लड़ाई झगड़ा होता रहता है तो आप रोटी से जुड़े चमत्कारी उपाय को जरूर अपनाकर देखें। दोपहर के समय जब आप अपनी रसोई में पहली रोटी सेंके तो उसे गाय के लिए और अंतिम रोटी कुत्ते के लिए जरूर निकाल लें। उसे भोजन से पूर्व गाय और कुत्ते को खिलाने का प्रयास करें। यदि यह न संभव हो तो बाद में उसे खिला दें।
अगर करियर में रुकावट है, नौकरी नहीं मिल रही है तो यह उपाय करें। कटोरदान की नीचे से तीसरे नंबर की रोटी लें, तेल की कटोरी में अपनी बीच वाली अंगुली और तर्जनी यानी पास वाली बड़ी अंगुली को एक साथ डुबोएं अब उस रोटी पर दोनों अंगुलियों से एक साथ लाइन खींचें। अब इस रोटी को बिना कुछ बोले दो रंग के कुत्ते को डाल दें। यह उपाय गुरुवार या रविवार को करेंगे तो करियर की हर बाधा दूर होगी।
माणिक्य पहनने से पहले रखें ये सावधानियां
रत्नों का हमारे मन और शरीर पर विशेष प्रभाव रहता है। इससे भाग्य भी बदल जाता है, इसलिए ग्रहों की समस्या होने पर रत्न पहनने की सलाह दी जाती है। रत्न पहनते समय इस बात का ध्यान रखें कि वह सही हो क्योंकि गलत रत्न के विपरीत प्रभाव पड़ते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माणिक्य रत्न सूर्य का प्रतिनिधित्व करता है। कहा जाता है कि जिस किसी की कुंडली में सूर्य शुभ प्रभाव में होता है उसे माणिक्य रत्न धारण करना चाहिए। इसे धारण करने से सूर्य की पीड़ा शांत होती है। यह रत्न व्यक्ति को मान-सम्मान, पद की प्राप्ति करवाने में भी सहायक है पर माणिक्य पहनने से पहले जान ले कि दोषयुक्त माणिक्य लाभ की अपेक्षा हानि ज्यादा करता है। इसलिए इसे पहनने से पहले रखें ये सावधानियां।
रत्न ज्योतिष के अनुसार जिस माणिक्य में आड़ी तिरछी रेखाएं या जाल जैसा दिखाई दे तो वह माणिक्य गृहस्थ जीवन को नष्ट करने वाला होता है।
जिस माणिक्य में दो से अधिक रंग दिखाई दें तो जान लीजिए कि यह माणिक्य आपकी लाइफ काफी परेशानियां ला सकता है।
कहा जाता है जिस माणिक्य में चमक नहीं होती ऐसा माणिक्य विपरीत फल देने वाला होता है। तो कभी भी बिना चमक वाला माणिक्य न पहने।
धुएं के रंग जैसा दिखने वाला माणिक्य अशुभ और हानिकारक माना जाता है। वहीं मटमैला माणिक्य भी अशुभ होता है। इसे खरीदने से पहले देख लें कि ये इस रंग का न हो।
नाखून भी बताते हैं भविष्य में आने वाली बीमारियां
यदि हाथ और नाखून पीले पड़ने लगें और नाखूनों पर धब्बे जैसे दिखने लगें, साथ ही बुध रेखा कटी-फटी दिखे तो ऐसे लोग आंतों की बीमारी से परेशान हो सकते हैं। यदि शनि के नीचे द्वीप का निशान दिखे तो रीढ़ की हड्डी की बीमारी हो सकती है।ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार अगर शनि क्षेत्र उच्च और रेखाओं से भरा हो, बुध, शनि रेखा लहरदार लंबी हो और अंगुलियों का बीच का हिस्सा लंबा होता है तो दांतों से जुड़े रोग हो सकते हैं। अगर मस्तिष्क रेखा के मंगल के पास वाले हिस्से पर सफेद दाग नजर आयें और दोनों हाथों में हृदय रेखा बीच से खंडित हो तो ये गुर्दे के रोगों की निशानी हो सकती है। अगर बुध रेखा पर काले निशान के साथ नक्षत्र और द्वीप के चिह्न दिखें तो ये पीलिया होने की ओर इशारा करते हैं।
अगर मस्तिष्क रेखा पर शनि क्षेत्र के नीचे के हिस्से में जंजीर जैसा निशान दिखे तो ये फेफड़े और गले के रोगों के बारे में संकेत देता है। हाथ के नाखून ऊंचे उठे हो और मस्तिष्क रेखा शनि पर्वत से बुध पर्वत तक पंखदार हो कर जाती है तो ऐसे व्यक्ति को टीबी होने का खतरा रहता है। हाथ की अंगुलिया नुकीली, मुड़ी हुई हों और पर्वत नीचे दबे हों या फिर नाखून लाल हों और उन पर चकते जैसे हों तो ये मिर्गी रोग के लक्षण हो सकते हैं। अगर हथेली में उच्च शनि पर्वत ढेर सारी रेखाओं के साथ हो, मस्तिष्क रेखा शनि पर्वत के नीचे खंडित हो जाए, स्वास्थ्य रेखा घिसी एवं छिन्न-भिन्न हो, साथ ही आयु रेखा को काटते हुए चंद्र पर्वत से रेखा निकल जाए तो पैरों और गठिया का रोग हो सकता है। चंद्र पर्वत पर नक्षत्र चिह्न हो और चंद्र पर्वत के नीचे का भाग उच्च एवं कई रेखाओं से कटा हुआ हो साथ ही उस पर भी नक्षत्र चिह्न हो तो व्यक्ति को जलोदर रोग हो सकता है।
अंगूठे से जाने स्वभाव
जिन लोगों के अंगूठे का पहला पोर लम्बा होता है। वे लोग आत्मविश्वास से भरे होते हैं। वे अपना मार्गदर्शन खुद करने के साथ ही काफी जागरुक रहते हैं। हालांकि हथेली से जुड़ा यह पोर कुछ ज्यादा ही लंबा है तो इसका मतलब है कि यह व्यक्ति कुछ अलग होगा। जिन लोगों का पहला पोर छोटा होता है वे लोग दूसरों पर निर्भर रहते हैं। वे हर काम दूसरों की सलाह से ही करते हैं। जिन लोगों का पहला पोर चौड़ाई में बना होता है वे जिद्दी होते हैं। इतना ही नहीं जिनके पहले पोर की बनावट समकोण में है वे बेहद शातिर हैं। वे दिमाग से काफी चालाक होते हैं।
यदि अंगूठे का दूसरा भाग लम्बाई में बना हो तो इसका मतलब है कि ये लोग काफी चालाक होंगे। ऐसे लोग सामाजिक कार्यों में सक्रिया रहते हैं। वे मिलनसार होते हैं। जिन लोगों के अंगूठे का ये दूसरा पोर छोटा होता है वे दिमाग से ज्यादा नहीं सोचते। इससे उन्हें कई बार धोखा और नुकसान मिलता है। जिन लोगों के अंगूठे का पोर थोड़ा अंदर की ओर दबा होता है वे काफी तेज होते हैं। वे हर बात को गंभीरता से लेते हैं।
अंगूठे का तीसरा पोर शुक्र पर्वत का स्थान माना जाता है। यदि यह पोर अच्छी तरह उभरने के साथ ही गुलाबी रंगत में है तो इसका मतलब है ऐसे लोग प्यार में है। जिन लोगों के पोर अधिक उभरा हुआ होता है। वे कामुक होते हैं हालांकि अगर ऐसे मौके पर उसकी लाइफ में कोई परेशानी भी आती है तो वह उन्हें झेल लेता है।
शनि के अशुभ प्रभाव से ऐसे बचें
जीवन में ग्रहों का प्रभाव पड़ता है और यह राजा को रंक जबकि रंक को राजा तक बना देते हैं। सनातन धर्म के अनुसार
सभी ग्रहों के पास अपनी एक ही दृष्टि होती है और उसे सातवीं दृष्टि कहा जाता है पर बृहस्पति, मंगल और शनि के पास अन्य दृष्टियां भी होती हैं। इन सभी ग्रहों में सबसे ज्यादा ताक़तवर और क्रूर दृष्टि शनि की मानी जाती है। इसके पास सातवीं दृस्टि के अलावा तीसरी और दसवीं दृष्टि भी होती है, जो की बेहद खतरनाक होती है। ये दृष्टि जिस ग्रह, भाव या व्यक्ति पर पड़ती है, तो उसका नाश भी कर सकती है। शनि की दृष्टि अलग-अलग ग्रहों पर पड़कर अलग-अलग दुष्परिणाम पैदा कर सकती है।
क्या उपाय करें
हर शनिवार के दिन लाल वस्त्र धारण करके हनुमान जी के समक्ष खड़े हों और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
रोज सायंकाल पश्चिम दिशा की ओर दीपक जलाकर शनि देव के मंत्र का जाप करें।
घर के छोटो और सहायकों के साथ अच्छा व्यवहार रखें।
नीले या आसमानी रंग का अधिक से अधिक प्रयोग करें।
शुभ परिणाम कब देती है
जब शनि अपनी राशि मकर या कुम्भ में हो या अपनी उच्च राशि तुला को देख रहा हो।
जब शनि मेष, कर्क या सिंह राशि में हो।
जब शनि पर बृहस्पति की दृष्टि हो।
जब शनि की दृष्टि लाभकारी हो तो व्यक्ति को धन और प्रशासन का वरदान मिलता है।
साथ ही व्यक्ति घर से दूर जाकर सफल होता है।
विष योग के नकारात्मक प्रभाव से बचने करें ये उपाय
कुछ योग जीवन में कष्टकारी रहते हैं और ऐसे समय में संयम और सावधानी की जरुरत होती है। चन्द्रमा और शनि साथ आ जाएं तो विष योग बन जाता है। यह विष योग 2 मार्च शनिवार दोपहर 12 बजे तक रहेगा। अभी शनि धनु राशि में हैं। चंद्रमा धनु राशि में आ गया है। चन्द्रमा और शनि साथ आ जाएं तो विष योग बन जाता है। यह विष योग 36 घंटे तक भारी रहता है। विष योग जीवन में सब कुछ विपरीत कर सकता है। पढ़ाई, परीक्षा, नौकरी-व्यापार और सेहत में इंसान की चाल बिगाड़ सकता है।
इसके नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए कुछ उपाय कर सकते हैं।
एक सूखा नारियल गोले में शक्कर भर कर पीपल के नीचे रखें।
शनिवार को शनि मंदिर में तेल चढ़ाएं।
सरसों तेल का दीपक जलाएं।
आठ राशियों पर विष योग का असर होगा।
आठ राशियों पर ख़तरा है। पढ़ाई, नौकरी-व्यापार पर ख़तरा आ सकता है। शत्रु या विरोधी परेशान कर सकते हैं। पैसे की तंगी होगी, क़र्ज़ में डूब सकते हैं। वृषभ राशि पर शनि की ढैया है। कन्या राशि पर शनि की चतुर्थ ढैया है। वृश्चिक, धनु और मकर राशि पर शनि की साढ़े साती चल रही है। मकर और कुम्भ राशि पर तो शनि ही हैं।
ये उपाय करें-
विष योग के बाद शनिवार से चने दान करे।
शनिवार काले तिल डालकर नहाएं।
किसी गरीब को भोजन कराएं।
दवाई खरीदकर गरीब को दें।
शनि चंद्र का विष योग, सेहत हो सकती है खराब।
बदलते मौसम में सेहत ख़राब हो सकती है। वायरल बुखार, सर्दी जुकाम से बचें, फोड़े-फुंसी, रोग से बचने के के लिए नीम या तुलसी या सहजन का सेवन करें। पांच दिनों तक इनकी ख़ास सब्ज़ी का सेवन करें। नीम की पत्तियों को बैंगन में डाल कर सब्ज़ी बना कर चावल के साथ सेवन करें।
हो सकते हैं ये नुकसान
परीक्षा ख़राब हो सकती है। धन की कमी हो सकती है, नौकरी व्यापार में अचानक कोई बड़ी मुसीबत आ सकती है। विष योग का उपाय करें। शनि मंदिर या पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाएं। चने या काली उड़द -चावल की खिचड़ी दान करें और शनि मंदिर में पूजा करते रहें। शनि मन्त्र का जाप करें – ॐ शनिश्चराय नमः।
उंगलियों की दूरी में भी छिपा है भविष्य
हाथ की रेखाओं के साथ आप उंगलियों से भी आप वर्तमान और भविष्य के बारे में जान सकते हैं। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार,हस्तरेखा में उंगलियों की लंबाई के साथ उनकी बनावट और उनके बीच की दूरी भी इंसान के बारे में बता सकती है। अंगुलियों के बीच का अंतर भविष्य में क्या छिपा है यह बता सकता है।
लक्ष्य को लेकर होते हैं काफी गंभीर
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, तर्जनी यानी अंगूठे के पास वाली उंगली और मध्यमा यानी मीडिल फिंगर के बीच में खाली जगह है तो उस व्यक्ति के विचार स्वतंत्र होते हैं। वह आसानी से हर बात को कह देता है। अंगुलियों के बीच की ज्यादा दूरी है तो वह काफी मतलबी हो सकते हैं। हालांकि इस तरह के लोग अपने लक्ष्य को लेकर काफी गंभीर होते हैं और इनकी मेहनत भी काफी रंग लाती भी है।
ऐसे लोग केवल अपने फायदे सोचते हैं
हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार, मध्यमा यानी मिडिल फिंगर और अनामिका यानी रिंग फिंगर के बीच में दूरी नहीं होनी चाहिए। इन दोनो अंगुलियों का पास-पास होना शुभ माना जाता है। अगर इनके बीच में खाली जगह हो तो ऐसा व्यक्ति काफी लापरवाह माना जाता है। यह केवल अपने बारे में सोचते हैं।
परिवार के लिए करते हैं सभी कार्य
अनामिका यानी रिंग फिंगर और कनिष्ठा यानी सबसे छोटी उंगली के बीच की खाली जगह अशुभ मानी जाती है। ऐसे व्यक्ति बहुत क्रोधी होते हैं। यह अपने हक के लिए किसी भी स्तर पर जा सकते हैं, फिर यह गलत और सही नहीं देख पाते। जिनकी खाली जगह होती है, वह काफी सकारात्मक सोचते हैं और अपने परिवार की शांति के लिए सभी कार्य करते हैं।
बड़े पदों पर काम करते हैं ऐसे लोग
अगर तर्जनी यानी अगूंठे के पास वाली उंगली अनामिका यानी रिंग फिंगर से छोटी होती है। तो ऐसे व्यक्ति में अहं भाव, सम्मान पाने की इच्छा बहुत होती है। यदि यह ऊंगली अनामिका से बड़ी हो तो व्यक्ति उत्तरदायित्व वाले पदों यानी बड़े पदों पर काम करता है। अगर यह सामान्य से छोटी हो तो व्यक्ति में महत्वाकांक्षा की कमी होती है।
गंभीर स्वभाव के होते हैं ऐसे व्यक्ति
हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार, यदि किसी भी उंगलियों में फासला नहीं है तो ऐसे व्यक्ति काफी गंभीर स्वभाव के होते हैं। ऐसे लोग किसी से ज्यादा बात नहीं करते हैं, हमेशा अपने आप में रहते हैं। जिनकी सभी उंगलियों में फासला होता है ऊर्जावान होते हैं। इन लोगों की सोच काफी सकारात्मक होती है।
पैसों की तंगी है तो करें ये उपाय
घर में आर्थक परेशानी है और मेहनत के बाद भी अगर आपको सफलता नहीं मिल पा रही है तो कहीं न कहीं आपके घर का वास्तु भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकता है। घर के वास्तु में बदलाव करने के लिए आपको कोई विशेष बदलाव की जरुरत नहीं है। सामान्य उपाय कर भी वास्तुदोष समाप्त किया जा सकता है।
घर में मंत्र का उच्चारण
घर में मंत्रोच्चारण से सकारात्मक उर्जा का आगमन होता है। घर में हल्की आवाज और मुधर ध्वनि के साथ आप ओम नमो भगवते वासुदेवाय के मंत्र का ऑडियो रोजाना सुबह लगाएं। निश्चित ही आपको चमत्कारिक लाभ देखने को मिलेगा।
सी पेंटिंग हो तो हटा दें
अगर आपके घर में कोई रोती हुई स्त्री या फिर उल्लू और चील की कोई पेंटिंग हो तो उसे तुरंत हटा दें। इस प्रकार की पेंटिंग घर में नकारात्मक ऊर्जा पैदा करती हैं।
प्रत्येक 3 वर्ष में करें ये उपाय
घर में सभी प्रकार के वास्तु दोष दूर करने के लिए आप प्रत्येक 3 वर्ष में कम से कम एक बार गणेश पूजा, नवग्रह शांति पूजा करा सकते हैं। इससे आपको अवश्य ही लाभ होगा।
घर में नमक रखें
घर से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा दूर करने के लिए अलग-अलग कोने में एक कटोरे में भरकर नमक रख सकते हैं।
नए साल में शुरू कर दें ऐसा
अगर आप चाहते हैं कि नए साल में आपका स्वास्थ्य अच्छा रहे तो अभी से योगा करना शुरू कर दें।
रसोईघर में न रखें इन्हें
रसोईघर में भूलकर भी दवाइयां या फिर मरीज से जुड़ा कोई भी सामान न रखें। ऐसा करने से बदकिस्मती और नकारात्मक उर्जा आ सकती है।
सकारात्मक उर्जा के लिए करें यह उपाय
घर में सकारात्मक उर्जा का संचार करने के लिए शीशे के गिलास में पानी भरकर और उसमें एक नींबू डालकर रखें। इससे घर में चारों ओर सकारात्मक उर्जा का संचार होगा।
मनी प्लांट लगाते समय रखें यह ध्यान
हर कोई मनी प्लांट अपने घर में लगाता है ताकि घर में आर्थिक रूप से संपन्नता हो और खुशहाली हो लेकिन क्या आप जानते हैं कि गलत दिशा में रखा गया मनी प्लांट आपको तबाह कर सकता है। आर्थिक रूप से कंगाल बना सकता है। तो अगर आप भी ये पौधा अपने घर में लगाना चाहते हैं, तो पहले इन बातों को जान लें। इसके मुताबिक ही घर में मनी प्लांट लगाएं। इससे आपको काफी लाभ होगा।
जब भी घर में ये पौधा लाएं तो ध्यान रखें कि इसे आग्नेय दिशा यानी कि दक्षिण-पूर्व में ही लगाएं। बता दें कि इस दिशा के देवता गणेश जी है जो कि अमंगल नाशक हैं और प्रतिनिधि ग्रह है शुक्र जो कि सुख और समृद्धि दायक है। इस तरह आपको आग्नेय दिशा में मनी प्लांट लगाने से फायदा ही फायदा होगा।
वहीं अगर आपने इसे किसी और दिशा में या फिर नकारात्मक कही जाने वाली ईशान दिशा यानी कि उत्तर- पूर्व में रख दिया तो आपको हानि ही हानि होगी। इसके पीछे कारण यह है कि बृहस्पति जो कि देवताओं के गुरु हैं और शुक्र राक्षसों के गुरु हैं। दोनों ही एक-दूसरे के शत्रु हैं ओर ईशान का प्रतिनिधि ग्रह बृहस्पति है।
ऐसे में जब भी आप इस दिशा में मनी प्लांट लगाते हैं तो आपको नुकसान ही नुकसान होगा। तो जब भी आपको घर में मनी प्लांट का पौधा लगाना हो, ध्यान रखें कि उसकी दिशा आग्नेय हो। इससे आपको धन संबंधी लाभ तो मिलेगा ही साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा।
हथेली की रेखाओं से जाने विवाहित जीवन कैसा रहेगा
हाथ ही रेखाएं बता देती हैं कि वैवाहिक जीवन में आपको सफलता मिलेगी या नहीं। या फिर जोड़ीदार के साथ कहीं आपके संबंध में बिखराब की नौबत तो नहीं आ जाएगी। हाथ में मौजूद इन रेखाओं और चिह्नों को देखकर आप भी शादीशुदा जीवन के बारे में जान सकते हैं।
कांटे का चिह्न हो तो रहे सावधान
यदि आपकी विवाह रेखा अंत में एक कांटे जैसे चिह्न पर समाप्त हो रही हो तो आपके रिलेशनशिप में कुछ समय बाद ब्रेकअप आ सकता है। इसके अलावा मंगल पर्वत से कोई रेखा निकलकर यदि भाग्य, मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा को काटते हुए बुध पर्वत पर जाकर समाप्त हो रही हो तो ऐसे लोगों के जीवन में तलाक या फिर ब्रेकअप का संकट बना रहता है।
अलगाव की नौबत
यदि शुक्र से कोई रेखा निकले और शनि पर्वत पर एक कांटे के चिह्न के रूप में समाप्त हो तो यह ब्रेक अप का संकेत है। ऐसे लोगों के जीवन में रिश्तेदारों के हस्तक्षेप से खासी समस्या पैदा हो सकती है। यदि ऐसी कोई रेखा शुक्र पर्वत पर तारे के चिह्न में से निकले तो ऐसे लोगों के रिलेशन में देर-सवेर अलगाव की नौबत आ जाती है।
काला तिल हो सकता है नुकसानदेह
यदि हाथ में कोई रेखा बुध पर्वत से शुरू होकर गुरु पर्वत से होते हुए मंगल पर्वत पर नीचे की ओर झुक जाती है और हाथ में अंगूठे के तल में कोई काला तिल हो तो यह स्पष्ट रूप से ब्रेक अप की ओर इशारा करता है। ऐसे लोगों के जीवन में जब वैवाहिक योग और रिलेशनशिप का वक्त आता है तो कोई न कोई अप्रिय घटना अवश्य होती है। ये लोग अपने संबंधों को अधिक दिन तक नहीं चला पाते।
छोटी उंगली की ओर जाए रेखा
यदि विवाह रेखा पर कोई द्वीप बने और कोई रेखा मंगल पर्वत से शुरू होकर भाग्य रेखा, मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा को काटते हुए बुध पर्वत की ओर जाए तो ऐसे लोगों के लिए अलगाव से बच पाना बहुत ही कठिन होता है। ऐसे लोगों को शत्रुओं और पीछे से वार करने वाले लोगों से भी सावधान रहने की आवश्यकता होती है।
कोई रेखा चंद्र पर्वत या फिर शुक्र पर्वत से निकले
हाथ में गुरु पर्वत पर क्रॉस का चिह्न जीवन में सुख और वैवाहिक जीवन में खुशी को दर्शाता है हालांकि कोई रेखा शुक्र पर्वत से निकलकर भाग्य रेखा को काटे तो ऐसे लोगों के जीवन में रिशतेदारों के हस्तक्षेप से संबंध विच्छेद की नौबत आ जाती है। इसी प्रकार से चंद्र पर्वत से कोई रेखा निकलकर भाग्य रेखा को काटे तो ऐसे व्यक्ति कभी अपने संबंधों में प्रतिबद्ध नहीं रह पाते।
इस मंत्र के जाप से तेजी से बढ़ेगा व्यवसाय
कारोबार की प्रगति भी कई बातों पर निर्भर करती है। कई बार देखने में आता है कि अच्छा खासा चलता हुआ कारोबार ठप्प पड़ जाता है। ऐसे में कुछ उपायों से इसे पहले जैसा किया जा सकता है।
देखने में आया है कि अगर व्यक्ति मेहनत करता है, परंतु उतना लाभ उसको नहीं मिलता तो वह निराशा में भर जाता है।
ऐसे निराश व्यक्ति भगवान पर भरोसा रखते हुए इस मंत्र का जाप करें। ईश्वर के आशीर्वाद से व्यापार में अत्यंत लाभ मिलेगा।
मंत्र : ॐ श्रीं श्रीं श्रीं परमाम् सिद्धिं श्री श्री श्रीं।
ध्यान रहे इस मंत्र को सिद्ध करने के लिए पूर्ण स्वच्छता का ध्यान रखें।
पूर्ण साफ मन से प्रदोष के दिन स्नान करके प्रभु शिव का ध्यान करते हुए पूर्ण निराहार होकर व्रत (उपवास) रखें। उस दिन अन्न न लें।
शाम को (गोधूली बेला में) शिवजी का पूजन करें एवं असगंध के फूल को घी में डुबाकर रख लें।
तीन माला जाप उपरोक्त मंत्र की करें। तत्पश्चात एक माला से मंत्र पढ़ते हुए हवन करें।
यह प्रयोग 11 प्रदोष तक लगातार करें। पूर्ण फल मिलेगा।
इसलिए चढ़ाए जाते हैं नारियल और नींबू
आदिकाल से ही दुनिया के लगभग सभी धर्मों में बलि देने की प्रथा मौजूद रही है हालांकि ईश्वर भाव का भूखा होता हैं। आजतक किसी ने भगवान को कभी किसी वस्तु का उपभोग करते हुए नहीं देखा है। भारत में भी कई जगहों पर देवी देवताओं को जानवरों की बलि दी जाती रही है। परन्तु क्या आप जानते हैं कि बलि क्यों दी जाती हैं? ऐसा नहीं है कि बलि देने से भगवान प्रसन्न होते हैं न ही भगवान उस बलि के जानवर का उपभोग करेंगे। इसका मूल कारण तंत्र में छिपा हुआ है। इस प्रथा को समझने के लिए सबसे पहले हमें तंत्रशक्ति का अध्ययन करना होगा क्योंकि बलि की शुरुआत तंत्र में ही हुई है। हर देवी-देवता के लिए अलग-अलग ध्वनियां विकसित की गई, उनके साथ कुछ विशेष विधि-विधानों को जोड़ा, उन्हें ऊर्जा से परिपूर्ण करने के लिए कुछ प्रयोग किए।
तंत्र के अनुसार एक ऊर्जा को दूसरी ऊर्जा को बदला जा सकता है और उससे मनमाना काम लिया जा सकता है। ऊर्जा आपको किसी से भी मिल सकती है, चाहे वो एक नींबू हो या जानवर। इनकी बलि देकर इनकी जीवन ऊर्जा को मुक्त कर दिया जाता है और फिर उसी ऊर्जा को नियंत्रित कर उससे मनचाहा कार्य किया जा सकता है। मां काली तथा भैरव के मंदिरों में दी जाने वाली बलि इसी का उदाहरण है। वहां जीवों की ऊर्जा को मुक्त कर उसे नियंत्रित किया जाता है और उससे तांत्रिक शक्तियॉ प्राप्त की जाती है। परन्तु इस तरह करने में सबसे बड़ी बाधा यह है कि जब तक आप बलि देते रहेंगे, आपकी ऊर्जा और शक्तियॉ बनी रहेंगी, जब भी बलि नहीं दी जाएगी, उनकी शक्तियॉ खत्म होनी आरंभ हो जाएगी और एक दिन वो आम आदमी की तरह बन जाएंगे। इसीलिए तांत्रिक अनुष्ठान करने वाले नियमित रूप से बलि देते हैं।
अघोर पर लिखी पुस्तक में भी एक ऐसा उदाहरण मिलता है जब एक तांत्रिक ने नरबलि देने के लिए कुछ आत्माओं को वश में किया और फिर मां काली को उनकी बलि चढ़ाई थी। यह भी ऊर्जा के परिवर्तन का ही एक उदाहरण है। इस प्रक्रिया से उन प्रेतात्माओं की मुक्ति का मार्ग भी खुलता है। मंदिरों में नारियल फोड़ना या नींबू की बलि देना भी इसी का एक उदाहरण है। नारियल और नींबू में मौजूद जीवनउर्जा को मुक्त कर उसे अपने देवता को समर्पित किया जाता है ताकि वो अन्य कार्यों में इस ऊर्जा का उपयोग कर सकें।
वास्तु दोष से नहीं मिलते हैं सही परिणाम
वास्तु दोष का प्रभाव न केवल पारिवारिक जीवन पर, बल्कि बच्चों की पढ़ाई पर भी होता है। वास्तु के प्रभाव से अध्ययन के लिए उचित या अनुचित वातावरण का निर्माण होता है। अक्सर यह देखा गया है कि जिस बच्चे के अध्ययन कक्ष में कोई भी वास्तु दोष होता है, उसकी पढ़ाई में बाधाएं आने लगती हैं। वह काफी मेहनत करे तो भी उसे मनोनुकूल परिणाम नहीं मिलता। आखिर इसकी क्या वजह है? वास्तु के अनुसार, इसके अनेक कारण हो सकते हैं। आप भी जानिए ऐसे ही कुछ खास उपायों के बारे में जिनसे आपका बच्चा भी पढ़ाई में तेज हो जाएगा। – पढ़ाई के कमरे का रंग बच्चे के मन को बहुत प्रभावित करता है। कमरे की दीवारों का रंग बहुत गहरा, भड़कीला और लाल, काला, नीला आदि नहीं होना चाहिए। इसी प्रकार जिस टेबल पर बच्चा पढ़ाई करे, उस पर अनावश्यक वस्तुएं नहीं होनी चाहिए। बहुत पुरानी किताबें, टूटे और खराब पेन, खाली दवात, रबर के टुकड़े आदि नहीं होने चाहिए। – अध्ययन कक्ष में प्रकाश की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। जहां तक संभव हो, पढ़ते समय बच्चे का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। जहां बैठकर पढ़ाई करे, वहां से बाईं ओर प्रकाश आना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि रोशनी बहुत तेज या धुंधली न हो। इससे बच्चे की आंखें कमजोर हो सकती हैं या सरदर्द की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। कमरे में सामान बिखरा हुआ न हो। हर चीज सलीके से और सही जगह रखी होनी चाहिए। कमरे में कचरा, बहुत ज्यादा जूते-चप्पल, बिखरा हुआ खेल का सामान, मैले कपड़े नहीं होने चाहिए। कमरे में बहुत ज्यादा खिड़की-दरवाजे भी ठीक नहीं होते। खासतौर पर पढ़ते वक्त बच्चे का ध्यान खिड़की की ओर न जाए। ऐसी स्थिति में खिड़की पर पर्दा लगा देना चाहिए। याद रखें, यह कक्ष सिर्फ अध्ययन के लिए है। अत: यहां सिर्फ पढ़ाई होनी चाहिए।
सपनों के पीछे ग्रह और राशियां भी होती हैं जिम्मेदार
आमतौर पर सभी को नींद में सपने आते हैं पर कई बार सपने डरावने व अलग हट के होते हैं जो हमें कई प्रकार के संकेत देते हैं।
सपने मन की एक विशेष अवस्था होते हैं, जिसमें वास्तविकता का आभास होता है। स्वप्न न तो जागृत अवस्था में आते हैं न तो निद्रा में बल्कि यह दोनों के बीच की तुरीयावस्था में आते हैं। सपनों के आने के पीछे खान-पान और बीमारियों की बड़ी भूमिका होती है। इसके पीछे ग्रह और राशियां भी जिम्मेदार होती हैं लेकिन हर सपने का कोई अर्थ नहीं होता है। ज्यादातर सपने निरर्थक होते हैं।
धर्म शास्त्र क्या कहते हैं
अलग-अलग घटनाओं के माध्यम से पुराणों में सपने का अर्थ बताया गया है।
रामचरित मानस में सपनों के बारे में विशेष चर्चा की गयी है।
इसके अलावा भगवान महावीर और गौतम बुद्ध के जन्म का सम्बन्ध भी सपनों से जोड़ा गया है।
शास्त्रों में सपनों के अलावा इसके प्रभाव से मुक्ति का रास्ता भी बताया गया है।
सपनों का हम पर कितना प्रभाव पड़ता है?
ज्यादातर सपने मन के विचार से या बीमारियों से पैदा होते हैं।
इस प्रकार के सपने वर्तमान या भविष्य पर कोई प्रभाव नहीं डालते या न्यूनतम प्रभाव डालते हैं।
कुछ सपने चेतावनी स्वरूप या सूचना स्वरूप होते हैं और यही स्वप्न दरअसल महत्वपूर्ण होते हैं।
ये सपने भविष्य के प्रति आपको आगाह करते हैं और शुभ-अशुभ घटनाओं को बताते हैं।
भोर में या अचानक दिखने वाले सपने आम तौर पर सत्य होते हैं।
अलग-अलग सपनों के अर्थ-
आकाश या हवा से सम्बन्ध रखने वाले स्वप्न बताते हैं कि आपका वात का संतुलन बिगड़ा हुआ है।
अगर पानी, झरना या नदी अर्थात जल से सम्बंधित सपने दिखाई दें तो समझ लीजिए आपका कफ तत्त्व गड़बड़ है।
अगर आग का सूर्य का या ज्वालामुखी का सपना दिखे तो बताता है कि आपका पित्त का संतुलन गड़बड़ है।
कमल का फूल, हाथी, बन्दर, हंस और गाय का स्वप्न बहुत शुभ माना जाता है।
स्वप्न में सांप का दिखना ये बताता है कि आपकी लापरवाही आपको मुश्किल में डाल सकती है।
अगर स्वप्न में किसी व्यक्ति की मृत्यु दिखाई दे तो समझना चाहिए कि उस व्यक्ति पर आया हुआ संकट टल गया है।
अगर स्वप्न में किसी व्यक्ति के साथ या अपने साथ कोई दुर्घटना होती हुई दिखे तो आपको सावधान हो जाना चाहिए।
अगर स्वप्न में किसी उत्सव या पार्टी का सपना देखें तो समझना चाहिए कि आप बीमार होने वाले हैं।
अगर स्वप्न में स्वयं को या किसी और को पूजा पाठ करते देखें तो समझना चाहिए कि आपको कोई बड़ा लाभ होने वाला है।
अगर धन, जेवर, गहने से सम्बंधित स्वप्न दिखें तो यह बीमारी का संकेत है। आप बीमार पड़ सकते हैं या नौकरी जा सकती है। अगर मंदिर या देवी देवताओं के स्वप्न दिखें तो यह संस्कारों के बारे में सूचना देते हैं कि आपके संस्कार कैसे हैं। अगर खाने पीने की चीज़ों के स्वप्न दिखें तो यह स्थान परिवर्तन का संकेत है। अगर सफ़ेद वस्तुओं का स्वप्न देखें तो यह आपके जीवन में पूरा बदलाव कर सकता है।
शनि दोष का पता ऐसे करें
शनि आपके लिए शुभ फलदाता हैं या अशुभ यह इस प्रकार जानें। जिन लोगों से शनि कुपित होते हैं, उन्हें वायु से संबंधित रोग अधिक होते हैं। इसके अलावा हड्डियों से जुड़ी समस्या होती है उनके काम बिगड़ने लगते हैं। छोटी-छोटी बात पर क्रोध आता है और क्रोधवश उनकी वाणी से कार्य और बिगड़ने लगते हैं। पुराने रिश्ते खराब हो जाते हैं। पारिवारिक कष्ट से सामना होता है।
ज्योतिष के अनुसार ऐसे लोगों को कद्दू, कटहल, अरबी और बैंगन नहीं खाना चाहिए। ये सब्जियां शरीर में वायु बढ़ाकर वात दोष देती हैं। उपाय स्वरूप ऐसे लोग मन को शांत रखने का प्रयास करें। क्रोध से बचें। ध्यान और प्राणायाम रामबाण की तरह मददगार हैं।ज्योतिष कहता है कि लोगों से, खास कर घर की स्त्रियों से कटु वचन बोलनेवाले, दुष्टों की संगत करनेवाले, मांस-मदिरा का सेवन करनेवाले लोगों को शनि अशुभ फल देते हैं। नित्य चांदी के गिलास में जल पीने व चमड़े से बनी वस्तुओं का दान करने से शनि शांत होते हैं।
सपने के इन संकेतों को न करें नजरअंदाज
मान्यता है कि किसी भी प्राकृतिक आपदा के अंदेशा मनुष्यों के मुकाबले जानवरों और पक्षियों को पहले हो जाता है। आपने भी कभी न कभी ये अवश्य महसूस किया होगा कि किसी भी प्राकृतिक आपदा के आने से पहले पालतू पशुओं, पक्षियों और मछलियों के व्यवहार में बदलाव आ जाता है।
बिल्ली : अगर आप कहीं जा रहें हैं या किसी नए काम की शुरुआत करने वाले हैं और आपको बिल्ली दिख जाए तो आप को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
भेड़िया : अगर आपको भेड़िया दिखता है या फिर भेड़िये के सपने आते हैं तो सावधान हो जाइए आपका कोई करीबी आपको धोखा देने की सोच रहा है। आपको अपने आस पास के लोगों से सतर्क रहने की आवश्यकता है।
लोमड़ी : लोमड़ी को एक चतुर जानवर माना गया है अगर आपको बार बार लोमड़ी दिख रही है या उसके स्वप्न आ रहे हैं तो आपको अपने सोचने और काम करने का ढंग बदलना चाहिए। चीजों को दूसरे दृष्टिकोण से देखने पर आपको सफलता प्राप्त हो सकती है।
साँप : बार बार साँप का दिखना या सपना में आना एक शुभ संकेत है ये दर्शाता है कि अपने जीवन को एक नए सिरे से प्रारंभ करने का यह उपयुक्त समय है। साथ ही सारी कठिनाइयों और रुकावटों का खात्मा जल्द ही होने वाला है आप जल्द ही शिखर पर पहुंचने वाले हैं।
छिपकली : बार बार छिपकली का दिखना यह दर्शाता है कि आपको अपने उद्देश्यों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। साथ ही अपने मनोबल को भी ऊंचा रखने का समय है।
तितली : तितली की सुंदरता को देख कर हर कोई लालायित हो उठता है तितली जितनी सुंदर होती है उतना ही सुंदर संदेश भी देती है। तितली दिखने का मतलब है कि छोटी छोटी बातों को दिल से लगाना बंद कर दें।
मकड़ी : मकड़ी का बार बार दिखना कहता है कि आपको आध्यात्मिक मजबूती की आवश्यकता है।
उल्लू : उल्लू का बार बार दिखना या स्वप्न में आना यह बताता है कि आपको अपने मन की सुननी चाहिए। अपने मन की सुनकर आप सभी कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं।
चील : चील भी आध्यात्म का प्रतीक है यह बताता है कि आप आध्यात्म के मार्ग पर सही जा रहे हैं। साथ ही आपको ज्ञान की प्राप्ति होने वाली है।
जंगली कौवा : जंगली कौवे को अशुभ माना जाता है| उसका दिखाई देना भी अशुभ संकेत ही देता है इसका बार बार दिखना या स्वप्न में आना आपको अपने जीवन में आने वाली बुरी शक्तियों केअति सचेत करता है|
हथेली के निशान भी होते हैं शुभ अशुभ
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार हमारी हथेली पर ऐसे कई निशान होते हैं जो छोटी-छोटी रेखाओं के मिलने या टकराने से बनते हैं। इनमें कुछ निशान हमें शुभ फल प्रदान करते हैं, किंतु कुछ बेहद अशुभ होते हैं। कुछ खास स्थितियों में चक्र का निशान जहां हथेली के कुछ शुभ निशानों में माने जाते हैं, वहीं कुछ ऐसे निशान भी हैं जो हर परिस्थिति में बेहद अशुभ स्थितियां लाते हैं। जानिए हाथ में बनने वाले अशुभ निशान क्रॉस के बारे में।
सूर्य ग्रह हमें समाज में यश, सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाता है और इसी पर्वत पर अशुभ चिह्न का होना मुसीबतें खड़ी कर देता है। सूर्य पर्वत पर स्थित क्रॉस संकट को दर्शाता है। यह व्यक्ति को प्रसिद्धि, कला या धन की खोज में निराशाजनक संकेत देता है। इस पर्वत पर क्रॉस व्यक्ति की बेईमान प्रकृति को दर्शाता है। व्यक्ति अच्छे मस्तिष्क होने के बावजूद दोहरी प्रकृति का होता है। यह निशान व्यक्ति की बुद्धि को नष्ट करने का काम भी करता है। सब कुछ जानते हुए भी वह बुरे कर्म करने लगता है।
चंद्र पर्वत पर क्रॉस पद, तो व्यक्ति कल्पना से प्रभावित रहेगा। व्यक्ति सदैव सपनों की दुनिया मे रह कर खुद को धोखा देगा। जब क्रॉस शुक्र पर्वत पर स्थित हो तो कुछ संकट या प्रेम संबंध में कष्ट का संकेत देता है। शुक्र प्रेम संबंधों और विलासता का कारक माना गया है, इसलिए क्रॉस का अशुभ चिह्न जीवन के इन्हीं दो बड़े क्षेत्रों पर आक्रमण करता है।
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार हथेली पर बना क्रॉस का निशान मुसीबत, निराशा, खतरा और कभी-कभी जीवन में संकट का संकेत देता है। क्रॉस के लक्षण विभिन्न पर्वतों और रेखाओं की स्थिति पर निर्भर करते हैं।
यह व्यक्ति में शत्रु और चोटों के कारण संकट को दर्शाता है। यह संघर्ष, झगड़े और हिंसा द्वारा मृत्यु का भी संकेत देता है। ऐसे व्यक्ति का अगर किसी के साथ झगड़ा हो, तो वह अमूमन उग्र रूप ले लेता है।
गुरुवार न करें ये काम
जीवन को खुशहाल ओर आनंद से रहने के लिए वास्तु के साथ ही कुछ नियमों का पालन करना भी जरुरी होता है।
आपने अक्सर बुजुर्गों से सुना होगा कि गुरुवार के दिन कुछ काम नहीं करना चाहिए क्योंकि इसका नकारात्मक प्रभाव हमारे जीवन पर होता है और इसकी वजह से आर्थिक तंगी हो सकती है। ज्योतिषशास्त्र में भी कुछ ऐसा ही माना गया है कि बृहस्पति ग्रह की अनुकूलता के लिए कुछ ऐसे काम हैं, जो गुरूवार के दिन नहीं करने चाहिए। सुखद पारिवारिक जीवन, शिक्षा, ज्ञान और धन इनकी कृपा से ही प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार कुछ ऐसे काम हैं, जो गुरूवार के दिन नहीं करने चाहिए अन्यथा अनुकूल गुरू भी विपरीत प्रभाव देता है।
अगर आप पहले से ही आर्थिक परेशानी और दूसरी दिक्कतों से गुजर रहे हैं तो गुरुवार को इन कामों को न करें।
पिता, गुरू और साधु-संत गुरु का प्रतिनिधि करते हैं। कभी भी इनका अपमान न करें।
खिचड़ी न तो घर में बनाएं और न खाएं।
नाखून नहीं काटने चाहिए।
महिलाओं को बाल नहीं धोने चाहिए कहा जाता है की इससे संपत्ति और संपन्नता सुख में कमी आती है।
कपड़े नहीं धोने चाहिए।
क्या करें
ये कार्य होते हैं शुभ
सूर्य उदय होने से पहले शुद्ध होकर भगवान विष्णु के समक्ष गाय के शुद्ध देसी घी का दीपक जलाएं।
केसर अथवा हल्दी का तिलक मस्तक पर लगाएं।
पीली चीजों का दान करें।
संभव हो तो व्रत रखें।
भगवान शिव पर पीले रंग के लड्डू अर्पित करें।
केले के पेड़ का पूजन करें, प्रसाद में पीले रंग के पकवान अथवा फल अर्पित करें।
केले का दान करें।
हृदय रेखा छोटी सा फिर हल्की होना अच्छा नहीं
विवाह के लिए वर-वधू का योग देखने में हस्तरेखा का बहुत बड़ा योगदान होता है। किसी भी विवाह का भविष्य वर और कन्या की हथेली पर उपस्थित विभिन्न रेखाओं, पर्वतों और चिह्नों की स्थिति पर निर्भर करता है। कुछ ऐसी रेखाओं के बारे में जान लें जो विवाह के मामले में अच्छी साबित नहीं होतीं।
हृदय रेखा
यदि आपकी हृदय रेखा छोटी सा फिर हल्की है तो आपके लिए वैवाहिक संयोग अच्छे नहीं हैं। ऐसे में विवाह होने के बाद भी आपके संबंधों में विच्छेद हो सकता है।
मंगल पर्वत
यदि आपका मंगल पर्वत जरूरत से ज्यादा विकसित हो या फिर मंगल पर दोषपूर्ण चिह्न हो तो ऐसे में विवाह करना आपके लिए सही नहीं होगा।
शुक्र पर्वत हों कम विकसित
शुक्र पर्वत कम विकसित होने पर वैवाहिक जीवन में शारीरिक संतुष्टि नहीं प्राप्त होती। चंद्र पर्वत और बृहस्पति के कम विकसित होने पर भी ऐसा ही होता है।
हृदय रेखा पर काले चिह्न अशुभ
यदि आपकी हृदय रेखा पर किसी प्रकार के काले चिह्न शुभ नहीं है। मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा में जरूरत से ज्यादा दूरी होना सही नहीं है। हाथ का निचला क्षेत्र अत्यधिक विकसित होना अच्छा नहीं माना जाता। ये सभी बातें विवाह पश्चात शारीरिक अनुकूलता के लिए सही नहीं है। ये सभी विकार असंतुष्ट यौन संबंधों को दर्शाते हैं।
संतान सुख नहीं मिल पाता इनको
अगर आपकी हृदय रेखा छोटी है और शुक्र व गुरु पर्वत के उभार भी कम हैं। विवाह रेखा के ऊपर क्रॉस है। जिस स्थान पर मस्तिष्क रेखा बुध रेखा को काटती है, अगर वहां तारा है तो यह शुभ नहीं है।
ऐसे में हो सकता है तलाक भी
विवाह रेखा अंत में दो भागों में बंट रही हो। शुक्र पर्वत पर जाल या फिर एक-दूसरे को काटती हुई रेखाएं हो तो ये शारीरिक अक्षमता को दर्शाता है। विवाह रेखा को कोई रेखा काटे तो तलाक की आशंका बढ़ जाती है।
चन्द्रमा से बनते हैं तीन प्रकार के शुभ योग
चन्द्रमा पृथ्वी पर सबसे ज्यादा असर डालने वाला ग्रह है। इसका सीधा असर व्यक्ति के मन मानसिक स्थास्थ्य और संस्कारों पर पड़ता है, इसलिए चन्द्रमा से बनने वाले एक एक योग इतने ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। चन्द्रमा से तीन प्रकार के शुभ योग बनते हैं। अनफा , सुनफा और दुरधरा और एक अशुभ योग भी बनता है। केमद्रुम कुंडली में केमद्रुम योग हो तो बहुत सारे शुभ योग निष्फल हो जाते हैं। यह व्यक्ति को मानसिक पीड़ा और दरिद्रता देता है।
कैसे बनता है केमद्रुम योग और इसका प्रभाव क्या होता है?
चन्द्रमा के दोनों तरफ कोई ग्रह न हो
तथा उस पर किसी ग्रह की दृष्टि न हो तो , केमद्रुम योग बन जाता है
ऐसी दशा में व्यक्ति को मानसिक रोग या मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ता है
कभी कभी मिर्गी के दौरे जैसी समस्या भी हो जाती है
व्यक्ति को दरिद्रता का सामना भी करना पड़ता है
धन को लेकर खूब उतार चढ़ाव होते हैं
इसके कारण व्यक्ति को माता का सुख नहीं मिलता
केमद्रुम योग कर्क , वृश्चिक और मीन लग्न में ज्यादा ख़राब होता है
कब केमद्रुम योग भंग हो जाता है?
जब चन्द्रमा से अष्टम या छठवे भाव में शुभ ग्रह हों
जब कुंडली में शुभ ग्रह मजबूत हों
जब केंद्र में केवल शुभ ग्रह हों
जब बृहस्पति केंद्र में हो
जब शुक्ल पक्ष में रात्रि का या कृष्ण पक्ष में दिन का जन्म हो
केमद्रुम योग से बचने के उपाय क्या है?
नित्य प्रातः माता के चरण स्पर्श करें
अगर माँ न हों तो माता सामान स्त्री के चरण स्पर्श करें
सोमवार को दूध, चावल या चीनी का दान करें
शरीर पर चांदी जरूर धारण करें
नित्य सायं “ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः” का जाप करें
हर महीने में एक बार शिवलिंग पर सफ़ेद चन्दन लगाएं और जल चढ़ाएं
शिव जी की भक्ति से केमद्रुम योग निश्चित भंग हो जाता है।
ईशान दिशा में होता है देवी देवताओं का वास
सभी दिशाओं में सबसे उत्तम है ईशान दिशा. ईशान दिशा सबसे शुभ मानी गई है। ईशान में सभी देवी और देवताओं का वास होता है। पूर्व और उत्तर दिशाएं जहां पर मिलती हैं उस स्थान को ईशान दिशा कहते हैं। वास्तु अनुसार घर में इस स्थान को ईशान कोण कहते हैं। भगवान शिव का एक नाम ईशान भी है। भगवान शिव का आधिपत्य उत्तर-पूर्व दिशा में होता है, इसीलिए इस दिशा को ईशान कोण कहा जाता है। इस दिशा के स्वामी ग्रह बृहस्पति और केतु माने गए हैं।
घर, शहर और शरीर का ईशान हिस्सा सबसे पवित्र होता है इसलिए इसे साफ-स्वच्छ और खाली रखा जाना चाहिए। यहां जल की स्थापना की जाती है जैसे कुआं, बोरिंग, मटका या फिर पीने के पानी का स्थान। इसके अलावा इस स्थान को पूजा का स्थान भी बनाया जा सकता है। घर के मुख्य द्वार का इस दिशा में होना वास्तु की दृष्टि से बेहद शुभ माना जाता है।
इस स्थान पर कूड़ा-करकट रखना, स्टोर, टॉयलेट, किचन वगैरह बनाना, लोहे का कोई भारी सामान रखना वर्जित है। इससे धन-संपत्ति का नाश और दुर्भाग्य का निर्माण होता है। ऐसा करने से प्रगति रुख जाती है।
पूर्व: इस दिशा में इस दिशा में दरवाजे पर मंगलकारी तोरण लगाना शुभ होता है। गृहस्वामी की लंबी उम्र व संतान सुख के लिए घर के प्रवेश द्वार व खिड़की का इस दिशा में होना शुभ माना जाता है।
आग्नेय: पूर्व और दक्षिण के बीच की दिशा को आग्नेय कोण कहते हैं। इस दिशा में किचनस्टैंड, गैस, बॉयलर, ट्रांसफॉर्मर आदि होना चाहिए।
दक्षिण: दक्षिण दिशा में किसी भी प्रकार का खुलापन, शौचालय आदि नहीं होना चाहिए। इस दिशा की भूमि भी तुलनात्मक रूप से ऊंची होना चाहिए। इस दिशा की भूमि पर भार रखने से गृहस्वामी सुखी, समृद्ध व निरोगी होता है। धन को भी इसी दिशा में रखने पर उसमें बढ़ोतरी होती है।
नैऋत्य: दक्षिण-पश्चिम के बीच को नैऋत्य दिशा कहते हैं। इस दिशा में खुलापन अर्थात खिड़की, दरवाजे बिल्कुल ही नहीं होना चाहिए। गृहस्वामी का कमरा इस दिशा में होना चाहिए. कैश काउंटर, मशीनें आदि आप इस दिशा में रख सकते हैं।
पश्चिम: इस दिशा की भूमि का तुलनात्मक रूप से ऊंचा होना आपकी सफलता व कीर्ति के लिए शुभ संकेत है। आपका रसोईघर या टॉयलेट इस दिशा रख सकते हैं। दोनों एक साथ नहीं हो, यह ध्यान रखें।
वायव्य: उत्तर-पश्चिम के बीच वायव्य दिशा होती है। यदि आपके घर में नौकर है तो उसका कमरा भी इसी दिशा में होना चाहिए। इस दिशा में आपका बेडरूम, गैरेज, गौशाला आदि होना चाहिए।
उत्तर: इस दिशा में घर के सबसे ज्यादा खिड़की और दरवाजे होना चाहिए। घर की बालकनी व वॉश बेसिन भी इसी दिशा में होना चाहिए। इस दिशा में यदि वास्तुदोष होने पर धन की हानि व करियर में बाधाएं आती हैं।
ए अक्षर वाले होते हैं प्रभावशाली
आपने कई बार ज्योतिषशास्त्र और हस्तरेखा विज्ञान के बारे में पढ़ा-सुना होगा लेकिन क्या कभी आपने अपने नाम पर गौर किया है? कई प्रसिद्ध अभिनेताओं, लेखकों और संगीतकारों ने सफलता पाने के लिए अपना नाम बदला। हर व्यक्ति पर उसके नाम का भी प्रभाव जरूर पड़ता है क्योंकि हर अक्षर की अपनी ऊर्जा और उससे जुड़े गुण होते हैं।
आपका नाम किस अक्षर से शुरू होता है, इसका आपके स्वभाव और व्यक्तित्व के बारे में काफी कुछ पता चलता है। कुछ अक्षरों को प्रभावशाली माना जाता है जैसे- ए, जे, ओ और एस. आइए जानते हैं जिन लोगों का नाम एक से शुरू होता है, उनका स्वभाव और व्यक्तित्व कैसा होता है।
अंकज्योतिष में अक्षर ए को नंबर 1 से जोड़कर देखा जाता है। ये काफी प्रभावशाली शख्सियत के मालिक होते हैं। ये दूसरों के सामने अपने मनमुताबिक अपनी छवि गढ़ने में सक्षम होते हैं।
ए अक्षर सबसे प्रभावशाली अक्षर माना जाता है और अगर आपका नाम इसी अक्षर से शुरू होते है तो इसका मतलब है कि आप काफी दृढ़ और साहसी किस्म के व्यक्ति हैं। आपके अंदर आत्मविश्वास कूट-कूटकर भरा होता है और आप अपनी शर्तों पर जिंदगी जीना पसंद करते हैं।
ए अक्षर से नाम वाले लोग जिंदगी में हर जगह आगे रहने की इच्छा रखते हैं। ये बहुत ही महात्वाकांक्षी होते हैं और नेतृत्व करना इन्हें पसंद होता है। ए अक्षर कई बार एग्रेसिव, एडवेंचरस का भी प्रतीक होता है।
ए अक्षर नाम वाले लोग काफी इंटेलिजेंट, स्मार्ट होते हैं और इनका सेंस ऑफ ह्यूमर भी अच्छा होता है। आप व्यावहारिक सोच वाले व्यक्ति हैं, इसलिए आपके निर्णय अधिकतर सही साबित होते हैं।
ए अक्षर से नाम वाले कम रोमांटिक होते हैं। इन्हें सीरियस रिलेशनशिप पसंद होती हैं और ये जिस शख्स से प्यार करते हैं, उसे हमेशा खुश रखने की कोशिश करते हैं।
आप अपने लिए जो भी लक्ष्य निर्धारित करते हैं, उसे पाकर रहते हैं। आप थोड़े से बेसब्र होते हैं और आपके अंदर धैर्य की थोड़ी सी कमी होती है। अगर लोग आपके सामने उदारता और विनम्रता से पेश आएं तो भी आप बहुत तेजी से रिऐक्ट नहीं करते हैं।
अग्नि तत्व से जुड़ीं राशियां की ये हैं खासियत
प्रत्येक राशि के जातकों की अपनी खासियतें होती हैं। किस राशि में कौन सा तत्व है वह इसे अहम बनाता है।
ज्योतिष में तीन राशियां अग्नि तत्व की राशियां मानी जाती हैं। ये राशियां हैं – मेष सिंह और धनु। इन राशियों के अंदर ऊर्जा और अग्नि काफी मात्रा में होती है। इन राशियों के लिए सूर्य सबसे महत्वपूर्ण होता है। ये राशियां साहस नेतृत्व और क्रोध की राशियां मानी जाती हैं।
अग्नि तत्व की पहली राशि – मेष।
इस राशि का स्वामी मंगल है।
सूर्य की सर्वाधिक प्रिय राशि है।
इस राशि में ऊर्जा, साहस, नयापन और चंचलता पायी जाती है।
इस राशी की सबसे बड़ी कमजोरी है – अस्थिर दिमाग।
इनको सलाह लेकर एक मोती पहनना चाहिए।
सूर्य की उपासना जरूर करनी चाहिए।
अग्नि तत्व की दूसरी राशि – सिंह।
इस राशि का स्वामी स्वयं सूर्य है।
इस राशि को अग्नि तत्व की प्रमुख राशि माना जाता है।
इस राशि को नेतृत्व, साहस, संघर्ष और राजनीति की राशि माना जाता है।
इस राशि के लोग अक्सर समाज नेतृत्व करते हैं।
इस राशि की सबसे बड़ी कमजोरी है – अतिविश्वास।
इनको सलाह लेकर एक मूंगा धारण करना चाहिए।
इस राशि के लोगों को गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए।
अग्नि तत्व की तीसरी राशि – धनु।
इस राशि का स्वामी बृहस्पति है।
यहाँ सूर्य व्यक्ति को भाग्यवान बनाता है।
इस राशि के पास साहस, ज्ञान, गणना और नेतृत्व का गुण होता है।
इस राशि के लोग अक्सर सेना या पुलिस में देखे जाते हैं।
इनकी सबसे बड़ी कमजोरी है-वाणी पर नियंत्रण न रखना।
इस राशि के लोगों को सलाह लेकर माणिक्य धारण करना चाहिए।
इस राशि के लोगों को भगवान् सूर्य की उपासना अवश्य करनी चाहिए।
कर्क राशि के लोग होते हैं सबसे बेहतर जीवनसाथी
कर्क राशि के लोगो के लिए भावनात्मक सुरक्षा बहुत मायने रखती है। प्यार इनके लिए सब चीज से बढ़ कर है। अपने साथी का ख्याल रखना ऐसे लोगों की सबसे बड़ी खासियत है। जीवन साथी आपको ढेर सारा प्रेम करे, आपके नाजो-नखरे उठाए, ऐसा कौन नहीं चाहता। जो आपके लिए हमेशा समर्पित रहे और समर्थन करे तो हम आपको बता रहे हैं उस राशि के बारे में जो आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प है। साथी का ख्याल रखना ऐसे लोगों की सबसे बड़ी खासियत है।
कर्क राशि के लोगो के लिए भावनात्मक सुरक्षा बहुत मायने रखती है। प्यार इनके लिए सब चीज से बढ़ कर है। ये लोग आपके साथ अपने संबंधों को हमेशा ही सुरक्षित रखेंगे।
प्यार की चाहत इन्हें भावुक बना देती है। किसी बात की परवाह किए बगैर ये आपको अपने भावनाएं जाहिर कर देते हैं। ऐसे में अगर ये आपके सामने रो दें तो कोई बड़ी बात नहीं है।
जो भी लोग इनसे सहानुभूति रखते हैं और आसपास रहते हैं, उनके प्रति इनका लगाव बहुत ज्यादा होता है। उन लोगों के लिए बड़े से बड़ा काम करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
किसी एक खास की भी कमी इनको बहुत परेशान कर देती है। अगर पार्टनर कहीं दूर हो तो उसे को बहुत मिस करते हैं और मिलने के लिए कुछ भी कर जाते हैं।
अपने आसपास के लोगो के लिए बड़े निष्ठावान होते हैं। इनकी लगन और दूसरों के लिए प्रेमभाव इन्हें ज्यादा संवेदनशील बनाता है।
इन्हें जब भी किसी से प्यार होता है तो ये बड़े ही सौम्यता और शालीनता के साथ अपने प्रेम का इजहार कर देते हैं। खूबसूरत और मनमोहक प्रस्ताव इनकी खासियत है। ढेर सारे उपहार और साथी की बढ़ाई कर ये अपना प्यार बखूबी जताते हैं। साथी को रोमांटिक सरप्राइज देना इन्हें बड़ा पसंद है। ये आपको हमेशा सिर आंखों पर बिठाए रखेंगे।
स्त्री के पांव भी बताते हैं पति का भविष्य
कहते हैं पति का भाग्य पत्नी से जुड़ा होता है। मनुष्य के हाव-भाव, चेहरे और शारीरिक बनावट के आधार पर जीवन के कई रहस्य सामने आ सकते हैं। सामुद्रिक ज्योतिश शास्त्र के अनुसार स्त्री के पांव उसके पति के भविष्य के बारे में भी काफी कुछ बताते हैं।
दरअसल हर स्त्री के पैर में कुछ खास निशान होते हैं, जो उसके पति के उज्जवल भविष्य का संकेत देते हैं। इसके अलावा पैरों का आकार भी ये बताता है कि संबंधित स्त्री का दांपत्य जीवन कैसा रहेगा। ऐसे भी पुराणों के अनुसार पति-पत्नी को एक-दूसरे का पूरक माना जाता है। इसी बात को आधार बनाकर यह बताया गया है कि स्त्री हो या पुरुष, उनके शरीर पर कुछ ऐसे निशान होते हैं जो उनके जीवनसाथी से जुड़े होते हैं।
चक्र, ध्वज
शास्त्र के अनुसार, अगर किसी स्त्री के पांव के तलवों पर चक्र, ध्वज या स्वास्तिक का निशान होता है तो उस संबंधित स्त्री से विवाह करने वाले पुरुष को राज सुख प्राप्त होता है। वह राजा की तरह जीवन व्यतीत करता है और उसकी पत्नी को रानी का सम्मान प्राप्त होता है।
पैर से जाती रेखा
जिस स्त्री के पैर के तलवों के गद्देदार हिस्से पर कोई रेखा पैर की उंगुलियों की तरफ ऊपर जा रही होती है, तो यह उस स्त्री के पति के लिए काफी शुभ कहलाता है। ऐसी स्त्री पति के प्रति पूर्णतः समर्पित होती है। उन्हें जीवन में सफलता और खुशी प्राप्त होती है।
तर्जनी हो बाकी उंगुलियों से बड़ी
शास्त्र में बताया गया है कि यदि किसी स्त्री के पांव की दूसरी उंगुली, जिसे तर्जनी भी कहा जाता है, अन्य उंगुलियों से बड़ी होती है तो ऐसी स्त्री अपने पति के साथ कंधे से कंधे मिलाकर साथ चलने में विश्वास करती है। विपरीत विचारों के चलते आपसी सामंजस्य बनाने के लिए अधिक प्रयास करना पड़ सकता है।
अगर ये उंगली न करें जमीन को स्पर्श
शास्त्र के अनुसार, अगर चलते समय स्त्री के पैर की कनिष्ठिका और अनामिका उंगुली जमीन को स्पर्श नहीं करती तो यह कम उम्र में विधवा हो जाने का संकेत हो सकता है।
अगर कमल या छत्र का निशान हो
अगर किसी स्त्री के पैर के तलवों पर कमल या छत्र का निशान बना होता है तो, यह इस बात का संकेत है कि संबंधित स्त्री का पति राजनीति के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करेगा और उसे समाज में मान-सम्मान प्राप्त होने के साथ ही हमेशा प्रसिद्धि व समृद्धि का साथ मिलेगा।
ये बताती है उंगली की लंबाई
अगर अनामिका उंगुली की लंबाई, अंगूठे और तर्जनी उंगुली से अधिक बड़ी है तो यह इस बात की ओर इशारा करता है कि वह स्त्री अपने पति के लिए चिंता का सदैव कारण बनी रह सकती है।
अनामिका उंगुली की लंबाई
यदि किसी स्त्री के पैर की मध्यमा और अनामिका उंगुली की लंबाई लगभग समान होती है तो उसके पति की आर्थिक स्थिति को लेकर हमेशा समस्या बनी रह सकती है। हालांकि ऐसी स्त्री की अपने ससुराल में सभी से अच्छी बनती है, लेकिन पति के साथ संबंध हमेशा खटास से भरे रहते हैं।
एड़ी
शास्त्र में बताया गया है कि अगर स्त्री के पैरों की एड़ी गोल, कोमल और आकर्षक होती है तो ऐसी स्त्री को चकाचौंध से भरी जीवनशैली प्राप्त होती है। इसके विपरीत अगर तलवा मोटा और कड़ा है तो यह संघर्षों की ओर इशारा करता है।
रेखाएं
अगर पैरों के तलवों पर बनी रेखाएं एकदम स्पष्ट और बिना कटी-फटी होती हैं तो यह इस बात की ओर इशारा करता है कि व्यक्ति का जीवन बिना किसी संघर्ष और व्यवधान के साथ चलता रहेगा।
इस राशि के लोग बनाते हैं मेहनत से किस्मत
कई लोग अपनी नौकरी या व्यवसाय को लेकर बहुत मेहनती होते हैं। ये ऐसे लोग होते हैं जो अपनी मेहनत के बल पर बहुत कामयाब होते हैं और बहुत पैसा कमाते हैं। क्या आप भी ऐसे हैं। जिन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन ये मेहनत ही इन्हें आगे चलकर सितारा बना देती है। आइए जानते हैं कौन सी राशि वाले हैं ये लोग?
अगर आप किसी ऐसे शख्स को ढूंढ रहे हैं, जो पूरी लगन से आपका काम करे तो इस राशि के जातक आपकी खोज खत्म कर सकते हैं। दअरसल, हम बात कर रहे हैं वृषभ राशि वाले लोगों की।
ये बहुत तेज गति से काम नहीं करते हैं पर ये वफादार, भरोसेमंद और मेहनती कार्यकर्ता होते हैं, जिनके अपने टीम में होने से आप सहुलियत महसूस करेंगे क्योंकि ये काफी सहयोगात्मक होते हैं।
ये बहुत व्यावहारिक है और धरती से जुड़े इंसान हैं, और कल्पना की उड़ाने भरना इन्हे पसंद नहीं हैं। इनका सारा काम जमीन पर होता है। ये ऐसे लोग होते हैं जो केवल बातें ही नहीं करते काम करके दिखाते हैं।
ये किसी भी कंपनी की सेवा के लिए उपयुक्त रहते हैं, यहां तक कि ये अपनी स्वयं की कंपनी बना सकते हैं।
यदि आपके किसी कार्य को पूरा करने की समय सीमा आ गई हैं तो काम पूरा करवाने के लिए आप वृषभ राशि के लोगों पर भरोसा कर सकते हैं।
जब इन्हें जिम्मेदारी दे दी जाती हैं तो ये पूरी लगन से निभाते हैं और काम को पूरा करने में जी-जान लगा देते हैं।
ये काम की काम के बोझ की परवाह किए बिना धैर्य के साथ कार्यभार संभालते हैं। यह विशेषताएं सूर्य राशि के आधार पर बताई गई हैं। यदि किसी जातक का जन्म 20 अप्रैल से 20 मई के बीच हुआ है तो उसी राशि वृषभ होगी।
बोर्ड परीक्षाओं में अच्छे अंक के लिए करें यह उपाय
बोर्ड परीक्षाएं शुरु होने को हैं। सभी छात्र बेहतर भविष्य के लिए बोर्ड की परीक्षाओं में अच्छे अंक चाहते हैं और इसके लिए प्रयास भी करते हैं पर कई बार देखने में आता है कि उन्हें उम्मीद से कम अंक मिलते हैं। ऐसे में कुछ आसान उपायों से आप बेहतर अंक हासिल कर सकेंगे। वहीं कुछ भावुक छात्रों पर तो पढ़ाई का इतना दबाव होता है की वह तनाव में रहने लगते हैं और बीमार भी हो जाते हैं। इस विषय में ज्योतिष विद्वान कहते हैं की जब राहु कर्क और शनि धनु में मंदभाग्य चल रहे हों तो चन्द्रमा अशुभ फल देता है, जिससे छात्र पीड़ित हो जाता है।
वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो परीक्षा जैसे जैसे नजदीक आती है। तनाव के कारण होने वाला स्ट्रैस हारमोन बनने लगता है। जिससे विद्यार्थियों की नींद उड़ जाती है और वह परेशान रहने लगते हैं। ऐसे में छात्रों को 24 घण्टों में से कम से कम 7 घण्टे नींद और 8 घंटे पढ़ाई अवश्य करनी चाहिए पर ऐसा हो नहीं पाता, जिस वजह से उनके तन और मन को पूर्णता आराम नहीं मिल पाता और स्वास्थ्य में गिरावट आने लगती है। जिसका प्रभाव स्मरण-शक्ति पर पड़ता है और दिमाग व हार्मोन के असंतुलित होने से शरीर में कोलोस्ट्रोल और थाइरॉइड बढ़ने लगता है। बच्चों में मोटापा, ब्लड प्रैशर और दिल की बिमारियों का होना आम हो गया है। भरपूर नींद के साथ व्यायाम और योग करना चाहिए।
करें ये उपाय। शनिवार के दिन शनि और राहू की शुभता में बढ़ौतरी के लिए उनकी पूजा करें।
पढ़ाई में मन लगा रहेगा, इसके लिए समय-समय पर पानी पीते रहें, इससे चन्द्रमा मजबूत होता है।
पढ़ाई करने का स्थान साफ रखें, इधर-उधर कॉपी-किताबें बिखेर कर न रखें। इससे सकारात्मकता का नाश होता है। एकाग्रता नहीं बन पाती। पढ़ाई करने की मेज पर मोर पंख लगा कर रखें, ध्यान में वृद्धि होगी। जिस विषय में कमजोर हैं, गुरुवार के दिन उस किताब में मोर पंख रखें। देर रात तक पढ़ाई करने की बजाय ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पढ़ें। इससे याद किया पाठ नहीं भूलेंगे।
हस्त रेखाओं में छुपा है जीवन का रहस्य
हस्त रेखाओं बताती हैं कि आपकी आयु कितनी है आपके जीवन में क्या-क्या परेशानी आएगीं। शास्त्रों में कहा गया है कि जीवन समुद्र के समान जीवन अथाह सागर है। इसमें जो जितना पारंगत होता है, वो उतना ही जान पाता है। हाथ की रेखाएं सदैव एक समान नहीं रहतीं। वह बनती-बिगड़ती रहती हैं। अत: भविष्य कथन में परिवर्तन आता रहता है। स्वच्छ सीधी रेखाएं जहां उत्तम स्वास्थ्य को दर्शाती हैं, तो वहीं प्रगति में भी सहायक मानी जाती हैं। अस्त-व्यस्त, कटी-टूटी रेखाएं हो तो अस्वस्थ्य और तरक्की में बाधक रहती हैं।
बुध रेखा हथेली में किसी भी स्थान से निकल सकती है। इसकी सबसे अच्छी स्थिति यह मानी गई है कि बुध रेखा की स्थिति भाग्य रेखा और जीवन रेखा से जितनी अधिक दूर हो उतनी ही शुभ फलदायक होती है। बुध रेखा कहीं से भी जाए इसका अंत कनिष्ठका अंगुली पर ही होता है। यदि किसी भी हथेली में यह रेखा है परंतु जीवन रेखा से पर्याप्त दूर है, साथ ही मणिबंध विघ्नरहित है तो वह व्यक्ति निश्चित रूप से दीर्घायु होगा। अशुभ चिन्हों से मुव्त बुध रेखा वाला व्यव्ति पाचन शव्ति का धनी और स्वस्थ, सबल गुर्दों का स्वामी होता है।
निर्दोष बुध रेखा के साथ-साथ यदि हथेली में हृदय, मस्तिष्क और भाग्य रेखाएं निर्दोष रूप में विद्यमान हों, तो ऐसी हथेली वाली बुध रेखा व्यक्ति की शारीरिक क्षमता, आरोग्य और जीवन शव्ति की वृद्धि करती है। यदि बुध रेखा टूटी, छिन्न-भिन्न टेढ़ी-मेढ़ी और मार्ग से हटी हुई हो तो समझना चाहिए कि ऐसा व्यव्ति उदर विकारों से ग्रस्त होगा। पाचन शव्ति की कमी स्नायु तंत्र में अतिप्रम जोड़ों का दर्द अन्य प्रकार के वात-विकार, मानसिक व्याधियों की आशंका और दुर्बलता क्षीणता जैसे रोग होते हैं। बुध रेखा अशुभ मानी जाती है। जन्म लग्न में भी बुध नीच का या शत्रु मित्रहोगा। बुध रेखा का लहरदार होना यह संकेत देता है कि जातक को लीवर संबंधित रोग होगा। लहरदार या जंजीरदार रेखा टूटी, अस्त-व्यस्त हो तो वह मंदबुद्धि, आलसी, निकम्मे, दुविधाग्रस्त तथा कार्य क्षेत्र में पिछड़े हुए होते हैं।
अपने दैनिक जीवन के कार्यकलाप, व्यवसाय, आगामी योजना और अन्य व्यावहारिक क्षेत्रों में भी ऐसे लोग प्राय अस्थिर मन, अनिश्चित और आत्मविश्वास से रहित होते हैं। ये कोई भी कार्य करें सफलता की उम्मीद बहुत कम कर पाते हैं। ऐसे जातक आशंका में रहते हैं। यदि बुध रेखा ऊपर अंगुलियों की ओर, बुध पर्वत की ओर अग्रसर है और उसके मार्ग में कोई बिंदु दिख रहा है, साथ ही किसी पर्वत पर विभिन्न रेखाओं का चप्रव्यूह जैसा दिखाई दे रहा है तो यह निश्चित है कि वह अवश्य ही अस्वस्थ्ता के दौर से गुजर रहा है अथवा कोई रोग-विकार इसे शीघ्र होगा। बुध रेखा पर कहीं भी द्वीप का चिन्ह होना यह तथ्य प्रकट करता है कि इस जातक को आयु रेखा से निर्दिष्ट व्यय-प्रम में स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं पैदा करती हैं। बुध पर्वत तक पहुंचने वाली निर्दोश बुध रेखा व्यव्ति की लंबी आयु का वरदान होती है। यदि यह रेखा चंद्र पर्वत से प्रारंभ हो तो मनुष्य अपने जीवन में कई यात्राएं करता है।
इसलिए चढ़ाए जाते हैं नारियल और नींबू
आदिकाल से ही दुनिया के लगभग सभी धर्मों में बलि देने की प्रथा मौजूद रही है हालांकि ईश्वर भाव का भूखा होता हैं। आजतक किसी ने भगवान को कभी किसी वस्तु का उपभोग करते हुए नहीं देखा है। भारत में भी कई जगहों पर देवी देवताओं को जानवरों की बलि दी जाती रही है। परन्तु क्या आप जानते हैं कि बलि क्यों दी जाती हैं? ऐसा नहीं है कि बलि देने से भगवान प्रसन्न होते हैं न ही भगवान उस बलि के जानवर का उपभोग करेंगे। इसका मूल कारण तंत्र में छिपा हुआ है। इस प्रथा को समझने के लिए सबसे पहले हमें तंत्रशक्ति का अध्ययन करना होगा क्योंकि बलि की शुरुआत तंत्र में ही हुई है। हर देवी-देवता के लिए अलग-अलग ध्वनियां विकसित की गई, उनके साथ कुछ विशेष विधि-विधानों को जोड़ा, उन्हें ऊर्जा से परिपूर्ण करने के लिए कुछ प्रयोग किए।
तंत्र के अनुसार एक ऊर्जा को दूसरी ऊर्जा को बदला जा सकता है और उससे मनमाना काम लिया जा सकता है। ऊर्जा आपको किसी से भी मिल सकती है, चाहे वो एक नींबू हो या जानवर। इनकी बलि देकर इनकी जीवन ऊर्जा को मुक्त कर दिया जाता है और फिर उसी ऊर्जा को नियंत्रित कर उससे मनचाहा कार्य किया जा सकता है। मां काली तथा भैरव के मंदिरों में दी जाने वाली बलि इसी का उदाहरण है। वहां जीवों की ऊर्जा को मुक्त कर उसे नियंत्रित किया जाता है और उससे तांत्रिक शक्तियॉ प्राप्त की जाती है। परन्तु इस तरह करने में सबसे बड़ी बाधा यह है कि जब तक आप बलि देते रहेंगे, आपकी ऊर्जा और शक्तियॉ बनी रहेंगी, जब भी बलि नहीं दी जाएगी, उनकी शक्तियॉ खत्म होनी आरंभ हो जाएगी और एक दिन वो आम आदमी की तरह बन जाएंगे। इसीलिए तांत्रिक अनुष्ठान करने वाले नियमित रूप से बलि देते हैं।
अघोर पर लिखी पुस्तक में भी एक ऐसा उदाहरण मिलता है जब एक तांत्रिक ने नरबलि देने के लिए कुछ आत्माओं को वश में किया और फिर मां काली को उनकी बलि चढ़ाई थी। यह भी ऊर्जा के परिवर्तन का ही एक उदाहरण है। इस प्रक्रिया से उन प्रेतात्माओं की मुक्ति का मार्ग भी खुलता है। मंदिरों में नारियल फोड़ना या नींबू की बलि देना भी इसी का एक उदाहरण है। नारियल और नींबू में मौजूद जीवनउर्जा को मुक्त कर उसे अपने देवता को समर्पित किया जाता है ताकि वो अन्य कार्यों में इस ऊर्जा का उपयोग कर सकें।
रंग भी बताता है व्यक्तित्व
रंगों का भी हमारे जीवन में अहम स्थान है। रंगों को लेकर सबकी अपनी अलग-अलग पसंद होती है। ऐसा माना जाता है कि लोगों के पसंदीदा रंग केवल उनकी खुशी ही नहीं, बल्कि उनके व्यक्तित्व के बारे में भी जानकारी देते हैं। आप किसी भी इंसान के पसंदीदा रंग के आधार पर उसकी पूरी शख्सियत का अंदाजा लगा सकते हैं। आइए जानते हैं कि कौनसा रंग क्या कहता है।
लाल रंग को पसंद करने वाले लोग जीवन को भरपूर आनंद के साथ जीना पसंद करते हैं और उन्हें प्रकृति से बेहद प्यार होता है। बड़े कदम उठाने या फैसले लेने में वे हिचकिचाते नहीं है और हर पल ऊर्जा तथा रोमांच से भरे रहते हैं।
नीला रंग को पसंद करने वाले लोग शांत स्वभाव के होते हैं और अपनी मंजिल को पाने के लिए वह बड़े रास्ते तय करना भी जानते हैं।
गुलाबी रंग विशेषकर लड़कियों को बहुत अधिक पसंद आता है। यह मासूमियत और प्रकृति से लगाव को दर्शाता है। इस रंग को पसंद करने वाले लोग दान आदि कार्यों में रुचि रखते हैं। पीला रंग को पसंद करने वाले लोग तर्कसंगत होते हैं और जीवन के प्रति अपनी सोच के साथ बने रहते हैं। ये लोग कल्पनाशील भी होते हैं।
वहीं काला रंग मजबूत इरादों वाले और अपने जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध बच्चों का पसंदीदा रंग काला होता है। इस रंग को पसंद करने वाले लोग अपनी सोच को लेकर सख्त मिजाज होते हैं और किसी भी रेस को जीतने के लिए बड़ा कदम उठाने से शर्माते नहीं हैं। वे सुंदरता और कभी न खत्म होने वाली शैली पर अधिक भरोसा रखते हैं।
हरा रंग को पसंद करने वाले लोग आत्मविश्वास से भरे और आकर्षक व्यक्तित्व केहोते हैं। वे किसी भी प्रम में आगे रहने के लिए अवसरों की तलाश करते हैं और किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना करने से नहीं घबराते। वे प्रकृति प्रेमी भी होते हैं।
नारंगी रंग को पसंद करने वाले लोग मैत्रीपूर्ण व्यवहार रखने वाले और किसी भी माहौल में घुल-मिल जाने वाले लोगों का पसंदीदा रंग नारंगी होता है। ऐसे लोगों के प्रति हर किसी को लगाव होता है।
रुद्राक्ष और उनके महत्व
रुद्राक्ष की का धार्मिक महत्व जगजाहिर है। मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से हुई है। रुद्राक्ष को प्राचीन काल से आभूषण के रूप में,सुरक्षा के लिए,ग्रह शांति के लिए और आध्यात्मिक लाभ के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। कुल मिलाकर मुख्य रूप से सत्तरह प्रकार के रुद्राक्ष पाए जाते हैं, परन्तु ग्यारह प्रकार के रुद्राक्ष विशेष रूप से प्रयोग में आते हैं। रुद्राक्ष का लाभ अदभुत होता है और प्रभाव सटीक पर यह तभी सम्भव है जब सोच समझकर नियमों का पालन करके रुद्राक्ष धारण किया जाय। बिना नियमों को जाने गलत तरीके से रुद्राक्ष को धारण करने से लाभ की जगह हानि भी हो सकती है।
रुद्राक्ष धारण करने के नियम
रुद्राक्ष कलाई , कंठ और ह्रदय पर धारण किया जा सकता है। इसे कंठ प्रदेश तक धारण करना सर्वोत्तम होगा।
कलाई में बारह,कंठ में छत्तीस और ह्रदय पर एक सौ आठ दानो को धारण करना चाहिए।
एक दाना भी धारण कर सकते हैं पर यह दाना ह्रदय तक होना चाहिए तथा लाल धागे में होना चाहिए।
सावन में,सोमवार को और शिवरात्री के दिन रुद्राक्ष धारण करना सर्वोत्तम होता है।
रुद्राक्ष धारण करने के पूर्व उसे शिव जी को समर्पित करना चाहिए तथा उसी माला या रुद्राक्ष पर मंत्र जाप करना चाहिए।
जो लोग भी रुद्राक्ष धारण करते हैं उन्हें सात्विक रहना चाहिए तथा आचरण को शुद्ध रखना चाहिए अन्यथा रुद्राक्ष लाभकारी नहीं होगा।
विभिन्न रुद्राक्ष और उनका महत्व-
एक मुखी – यह साक्षात शिव का स्वरुप माना जाता है।
सिंह राशी वालों के लिए यह अत्यंत शुभ होता है।
जिनकी कुंडली में सूर्य से सम्बंधित समस्या हो ऐसे लोगों को एक मुखी रुद्राक्ष जरूर धारण करना चाहिए।
दो मुखी- यह अर्धनारीश्वर स्वरुप माना जाता है।
कर्क राशी के जातकों को यह अत्यंत उत्तम परिणाम देता है।
अगर वैवाहिक जीवन में समस्या हो या चन्द्रमा कमजोर हो दो मुखी रुद्राक्ष अत्यंत लाभकारी होता है।
तीन मुखी- यह रुद्राक्ष अग्नि और तेज का स्वरुप होता है।
मेष राशी और वृश्चिक राशी के लोगों के लिए यह उत्तम परिणाम देता है।
मंगल दोष के निवारण के लिए इसी रुद्राक्ष का प्रयोग किया जाता है।
चार मुखी- यह रुद्राक्ष ब्रह्मा का स्वरुप माना जाता है।
मिथुन और कन्या राशी के लिए सर्वोत्तम।
त्वचा के रोगों और वाणी की समस्या में इसका विशेष लाभ होता है.
पांच मुखी- इसको कालाग्नि भी कहा जाता है।
इसको धारण करने से मंत्र शक्ति तथा अदभुत ज्ञान प्राप्त होता है।
जिनकी राशी धनु या मीन हो या जिनको शिक्षा में लगातार बाधाएँ आ रही हों ,ऐसे लोगों को पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
छह मुखी- इसको भगवान कार्तिकेय का स्वरुप माना जाता है।
इसको धारण करने से व्यक्ति को आर्थिक और व्यवसायिक लाभ होता है।
अगर कुंडली में शुक्र कमजोर हो अथवा तुला या वृष राशी हो तो छह मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ होता है।
सात मुखी- यह सप्तमातृका तथा सप्तऋषियों का स्वरुप माना जाता है।
मारक दशाओं में तथा अत्यंत गंभीर स्थितियों में इसको धारण करने से लाभ होता है।
अगर मृत्युतुल्य कष्टों का योग हो अथवा मकर या कुम्भ राशी हो तो यह अत्यंत लाभ देता है।
आठ मुखी- यह अष्टदेवियों का स्वरुप है तथा इसको धारण करने से अष्टसिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
इसको धारण करने से आकस्मिक धन की प्राप्ति सहज होती है तथा किसी भी प्रकार के तंत्र मंत्र का असर नहीं होता।
जिनकी कुंडली में राहु से सम्बन्धी समस्याएँ हों ऐसे लोगों को इसे धारण करना शुभ होता है।
ग्यारह मुखी- एकादश मुखी रुद्राक्ष स्वयं शिव का स्वरुप माना जाता है।संतान सम्बन्धी समस्याओं के निवारण के लिए तथा संतान प्राप्ति के लिए इसको धारण करना शुभ होता है।
गृहस्थ जीवन को सुखी बनाने कामदेव का पूजन करें
बसंत पंचमी का पर्व वसंत ऋतु के आने के उपलक्ष्य के तौर पर भी मनाया जाता है। मौसम के रुमानी होने के कारण बंसत और कामदेव की दोस्ती मानी जाती है। हिंदू पंचाग के अनुसार हर वर्ष माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विद्या और बुद्धि की देवी माता सरस्वती की आराधना का दिन होता है। इसी उपासना के दिन को बसंत पंचमी कहा जाता है। इस दिन संगीत कला और आध्यात्म का आशीर्वाद भी लिया जा सकता है। बसंत पंचमी का पर्व वसंत ऋतु के आने के उपलक्ष्य के तौर पर भी मनाया जाता है। इस दिन के बाद मौसम में बदलाव होना शुरु हो जाता है। मौसम के रुमानी होने के कारण बंसत और कामदेव की दोस्ती मानी जाती है। इसी कारण से बसंत पंचमी के दिन कामदेव और उनकी पत्नी रति का पूजन किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार कामदेव को प्रेम का देवता माना जाता है। अन्य मान्यता के अनुसार शिव रात्रि को भगवान शिव के विवाह से पहले इस दिन भगवान शंकर का तिलकोत्सव हुआ था।
वसंत ऋतु को कामदेव की ऋतु माना जाता है। मान्यताओं अनुसार कहा जाता है कि इस दिन के बाद मौसम में मादकता भर जाती है, जिसके कारण मनुष्य के शरीर में कई बदलाव होने लगते हैं। इन्हीं कारणों के कारण कामदेव और उनकी पत्नी का पूजन विशेष विधि-विधान के साथ किया जाता है। मनुष्य पर काम भाव हावी नहीं हो जाए इसलिए ही देवी सरस्वती मनुष्यों को ज्ञान और विवेक देने के लिए इस दिन प्रकट हुई थीं। पुराणों के अनुसार गृहस्थ जीवन को सुखी बनाने के लिए बसंत पंचमी के दिन रति और कामदेव का पूजन किया जाता है। इसके बाद पीछे वाले पुंज में रति और कामदेव का पूजन करना चाहिए। रति और कामदेव के चित्र पर सबसे पहले अबीर और फूल डालकर वसंत का सदृश्य बनाना शुभ माना जाता है।
कामदेव के पूजन को सफल बनाने के लिए इस मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है।
शुभा रतिः प्रकर्तव्या वसंतोज्जवलभूषणा।
नृत्यमाना शुभा देवी समस्ताभरणैर्युता।।
वीणावादनशीला च मदकर्पूरचज्ञर्चिता।
कामदेवस्तु कर्तव्यो रुपेणाप्रतिमो भुवि।
अष्टबाहुः स कर्तव्यः शड्खपद्माविभूषणः।।
चापबाणकरश्चैव मदादञ्चितलोचनः।
रतिः प्रीतिस्तथा शक्तिर्मदशक्ति-स्तथोज्जवाला।।
चतस्त्रस्तस्य कर्तव्याः पत्न्यो रुपमनोहराः। चत्वारश्च करास्तस्य कार्या भार्यास्तनोपगाः। केतुश्च मकरः कार्यः पञ्चबाणमुखो महान।
इसके बाद कामदेव और रति को विविध प्रकार के फल, फूल और पत्रादि समर्पित करें।
इस प्रकार व्रत में भी रहे स्वस्थ
व्रत में जितना हल्का खाना हो उतना शरीर के लिए अच्छा होता है। उपवास के दौरान आपको आहार का पूरा ख्याल रखना चाहिए। व्रत के आहार में तैलीय और मीठे पदार्थो का ज्यादा सेवन आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। विशेषज्ञ की सलाह के मुताबिक, स्वस्थ तरीके से व्रत रखने के लिए उबला हुआ, भुना हुआ और बेक किया हुआ आहार लें।
व्रत के दौरान तले हुए स्नैक्स और तले हुए आलू न खाएं। इनसे वजन बढ़ जाता है। अगर आपको आलू पसंद है तो एक दिन में मध्यम आकार का एक आलू उबाल कर या बेक करके सेंधा नमक के साथ खाएं। लड्डुओं का सेवन भी सीमित मात्रा में करें, क्योंकि ये मीठे होते हैं। गुड़ या ऑर्गेनिक शहद से बने लड्डू खाएं। अपने पसंदीदा फल के साथ भुने हुए अलसी के बीज खाएं। कुट्टू के आटे की रोटियां खाएं। यह दैनिक प्रयोग में भी वजन कम करने के लिए उपयुक्त है। सेंधा नमक में सोडियम की मात्रा कम होती है। इसे खाना बनाने में हर रोज इस्तेमाल करें। मखाने में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट प्रचुर मात्रा में होते हैं। इन्हें भून कर सेंधा नमक के साथ खाना उपयुक्त है। इन्हें तल कर न खाएं। व्रत के दौरान भरपूर मात्रा में पानी पीएं और हर्बल चाय पीएं।
ग्रहों में टकराव से भी प्रभावित वैवाहिक जीवन
पति पत्नी के बीच आपसी संबंधों के बेहतर होने में ग्रहों की भी भूमिका होती है। अगर ये ठीक हों तो वैवाहिक जीवन सुखी होता है। वहीं अगर ग्रहों में टकराव हो तो दोनो के संबंधों में दूरियां आने लगती हैं और बात अलगाव तक पहुंच जाती है। पति के लिए अच्छा वैवाहिक जीवन शुक्र से आता है। वहीं पत्नी के लिए यह काम गुरु करता है। पति पत्नी का आपसी सम्बन्ध और तालमेल कुल मिलाकर शुक्र पर निर्भर करता है। जब शुक्र या गुरु कमजोर हों तो वैवाहिक जीवन में काफी समस्याएं आती हैं। यह समस्यायें शनि , मंगल , सूर्य , राहु और केतु से काफी बढ़ जाती हैं और चन्द्र , बुध और गुरु इन समस्याओं को कम करते हैं।
धन को लेकर विवाद होता हो
अगर एक की कुंडली में बुध मजबूत हो और दूसरे में चन्द्र तब इस तरह के विवाद होते हैं।एक भावनात्मक होता है और एक भौतिकवादी। दोनों की कुंडलियों में शुक्र के मजबूत होने पर अनावश्यक खर्चे होते हैं। इसी कारण से धन को लेकर विवाद होता रहता है।
प्रातः घी का दीपक जलाएं
घर में पूजा स्थान पर राम दरबार की स्थापना करें। उनके समक्ष रोज प्रातः घी का दीपक जलाएं। नियमित रूप से पति पत्नी को शुक्रवार को सफ़ेद मीठी चीज़ों का दान करना चाहिए। अगर पति पत्नी के बीच ससुराल के लोगों को लेकर विवाद होता रहता हो तो पति पत्नी के बीच इस तरह के विवाद का कारण मंगल होता है। मंगल के कारण पति और पत्नी एक दूसरे के रिश्तों का सम्मान नहीं करते। कभी कभी घर के बाकी लोग भी पति पत्नी के बीच हस्तक्षेप करते रहते हैं।
ऐसे में हर मंगलवार को घर में हलवा बनायें। हनुमान जी को भोग लगाएं। इसके बाद “संकटमोचन हनुमानाष्टक” का पाठ करें। सारे हलवे का प्रसाद पूरे घर में बाँटें। अगर पति पत्नी के बीच विवाहेत्तर संबंधों के कारण तनाव हो रहा हो तो आम तौर पर ऐसी समस्याओं के लिए राहु जिम्मेदार होता है। राहु का प्रभाव शुक्र पर हो तो विवाहेत्तर सम्बन्ध बन जाते हैं और यह भयंकर विवाद का कारण बनते हैं। राहु का प्रभाव अगर चन्द्र पर हो तो विवाहेत्तर सम्बन्ध नहीं बनते, सिर्फ शक होता रहता है। यह संदेह जीवन को नारकीय बना देता है।
ऐसे में माँ पार्वती और शिव जी को नित्य प्रातः सफ़ेद फूल अर्पित करें। इसके बाद “ॐ पार्वतीपतये नमः” का जाप करें। शयन कक्ष को बिलकुल साफ़ सुथरा रखें। सोमवार के दिन घर में तीखा न बनायें, न खाएं। अगर पति पत्नी के बीच विवाद का कारण नशा हो। पति पत्नी के ग्रहों में शनि या राहु का प्रभाव हो या चन्द्रमा विपरीत हो तो कभी कभी तो इस कारण विवाह विच्छेद भी हो जाता है।शनि के कारण यहाँ हिंसा और दुर्व्यवहार भी शामिल हो जाता है।
नित्य प्रातः सूर्य को जल अर्पित करें
गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करें। हर शनिवार को शाम को पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
शनिवार को शाम को घर में “सुन्दरकाण्ड” का पाठ जरूर करें। जहाँ तक हो सके मांसाहार से परहेज करें।
अगर ससुराल में पति के अलावा अन्य रिश्तों से समस्या हो रही हो। चमेली के तेल में सिदूर मिलाकर पेस्ट बना लें।
एक हरे पान के पत्ते पर इस सिन्दूर से “सीताराम” लिखें। इस पत्ते को हनुमान जी के चरणों में अर्पित कर दें।
सुखद रिश्तों के लिए प्रार्थना करें।
कब लगती है नजर
आम तौर पर किसी काम के बिगड़ने पर कहा जाता है कि नजर लग गई। नजर लगने का क्या मतलब होता है। यह जानिये।
दुनिया में तीन तरह की ऊर्जा काम करती है- सकारात्मक , नकारात्मक और उदासीन। यह ऊर्जा हमारी सोच , व्यवहार , आदत और शब्दों से बनती है। हमारे अपने शरीर और घर में आम तौर पर सकारात्मक ऊर्जा होती है। जब किसी के सोच , स्वभाव और सम्पर्क से हमारे ऊपर नकारात्मक असर पड़ जाता है तो इसे हम नज़र लगना कहते हैं। नज़र लगने से हमारे स्वास्थ्य , सोच और प्रगति पर कुछ क्षण के लिए रुकावट आ जाती है। यह रुकावट काफी तेज होती है और एकदम से बिना कारण सब रोक देती है।
क्या होता है प्रभाव जब घर में नज़र दोष की समस्या हो?
घर में नज़र दोष होने पर बिना कारण घर भारी लगता है
घर के लोगों में आपसी कलह और क्लेश बढ़ता जाता है
घर में बीमारियों में धन खर्च होता जाता है
आम तौर पर बार बार रोजगार में उतार चढ़ाव हो सकता है
इस प्रकार होगा निवारण
घर में बिना कारण कूड़ा कबाड़ न रखें
घर के पूजा स्थान पर रोज शाम को दीपक जरूर जलाएं
नित्य प्रातः और सायं घर में गुग्गल या चन्दन की अगरबत्तियां जलाएं
घर के हर कमरे के दरवाजे पर ऊपर लाल रंग का स्वस्तिक लगाएं
सप्ताह में एक बार घर में कीर्तन , भजन या कोई धार्मिक पाठ करें
क्या होता है प्रभाव जब काम या रोजगार में नज़र दोष की समस्या हो
रोजगार पर संकट आता है
काफी लम्बे समय तक नौकरी के बिना रहना पड़ता है
कारोबार पर नज़र दोष के कारण , काम एकदम से ठप हो जाता है
बिना कारण के ऐसा लगने लगता है कि व्यवसाय बंद हो जाएगा
कारोबार में लगाया हुआ धन फंस जाता है
उपाय
नौकरी हासिल करने
एक लोहे का छल्ला बाएं हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण करें
रोज सुबह घर से निकलते समय गुड़ खाकर निकलें
जहाँ तक हो सके अपने काम करने की मेज को बिलकुल साफ़ सुथरा रखें।
कारोबार के लिए
अपने कारोबार के स्थान पर एक लाल रंग के हनुमान जी की स्थापना करें
नित्य प्रातः उन्हें लाल फूल अर्पित करें और गुलाब की धूप बत्ती जलाएं
अपने कारोबार के स्थान पर नित्य प्रातः शंख में जल भरकर छिड़काव करें
अगर किसी व्यक्ति को नज़र लग गयी हो तो उसके किस तरह के प्रभाव होते हैं ?
बिना कारण के व्यक्ति बीमार हो जाता है
कारण और निवारण दोनों समझ नहीं आते
व्यक्ति का मन बिना कारण के अशांत और ख़राब हो जाता है
कभी कभी व्यक्ति अपने रिश्तों और चीज़ों को खुद ख़राब करने लगता है
जब भी ऐसा हो जाए , अपने थोड़े से बाल काट लें या दाढ़ी बना लें
इसके बाद केवड़ा जल डालकर स्नान कर लें
लाल मिर्च के एकाध बीज चबा लें
नज़र दोष से हमेशा बचे रहने के लिए चन्दन की सुगंध का प्रयोग करें
और घर से बाहर निकलते समय गुड़ खाकर जाएँ।
अपनी हथेली के से जानिये भविष्य
भविष्य की बातें जानने की उत्कंठा सभी के मन में होती है। इसके लिए लोग ज्योतिषियों के पास जाते हैं। अगर आप चाहें तो
हथेलियों से और उसके रंग से भाग्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिल सकती हैं। हथेलियों के रंग से स्वभाव , स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति के बारे में आसानी से जाना जा सकता है परन्तु हथेलियों को देखने के लिए सुबह का ही समय सबसे उत्तम होता है, अन्यथा न तो रंग जान पायेंगे , न ही रेखा।
लाल हथेली से क्या पता चलता है ?
मंगल प्रधान लोगों की हथेलियां लाल होती हैं
ऐसे लोग क्रोधी और तुनकमिजाज़ होते हैं
अगर अंगूठा छोटा हो तो ये हिंसक भी हो जाते हैं
ऐसे लोगों को खान पान और वाहन चलाने में सावधानी रखनी चाहिए
पीली हथेली क्या कहती है ?
बृहस्पति के कमजोर होने पर हथेली पीली हो जाती है
यह बीमारी , चिडचिड़ाहट और आलस्य की सूचना है
ऐसे लोग किसी न किसी कारण से परेशान होते रहते हैं
ऐसे लोगों को उपवास जरूर रखना चाहिए साथ ही नशे से परहेज करना चाहिए
कालापन लिए हुए हथेली का अर्थ क्या है ?
जब शनि और राहु जीवन में नकारात्मक होते हैं , तब ऐसे हथेलियाँ होती हैं
यह जीवन में अत्यधिक संघर्ष और उतार चढ़ाव के बारे में बताता है
ऐसे लोगों को कदम कदम पर मेहनत करनी होती है , और ये करते भी हैं
इनको दान और अपने माता – पिता की सेवा जरूर करनी चाहिए
गुलाबी हथेली का अर्थ ?
गुलाबी हथेलियों को सर्वश्रेष्ठ हथेली माना जाता है
यह शुक्र के मजबूत प्रभाव के बारे में बताता है
जैसे जैसे व्यक्ति उन्नति करता जाता है , उसकी हथेलियाँ गुलाबी होती जाती हैं
जिनकी हथेलियाँ शुरू से गुलाबी होती हैं , ऐसे लोग जन्म से ही समृद्ध होते हैं
इनको अहंकार और गलत आकर्षण से बचना चाहिए।
वस्तु के खोने का ज्योतिष से भी संबंध
किसी वस्तु के खोने का ज्योतिष से भी संबंध है। आखिर चीजें खोने से ज्योतिष का संबंध क्या है, कब चीजें लगातार खोती हैं और कब चीजें खोकर जरूर मिल जाएंगी।
6वें,11वे और 12वे भाव से चीज़ों का नुकसान देखा जाता है।
गोचर के चंद्रमा के 4थे, 6वे, 8वे या 12वे भाव में होने पर चीज़ों का नुकसान हो सकता है
राहू और चंद्रमा का संयोग बनने पर चीजें अचानक खो जाती हैं
अगर इसमें शनि या मंगल का सम्बन्ध होता है तो चीजें नहीं मिलती
परन्तु अगर शुक्र, गुरु या शुभ ग्रह इसमें होते हैं तो चीजें मिल जाती हैं
आम तौर पर शनिवार को खोयी चीजें या तो नहीं मिलती या काफी देर से मिलती हैं
कब चीजें लगातार खोती हैं और कब सावधान रहना चाहिए चीज़ों के खोने से?
अगर आप की कुंडली में राहू ,केतु या बुध की दशा हो
अगर आप की शनि की साढे साती या ढैया चल रही हो
अगर आप की राशि वृष,कन्या या मकर हो या कर्क,वृश्चिक या मीन हो
अगर आप का मूलांक 02, 04, या 08 हो
अगर आपने भूरे रंग का कुत्ता पाला हो या काले रंग की गाडी ली हो
कब चीजें खोकर जरूर मिल जाती हैं?
जब चीजें सोमवार या बुधवार को खोती हैं
जब चीज़ों के खोने पर उपाय कर दिया जाए
जब गुरु बलवान हो या गुरु की दृष्टि हो
जब साढे साती या ढैया उतर रही हो
जब आपका मूलांक 05, 07 या 09 हो
क्या सामान का खोना-पाना कोई संकेत देता है या ये शुभ अशुभ भी होता है?
चीज़ों का खोना या मिलना ग्रहों की स्थिति के बारे में बताता है
सोने का खोना शुभ नहीं होता परन्तु मिलना शुभ होता है
शीशा या रुमाल का खोना शुभ नहीं होता है परन्तु इनका मिलना शुभ होता है
कपडों का खोने बिलकुल शुभ नहीं होता ,यह किसी बीमारी का संकेत देता है
रत्नों का खोना शुभ होता है ,इससे कोई बड़ी बाधा टल जाती है
किसी मांगलिक कार्य के समय सौंदर्य प्रसाधन का खोना आपके स्वस्थ होने का सूचक है
अगर आपका कोई सामान गायब हो गया हो
जैसे ही सामान गायब होने का पता चले
उसी समय एक सफ़ेद रंग का रुमाल ले लें
उसके बीचो बीच एक रूपये का सिक्का रक्खें
रुमाल को चारों कोनों से बाँध दें
चौबीस घंटों में खोयी हुयी वस्तु का पता चल जाएगा।
कालभैरव की पूजा से बाधाएं होती हैं दूर
शास्त्रों के अनुसार मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष अष्टमी को भगवान शिव कालभैरव रूप में प्रकट हुए थे इसलिए इस तिथि को व्रत एवं पूजा का विशेष विधान माना जाता है। तंत्र-मंत्र साधना के लिए कालभैरव की पूजा को बिशेष महत्व दिया जाता है। मान्यताओं के अनुसार कालभैरव की पूजा से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और काल भय भी समाप्त होता है।
मान्यताओं के अनुसारा कालभैरव को प्रसन्न करने के लिए रात में काले कुत्ते को मीठा भोजन कराएं, यह शुभ माना जाता है।
मान्यताओं के अनुसार कालभैरव की पूजा करने से सभी शत्रुओं, नकारात्मक उर्जा, कष्ट और सभी पाप दूर हो जाते हैं। भैरव जी की पूजा उपासना से मनोवांछित फल मिलता है। कालभैरव का व्रत करने पर उनकी प्रिय वस्तु नींबू, अकौन के फूल, सरसों का तेल, नारियल, काले तिल, उड़द, पुए, मदिरा, सुगंधित धूप दान करें।
भारत में काल भैरव के कई मंदिर हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण हैं काशी के काल भैरव, यह मंदिर विश्वनाथ मंदिर से दो किमी दूरी पर हैं। काशी के बाद उज्जैन का काल भैरव मंदिर काफी प्रसिद्ध है। यहां काल भैरव को प्रसाद के रुप में केवल शराब चढ़ाते हैं। दिल्ली के विनय मार्ग पर भी काल भैरव का मंदिर है, इन्हें बटुक भैरव मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की स्थापना पांडव भीमसेन ने की थी। नैनीताल के पास घोड़ाखाला का बटुकभैरव मंदिर काफी प्रसिद्ध है। यहां यह मंदिर गोलू देवता के नाम से जाना जाता है।
कालभैरव की पूजा करने से सभी क्रूर ग्रहों का प्रभाव खत्म हो जाता है। इनकी पूजा करने से किसी भी प्रकार का भय, जादू-टोना, भूत-प्रेत आदि का भय खत्म होता ऐसी मान्यताएं कहती हैं। साथ ही शत्रु से मुक्ति, संकट आदि पर विजय मिलती है। इनकी अराधना करने से शनि का प्रकोप भी शांत होता है। पूजा करते समय अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!! इस मंत्र का जप करें।
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार भगवान ब्रह्मा और विष्णु में श्रैष्ठता को लेकर विवाद हुआ था। इस विवाद को सुलझाने के लिए सभी देवता भगवान शंकर के पास आए। सभी देवता और ऋषि-मुनियों ने शिव को ही श्रेष्ठ मान लिया। यह बात ब्रह्मा जी को अच्छी नहीं लगी और उन्होंने शिव को अपशब्द कह दिए। इससे भगवान शंकर को गुस्सा आया और इसी गुस्से से कालभैरव का जन्म हुआ। कालभैरव ने शंकर जी के अपमान करने पर ब्रह्माजी का सिर काट दिया। इसलिए ब्रह्मा चतुर्मुख हो गए।
इन कामों से मिलता है स्वर्ग
आधुनिक जीवन में सफलता का अर्थ पैसों और सुख-सुविधा की चीजों से जुड़ा हुआ है। आप जितना भी धन कमा लेंगे दुनिया आपको उतना ही कामयाबी कहेगी, अंधाधुध पैसे कमाने की होड़ में कोई व्यक्ति ये नहीं सोचता कि उससे भौतिक दुनिया की सुख-सुविधा कमाने के कारण कितने पाप हो गए हैं।
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान कृष्ण ने कई नीतियों के उपदेश दिए हैं। इसमें बताए गए एक श्लोक के अनुसार, जो मनुष्य ये 4 आसान काम करता है, उसे निश्चित ही स्वर्ग की प्राप्ति होती है। ऐसे मनुष्य के जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्म माफ हो जाते हैं और उसे नर्क नहीं जाना पड़ता।
दान
दान करने का अर्थ है किसी जरूरतमंद को वो चीज निशुल्क उपलब्ध करवाना, जिसे पाने में वो अक्षम है। दान करने से पहले या बाद किसी को भी दान के बारे में नहीं बताना चाहिए। दान को हमेशा गुप्त ही रखना चाहिए.
आत्म संयम
कई बार ऐसा होता है कि हमारा मन और दिमाग दोनों विपरीत दिशा में चलते हैं और हम अधर्म कर बैठते हैं। गीता में दिए गए ज्ञान के अनुसार मन को वश में कर लेने से व्यक्ति द्वारा किसी पाप को करने की संभावना रहती है।
सत्य बोलना
कलियुग में सत्य और असत्य का पता लगाना मुश्किल हो गया है। किसी भी व्यक्ति की बात को सुनने मात्र से ये नहीं कहा जा सकता कि वो झूठ बोल रहा है या सच। अगर आपने भूतकाल में कोई गलत काम किया है, तो आप शेष बचे जीवन में हमेशा सत्य बोलकर पापों का प्रायश्चित कर सकते हैं।
ध्यान या जप
आधुनिक युग में ऐसे लोग बहुत कम बचे हैं, जो रोजाना ध्यान करते हो। पूजा-पाठ भगवान को प्रसन्न करने के लिए नहीं बल्कि स्वंय का स्वंय से मिलन करवाने के लिए की जाती है। आत्मध्यान करके हम आत्मसाक्षात्कार कर सकते हैं। नियमित रूप से स्वच्छ मन से जप या ध्यान करने से भूल से हुई गलतियों से पार पाया जा सकता है.इन कामों से मिलता है स्वर्ग
आधुनिक जीवन में सफलता का अर्थ पैसों और सुख-सुविधा की चीजों से जुड़ा हुआ है। आप जितना भी धन कमा लेंगे दुनिया आपको उतना ही कामयाबी कहेगी, अंधाधुध पैसे कमाने की होड़ में कोई व्यक्ति ये नहीं सोचता कि उससे भौतिक दुनिया की सुख-सुविधा कमाने के कारण कितने पाप हो गए हैं।
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान कृष्ण ने कई नीतियों के उपदेश दिए हैं। इसमें बताए गए एक श्लोक के अनुसार, जो मनुष्य ये 4 आसान काम करता है, उसे निश्चित ही स्वर्ग की प्राप्ति होती है। ऐसे मनुष्य के जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्म माफ हो जाते हैं और उसे नर्क नहीं जाना पड़ता।
दान
दान करने का अर्थ है किसी जरूरतमंद को वो चीज निशुल्क उपलब्ध करवाना, जिसे पाने में वो अक्षम है। दान करने से पहले या बाद किसी को भी दान के बारे में नहीं बताना चाहिए। दान को हमेशा गुप्त ही रखना चाहिए.
आत्म संयम
कई बार ऐसा होता है कि हमारा मन और दिमाग दोनों विपरीत दिशा में चलते हैं और हम अधर्म कर बैठते हैं। गीता में दिए गए ज्ञान के अनुसार मन को वश में कर लेने से व्यक्ति द्वारा किसी पाप को करने की संभावना रहती है।
सत्य बोलना
कलियुग में सत्य और असत्य का पता लगाना मुश्किल हो गया है। किसी भी व्यक्ति की बात को सुनने मात्र से ये नहीं कहा जा सकता कि वो झूठ बोल रहा है या सच। अगर आपने भूतकाल में कोई गलत काम किया है, तो आप शेष बचे जीवन में हमेशा सत्य बोलकर पापों का प्रायश्चित कर सकते हैं।
ध्यान या जप
आधुनिक युग में ऐसे लोग बहुत कम बचे हैं, जो रोजाना ध्यान करते हो। पूजा-पाठ भगवान को प्रसन्न करने के लिए नहीं बल्कि स्वंय का स्वंय से मिलन करवाने के लिए की जाती है। आत्मध्यान करके हम आत्मसाक्षात्कार कर सकते हैं। नियमित रूप से स्वच्छ मन से जप या ध्यान करने से भूल से हुई गलतियों से पार पाया जा सकता है.
घड़ी भी तय करती है भविष्य
जीवन में समय सबसे बड़ा बलवान माना जाता है। मनुष्य हमेशा समय के साथ चलता है, अगर वह नहीं चला तो पीछे रह जाएगा। समय अच्छा हो या बुरा वह हर किसी के जीवन में आता-जाता रहता है। जो समय एक बार चला जाए तो वह जीवन में कभी वापस नहीं आता। परंतु क्या आप जानते हैं कि गलत दिशा में घड़ी रखने से आपके जीवन पर असर पड़ सकता है। वास्तु के अनुसार अगर घर की गलत दिशा में घड़ी लगी हो तो परिवार वाले परेशानियों से घिर जाते हैं इसलिए घड़ी लगाते समय ध्यान रखें।
वास्तु के अनुसार घर में कभी बंद घड़ी न रखें, इससे घर में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हमेशा अपने घर में घड़ी को चालू रखें। यदि आपके घर मे बंद घड़ी है तो उसको तुरंत निकाल दें।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घड़ी को कभी भी दक्षिण की दिशा में नहीं लगाना चाहिए। दक्षिण, यम की दिशा मानी जाती है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार यम को मृत्यु का देवता माना जाता है। हमेशा घड़ी को उत्तर-पूर्व की तरफ ही लगाएं।
ज्यादातर लोग घडी को दरवाजे या फिर खिड़की के पास लगा देते हैं। ऐसा करने से परिजनों की सेहत पर असर पड़ सकता है। कमरे के दरवाजे से मनुष्य ही नहीं प्रकृति की उर्जा भी प्रवेश करती है। दरवाजे या खिड़की पर घड़ी लगाने से खुशियां प्रवेश नहीं कर पातीं, इससे घर में अच्छा माहौल नहीं रहता।
वास्तु के अनुसार घर में घड़ी का शीशा टूटा नहीं होना चाहिए और साथ ही घर की कोई भी घड़ी समय से पीछे न चले। अगर हो सके तो घड़ी की सुई को 5 से 7 मिनट आगे ही रखनी चाहिए।
वास्तु के अनुसार किसी भी प्रकार की घड़ी को तकिए के नीचे नहीं रखनी चाहिए। इससे व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अगर आप नए अवसर तलाश रहे हैं तो घड़ी को पश्चिम दिशा में लगाएं।
कुंडली दोष दूर करती है लक्ष्मीपूजा
कुंडलीनी दोष दूर करने के लिए यदि आप उपाय करते-करते थक गए हैं तो आपको बतला दें कि शुक्रवार को लक्ष्मीपूजा करने से आप इनसे आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। आपकी कुंडली में किसी भी प्रकार का दोष हो आप शुक्रवार को लक्ष्मीपूजा वाला उपाय जरुर करें इससे दोष दूर हो जाएगा। वैसे भी कहा जाता है कि कुंडली में शुक्र अशुभ हो, तो वैवाहिक जीवन में संकट पैदा हो जाता है। आपको बताते चलें कि इस शुक्र को सही दिशा में उपयोगी बनाने के लिए आप ये उपाय कर सकते हैं। इनसे दोष भी दूर होंगे, जैसे कि भगवान विष्णु के मंत्र का जाप 108 बार करें। यह मंत्र है- ‘ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।।’ इसमें परेशानी हो तो आप भगवान विष्णु के नामों का जप भी कर सकते है। इसके अतिरिक्त शुक्र ग्रह के लिए हीरा, चांदी, चावल, मिसरी, सफेद कपड़ा, दही, सफेद चंदन आदि चीजों का दान भी किया जा सकता है। इसके साथ ही किसी गरीब व्यक्ति को या फिर पास किसी मंदिर में दूध का दान भी आप कर सकते हैं। दोष दूर करने के लिए किसी सुहागन को सुहाग का सामान दान कर दें, इससे भी राहत मिलती है। चूड़ियां, कुमकुम, लाल साड़ी आदि का दान करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और मन वांछित फल देती हैं।
जाते हुए धन को रोकेंगे ये उपाय
तरह-तरह के उपक्रम करने और पूरी मेहनत के बावजूद यदि आपके पास धन नहीं रुक रहा है तो सावधान हो जाएं। धन की कमी वाली परेशानी को दूर करने के लिए वास्तुशास्त्र में बताए गए कुछ आसान उपायों को आपके लिए यहां प्रस्तुत कर रहे हैं। इन्हें करके आप जाते धन को रोक सकते हैं और ऐसा करके धन की कमी भी खत्म हो जाएगी जिससे परिवार में सुख शांति आने में भी मदद मिलेगी।
इन्हें उपायों में सबसे पहले आप अशोक के पेड़ की जड़ का एक छोटा टुकड़ा ले आएं और प्रतिदिन जहां पूजा की जाती है वहां इसे रख दें। नियमानुसार इसकी पूरा भी रोजाना करें। ऐसा करने से आपका जाता हुआ धन रुक जाएगा और फिर धन की कमी भी नहीं रहेगी। इसी प्रकार यह तो सभी जानते हैं कि कुबेर धन के स्वामी हैं। अगर इनकी दृष्टि दरिद्र पर भी पड़ जाए तो वह धनवान हो जाता है। अत: इन्हें पूजने या इनका यंत्र तिजोरी में रखने से कभी आपकी तिजोरी खाली नहीं होगी और आपका जाता धन भी रुका रहेगा। कुबेर यंत्र से आपका धन तिजोरी में एकदम सुरक्षित होने के साथ ही साथ बढ़ता भी जाएगा। इसके अतिरिक्त एक उपाय और किया जा सकता है जिसमें कि नमक का प्रयोग होता है। घर के ईशान कोण में नमक भरकर किसी पात्र को स्थापित करें। नमक के मामले में यह ध्यान रहे कि वह साबुत होना चाहिए और एक बार रखकर उसे भूल न जाएं बल्कि उसे बार-बार बदलें। ऐसा करने से भी धन जाने से रुक जाता है और धन की कमी भी जाती रहती है।
दान करें लेकिन ग्रह अनुसार
वैसे तो कहा यही जाता है कि दान से बड़ा कोई धर्म नहीं, लेकिन कभी आपने सोचा है कि दान भी कभी-कभी आपके लिए परेशानी ला सकता है। जी हॉं कुछ ऐसी चीजें हैं जिनके दान करने से अशुभ हो जाता है। वैसे सनातन धर्म ही नहीं बल्कि अन्य धर्मों में भी दान को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। यह परंपरा या रीति-रिवाज़ से बड़कर होता है। अनेक तरह के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए भी दान किया जाता है। दान करने वाले के लिए कहा गया है कि उसे भोग-विलास से छुटकारा मिल जाता है और उसे मृत्युपरांत भी लाभ मिलता है। दूसरे शब्दों में जीवन भर के पापों से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है दान। यही वजह है कि ज्योतिष शास्त्र में भी दान का विशेष महत्व बताया गया है। ज्योतिषियों द्वारा व्यक्ति विशेष की जन्म पत्रिका के अनुसार दान करने को कहा जाता है। यही कारण है कि दानदाता तो रुपए-पैसे के अतिरिक्त भोजन, महंगे आभूषण और अन्य वस्तुओं तक का दान करते देखे जाते हैं। इसके बावजूद कहा जाता है कि दान ग्रहों की स्थिति को देखते हुए ही किया जाना चाहिए, अन्यथा इससे लाभ मिलने की बजाय हानि होने लगती है। जन्म कुण्डली के विभिन्न ग्रहों को शांत करने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के दान कर्म किए जाते हैं। ज्योतिष अनुसार ग्रह स्थिति देखी जानी चाहिए और उसी अनुसार दान किया जाना चाहिए ताकि वह आपके लिए उत्तम फलदायी हो।
कारोबार बढ़ाने करें यह उपाय
मनुष्य अपनी उन्नति के लिए व्यवसाय शुरू करता है, किंतु कई बार यह देखने में आता है कि व्यक्ति मेहनत तो बहुत करता है, परंतु उतना लाभ उसको नहीं मिलता। जिससे वह हमेशा दुखी रहता है।
ऐसे दुखी व्यक्ति नीचे लिखे मंत्र का जप करें। ईश्वर के आशीर्वाद से व्यापार में अत्यंत लाभ मिलेगा।
मंत्र : ॐ श्रीं श्रीं श्रीं परमाम् सिद्धिं श्री श्री श्रीं।
इस मंत्र को सिद्ध करने के लिए पूर्ण स्वच्छता का ध्यान रखें।
पूर्ण साफ मन से प्रदोष के दिन स्नान करके प्रभु शिव का ध्यान करते हुए पूर्ण निराहार होकर व्रत (उपवास) रखें। उस दिन अन्न न लें।
शाम को (गोधूली बेला में) शिवजी का पूजन करें एवं असगंध के फूल को घी में डूबाकर रख लें।
तीन माला जाप उपरोक्त मंत्र की करें। तत्पश्चात एक माला से मंत्र पढ़ते हुए हवन करें।
यह प्रयोग 11 प्रदोष तक लगातार करें। पूर्ण फल मिलेगा।
भोलेनाथ को इस प्रकार करें प्रसन्न
भगवान शंकर को भोल नाथ भी कहा जाता है क्योंकि वह भक्तों की प्रार्थना से बहुत जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। वैसे तो धर्मग्रंथों में भोलेनाथ की कई स्तुतियां हैं, पर श्रीरामचरितमानस का ‘रुद्राष्टकम’ अपने-आप में सबसे बेहतर है।
‘रुद्राष्टकम’ केवल गाने के लिहाज से ही नहीं, बल्कि भाव के नजरिए से भी एकदम मधुर है। यही वजह है शिव के आराधक इसे याद रखते हैं और पूजा के समय सस्वर पाठ करते हैं। ‘रुद्राष्टकम’ और इसका भावार्थ आगे दिया गया है।
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं । विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ॥
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं । चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥1॥
(हे मोक्षरूप, विभु, व्यापक ब्रह्म, वेदस्वरूप ईशानदिशा के ईश्वर और सबके स्वामी शिवजी, मैं आपको नमस्कार करता हूं. निज स्वरूप में स्थित, भेद रहित, इच्छा रहित, चेतन, आकाश रूप शिवजी मैं आपको नमस्कार करता हूं.)
निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं । गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकालकालं कृपालं । गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ॥2॥
(निराकार, ओंकार के मूल, तुरीय (तीनों गुणों से अतीत) वाणी, ज्ञान और इन्द्रियों से परे, कैलाशपति, विकराल, महाकाल के भी काल, कृपालु, गुणों के धाम, संसार से परे परमेशवर को मैं नमस्कार करता हूं.)
तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं । मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ॥
स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा । लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥3॥
(जो हिमाचल के समान गौरवर्ण तथा गंभीर हैं, जिनके शरीर में करोड़ों कामदेवों की ज्योति एवं शोभा है, जिनके सिर पर सुंदर नदी गंगाजी विराजमान हैं, जिनके ललाट पर द्वितीया का चन्द्रमा और गले में सर्प सुशोभित है…)
चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं । प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ॥
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं । प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि ॥4॥
(जिनके कानों में कुण्डल शोभा पा रहे हैं. सुन्दर भृकुटी और विशाल नेत्र हैं, जो प्रसन्न मुख, नीलकण्ठ और दयालु हैं. सिंह चर्म का वस्त्र धारण किए और मुण्डमाल पहने हैं, उन सबके प्यारे और सबके नाथ श्री शंकरजी को मैं भजता हूं।)
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं । अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ॥
त्रय: शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं । भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥5॥
(प्रचंड, श्रेष्ठ तेजस्वी, परमेश्वर, अखण्ड, अजन्मा, करोडों सूर्य के समान प्रकाश वाले, तीनों प्रकार के शूलों को निर्मूल करने वाले, हाथ में त्रिशूल धारण किए, भाव के द्वारा प्राप्त होने वाले भवानी के पति श्री शंकरजी को मैं भजता हूं।)
कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी । सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ॥
चिदानन्दसंदोह मोहापहारी । प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥6॥
(कलाओं से परे, कल्याण स्वरूप, प्रलय करने वाले, सज्जनों को सदा आनंद देने वाले, त्रिपुरासुर के शत्रु, सच्चिदानन्दघन, मोह को हरने वाले, मन को मथ डालनेवाले हे प्रभो, प्रसन्न होइए, प्रसन्न होइए।)
न यावद् उमानाथपादारविन्दं । भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्।
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं । प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ॥7॥
(जब तक मनुष्य श्रीपार्वतीजी के पति के चरणकमलों को नहीं भजते, तब तक उन्हें न तो इहलोक में, न ही परलोक में सुख-शान्ति मिलती है और अनके कष्टों का भी नाश नहीं होता है। अत: हे समस्त जीवों के हृदय में निवास करने वाले प्रभो, प्रसन्न होइए।)
न जानामि योगं जपं नैव पूजां । नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ॥
जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं । प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो ॥8॥
(मैं न तो योग जानता हूं, न जप और न पूजा ही। हे शम्भो, मैं तो सदा-सर्वदा आप को ही नमस्कार करता हूं। हे प्रभो! बुढ़ापा तथा जन्म के दु:ख समूहों से जलते हुए मुझ दुखी की दु:खों से रक्षा कीजिए। हे शम्भो, मैं आपको नमस्कार करता हूं।)
रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ॥।
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ॥9॥
(जो मनुष्य इस स्तोत्र को भक्तिपूर्वक पढ़ते हैं, उन पर शम्भु विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं।)
आध्यात्मिक जीवन के लिए साधु, संतों की संगत करें
जीवन में संगत का बेहद प्रभाव पड़ता है जैसी संगत हम करते हैं वैसा ही फल हमें मिलता है। जिस प्रकार अच्छी गुणवत्ता के गुलाब की किस्म को कमजोर गुणवत्ता वाली गुलाब की किस्म के पास लगाया जाता है। यह इसलिए किया जाता है ताकि कमजोर किस्म के गुलाब का परागण उच्च किस्म के गुलाब के साथ हो सके और उनकी गुणवत्ता में निखार आ सके। ठीक इसी तरह कमजोर को बेहतर बनाने का प्रयत्न किया जाता है।
ठीक उसी प्रकार यह सिद्धांत हमारी जिंदगी में भी काम करता है। कहा भी जाता है कि हम जिस तरह के लोगों की संगत में रहते हैं उसी से हमारी पहचान बनती है। इसी तरह अगर हम आध्यात्मिक जीवन में प्रगति चाहते हैं तो हमें साधु,संतों और उन लोगों का साथ हासिल करना चाहिए जो उस रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं। अगर हम किसी ऐसे व्यक्ति के साथ कुछ समय बिताते हैं जो खुद ध्यान और प्राणायाम करता है तो हम पर उसकी इन आदतों का असर होगा ही। अच्छे लोगों की संगति हमें अच्छे रास्तों पर आगे बढऩे की प्रेरणा देती है। तो आपको अपनी संगति का मूल्यांकन करना चाहिए कि आप कैसी संगति में हैं। यदि आप ऐसे दोस्तों के साथ जुड़े हैं जो आपकी तरक्की में सहायक हैं या जिनके साथ रहते हुए आप नई चीजें सीख पा रहे हैं तो यह आपके लिए अच्छी बात है लेकिन अगर ऐसा नहीं हो रहा है तब आपको चिंता करनी चाहिए।
आप जिन लोगों के साथ रहते हैं उनके व्यवहार के कारण ही आपके बारे में कोई भी धारणा बनाने का काम होता है इसलिए अपनी संगति के प्रति अत्यधिक सावधानी और सतर्कता रखनी चाहिए। जिस तरह किसी भी आईने में व्यक्ति का अक्स नजर आ जाता है उसी तरह दोस्तों से आपके मिजाज का अंदाज हो जाता है। इसलिए युवा अवस्था में संगति बना भी देती है और बिगाड़ भी सकती है। यही वजह है कि अपनी संगति का चयन बहुत ही देखभाल के साथ करना चाहिए।
इस प्रकार करें मां लक्ष्मी को खुश
धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा पाने से ही हमें सभी सुख और वैभव मिलते हैं। दिपावली के दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सबसे बेहतर योग होता है। इस समय किये गये इन उपायों से आप मां लक्ष्मी को खुश कर सकते हैं। इससे आप जीवन में धन समृद्धि के साथ ही सभी सुख पा सकते हैं।
.दीपावली पांच दिन का पर्व होता है तो इन पांचों दिन कम से कम एक दीप जरूर जलांए। इसके साथ ही लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए पहले एक मुठ्ठी चावल रखें फिर उसके उपर दीपक रखें इससे आप पर मां लक्ष्मी की कृपा होगी।
दीपावली के दिन सुबह पूजा के समय पीतल या तांबे के लोटे में शुद्ध जल भर कर,उस में थोड़ी हल्दी डाल कर पूजा में रखें। पूजा के बाद इस जल को पूरे घर में झिड़क दें। इस तरह मां लक्ष्मी की कृपा आप पर सदैव बनी रहेंगी।
दीपावली की रात को पूजा करने के बाद सभी कमरों में शंख बजाना चाहिए इस से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
दीपावली के दिन आप अपनी पत्नी अथवा मां को लाल वस्त्र उपहार में दें मां और पत्नी को पूरा सम्मान दें क्योंकि मां लक्ष्मी भी वहीं कृपा बरसाती हैं जहां घर की लक्ष्मी का सम्मान होता है। दीपावली की रात को कपूर जला कर उसमें शुद्ध रोली डाल दें। फिर उस राख की पुडिया बना कर किसी लाल रूमाल में बांध रख लें। इससे प्रक्रिया को करने से व्यापार में समृद्धि होती है।
कुंडली दोष इस प्रकार होंगे दूर
अगर आपकी कुंडली में किसी प्रकार का दोष है तो शुक्रवार को किए गए कुछ उपाय दोष से उन दोषों को दूर कर सकते हैं। कुंडली में शुक्र अशुभ हो, तो वैवाहिक जीवन में सुख नहीं मिल पाता है। यहां जानिए कुछ ऐसे उपाय जो शुक्रवार को करना चाहिए, जिनसे लक्ष्मी कृपा मिल सकती है और शुक्र के दोष भी दूर हो सकते हैं।
भगवान विष्णु के मंत्र का 108 बार जप करें।मंत्र: ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि। यदि आप चाहे तो भगवान विष्णु के नामों का जप भी कर सकते है।
शुक्र ग्रह के लिए हीरा, चांदी, चावल, मिसरी, सफेद कपड़ा, दही, सफेद चंदन आदि चीजों का दान भी किया जा सकता है। किसी गरीब व्यक्ति को या किसी मंदिर में दूध का दान करें।
शुक्रवार को किसी विवाहित स्त्री को सुहाग का सामान दान करें। सुहाग का सामान जैसे चूड़ियां, कुमकुम, लाल साड़ी इस उपाय से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती है। शिवलिंग पर दूध और जल चढ़ाए। साथ ही ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करें। मंत्र का जप कम से कम 108 बार करना चाहिए। जप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करना चाहिए।
इस प्रकार मिलेगी प्रेम में सफलता
जीवन में प्रेम का भी अहम स्थान होता है पर कई लोगों को यह नहीं मिलता। ऐसे लोगों के लिए यहां प्रस्तुत हैं कुछ उपाय। यह तो सभी जानते हैं कि शरद रितु प्रेम के लिए उत्तम मानी गई है, ऐसे में प्रेम के देवता भगवान श्रीकृष्ण ने भी इसी समय महारास रचाया था। इस रितु का चंद्रमा आपको मनचाहे प्रेम का वरदान देता प्रतीत होता है। इसलिए प्रेम चाहने वाले यदि यह उपाय करें तो वो सफल अवश्य ही होंगे।
शाम के समय राधा-कृष्ण की उपासना करें।
दोनों को संयुक्त रूप से एक गुलाब के फूलों की माला अर्पित करें।
मध्य रात्रि को सफेद वस्त्र धारण करके चन्द्रमा को अर्घ्य दें।
इसके बाद “ॐ राधावल्लभाय नमः” मंत्र का कम से कम 3 माला जाप करें।
या मधुराष्टक का कम से कम 3 बार पाठ करें।
फिर मनचाहे प्रेम को पाने की प्रार्थना करें।
भगवान को अर्पित की हुई गुलाब की माला को अपने पास सुरक्षित रख लें।
इन उपायों से निश्चित ही मनचाहे प्रेम की प्राप्ति होती है और सभी संबंधों में प्रेम और लगाव बढ़ने लगता है।
आभूषण के संदेश को भी समझें
आभूषण नारी को हमेशा प्रिय रहे हैं। इससे नारी का सौंदर्य कई गुना बढ़ जाता है। आभूषण सुंदरता बढ़ाने के साथ ही उसे स्वस्थ भी रखते हैं। हर आभूषण् के अंदर एक गुण सन्देश छिपा है। सभी महिलाओं को चाहिये की आभूषण धारण करने के साथ ही आभूषण के अन्तर्गत निहीत अर्थ संन्देश को भी हृदयगम करे, ताकी उस आभूषण नाम सार्थक हो सके|
काजल – शील का जल आंखों में रखें|
नथ – मन को नियन्त्रित रखें, जिससे नाक ऊंची रहे |
टीका – बुराई छोड़ दे |
बिंदी – ध्यान रखें यश का ही टीका लगे|
वंदनी – पति एवं गुरूजनों की वन्दना करें |
कर्ण फूल – कानों से दूसरों की प्रशंसा सुनें |
कण्ठहार – पति के गले का हार बनें |
कडे़ -किसी से कड़ी बात न बोलें|
छल्ले – किसी से छल न करें
करधनी या कमरबंद – सत्कर्मो के लिए हमेशा कमर बाँधकर तैयार रहें|
पायल – सभी बड़ी बूढ़ी औरतों के पाँव ( चरण ) स्पर्श करें|
मेहेंदी – लाज की लाली बनायें रखें|
महिलाओं को राशि के अनुसार दें उपहार
हर राशि की महिला का अपना अलग स्वभाव व पसंद होती है। इसलिए महिलाओं को उनकी पसंद के अनुसार उपहार दिये जाने चाहिये। ऐसे में अगर आप किसी लड़की को उसकी पसंद के कपड़े या फैशन की कोई वस्तु देना चाहते हैं, तो उसकी राशि के अनुसार ही दें। इसमें सिर्फ कपड़े ही नहीं अन्य सभी समान भी आते हैं। राशियों के अनुसार महिलाओं की पसंद ऐसी होती है। मेष राशि- मेष राशि वाली महिलाओं में एक खास खूबी होती है। यह किसी भी नए फैशन ट्रेंड को अपनाने में सबसे आगे रहती हैं। फिर बात चाहे नए तरह के बैग खरीदने की हो या फिर दोस्तों के बीच फैशनेबल दिखने की। मेष राशि की महिलाएं नए ट्रेंड को लेकर काफी साहसी भी होती हैं और नए स्टाइल को लेकर इनमें किसी तरह की झिझक नहीं होती है। इस राशि की महिलाएं लाल रंग को पसंद करती हैं और अपने लुक को बेहतर बनाने के लिए चमकदार एसेसरीज को अधिक तवज्जो देती हैं। वृष राशि- इस राशि की महिलाएं ब्रांड और लेबल को लेकर बेहद सजग होती हैं। यह ब्रांडेड और गुणवत्तायुक्त कपड़े खरीदना ही पसंद करती हैं। मिथुन राशि- इस राशि की महिलाएं काफी मजाकिया और प्यार के प्रति संवेदनशील होने के साथ ही अपने अजीबो-गरीब फैशन सेंस के लिए जानी जाती हैं। वह सीजन के साथ बदलते फैशन ट्रेंड को पसंद करती हैं। साथ ही नए तरह के लुक और अलग स्टाईल को भी प्रचलन में लाती हैं और बाद में उन्हें अपना खुद का फैशन बताने लगती हैं। कर्क- कर्क राशि की महिलाएं परंपरागत और आरामदायक वस्त्रों को पसंद करती हैं। रूढ़ीवादी पसंद के बावजूद इस राशि की महिलाएं अपनी त्वचा पर विशेष ध्यान देती हैं। इस राशि की महिलाएं किसी भी ट्रेंड को ज्यादा समय तक नहीं अपनाती हैं और इनकी पसंदीदा एसेसरीज नेकलेस और मोती है। सिंह राशि- इस राशि की महिलाएं लक्जरी को पसंद करती हैं। इनके लिए यह जरूरी नहीं कि कपड़े और एसेसरीज महंगे ही हो, पर वह विशिष्ट जरूर हों। इस राशि की महिलाओं की पसंद काफी अच्छी होती है। कन्या राशि – इस राशि की महिलाएं कभी भी हल्का सा भी मुड़ा हुआ वस्त्र नहीं पहनती हैं। ऐसी महिलाएं रूढ़ीवादी होने के साथ-साथ प्रगतिशील भी होती हैं और इनका फैशन इनके व्यक्तित्व को दर्शाता है। इस राशि की महिलाएं साधारण, अच्छी फिटिंग और एक से अधिक सीजन तक चलने वाले कपड़ों को तवज्जो देती हैं। तुला-राशि की महिलाएं कपड़ों का चयन करने में थोड़ा समय जरूर लेती हैं, लेकिन उनके सामने फैशन को लेकर कभी भी संकट की स्थिति नहीं होती है। मेकअप की बात करें तो यह हल्का और प्राकृतिक ही होता है। वृश्चिक राशि की महिलाओं में फैशन को लेकर खासा क्रेज होता है। इस राशि की महिलाएं ट्रेंड को पसंद करती हैं। उन्हें पता होता है कि उनके लिए क्या अच्छा है और इनके अंदर दिखावे का डर नहीं होता। यह रूप बदलने में माहिर होती हैं। धनु राशि- की महिलाएं फैशन के बढ़ते प्रचलन की परवाह नहीं करती है। यह फैशन को तभी अपनाती है जब अपने परिवेश में वह उस फैशन को लेकर सहज महसूस करे। धनु महिलाएं मेकअप काफी कम करती हैं और यदा-कदा ही गहनों का प्रयोग करती हैं। इस राशि की महिलाएं साधारण, रूढ़ीमुक्त और निरहंकारी होती हैं। मकर राशि-इस राशिकी महिलाओं के लिए स्टेटस और इमेज काफी महत्वपूर्ण होता है। जब ये काम पर नहीं होती है तो इनका स्टाईल काफी सामान्य होता है। पर बहुत ज्यादा केजुअल भी नहीं। इस राशि की महिलाएं पहनावे को सफलता से जोड़कर देखती हैं। ऐसेसरीज और आभूषणों पर इस राशि की महिलाएं काफी खर्च करती हैं। कुंभ राशि- इस राशि की महिलाएं शॉपिंग मॉल से काफी दूर रहती हैं। इसके बजाए यह सस्ते स्टोर से पारंपरिक चीजें खरीदना पसंद करती हैं। ये फैशन फॉलोअर नहीं होती हैं। वहीं करती हैं। उनका अपना व्यक्तिगत स्टाइल होता है। इन्हें वैसे रंग पसंद है जो हल्का हो और बर्बस ही ध्यान खींचते हों। जैसे फिरोजी नीला, गुलाबी और हरा। मीन राशि और फैशन पानी को कभी भी सीमाएं नहीं पसंद, इसी प्रकार मीन राशि वालों को भी बंदिशें नहीं पसंद। वो हमेशा ग्रेसफुल दिखना चाहती हैं। इस राशि की लड़कियों की एक खासियत यह भी होती है कि ये वही कपड़े पहनती हैं, जिसमें वो कंफर्टेबल महसूस करें।
नवरात्रि में फलाहार का है वैज्ञानिक आधार
नवरात्रि में देवी की उपासना के साथ ही नौ दिनों के उपवास होते हैं इन दिनों फलाहार ही होता है। इन दिनों घर में सादे नमक की जगह सेंधा नमक और गेहूं के आटे की जगह बल्कि सिर्फ कूटू का आटा या सिंघाड़े का आटा खाया जाता है। इसके पीछे धार्मिक के साथ ही वैज्ञानिक आधार भी है।
आयुर्वेद के मुताबिक गेहूं, प्याज़, लहसुन, अदरक जैसी चीज़ें नकारात्मक ऊर्जा आकर्षित करती हैं। वहीं मौसम के बदलने पर हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति काफी कम होती है, जिसकी वजह से शरीर को बीमारियां लगती हैं। ऐसे में इन चीज़ों का सेवन करना नुकसानदायक साबित हो सकता है। व्रत करने का मतलब है रोज़ के खाने से शरीर पर रोक लगाना। ऐसे में लोग आसानी से पच जाने वाला और पोषक तत्वों से भरा खाना खाते हैं। गेहूं, पाचन क्रिया को धीमा करता है, इसलिए लोग इससे परहेज़ करते हैं। परिवर्तित खाने की जगह फल, सब्जी, जूस और दूध पीना ज्यादा बेहतर माना जाता है।
सेंधा नमक
देखा गया है कि नवरात्रि के समय लोग खाना बनाने में सादे नमक की जगह सेंधा नमक का इस्तेमाल करते हैं। सेंधा नमक पहाड़ी नमक होता है, जो स्वास्थ्य के साथ व्रत के खाने में शामिल किए जाने वाला सबसे शुद्ध नमक माना जाता है। यह कम खारा और आयोडीन मुक्त होता है। इसमें सोडियम की मात्रा कम, पोटेशियम और मैग्नीशियम की मात्रा ज़्यादा पाई जाती है, जो कि हार्ट के लिए काफी फायदेमंद होता है।
साबूदाना
इसे हर तरह के व्रत में खाया जा सकता है। साबूदाना एक प्रकार के पौधे से निकाले जाने वाला पदार्थ होता है, जिसमें स्टार्च की मात्रा काफी अधिक होती है। इसमें कार्बोहाइड्रेट और थोड़ा प्रोटीन भी शामिल होता है। साबूदाना शरीर को आवश्यक शक्ति प्रदान करता है। इससे आप साबूदाना खीर, टिक्की या फिर साबूदाना खिचड़ी जैसे कई व्यंजन बना सकते हैं।
कूटू का आटा
कूटू का आटा एक पौधे के सफेद फूल से निकलने वाले बीज को पीसकर तैयार किया जाता है। आमतौर पर लोग इसे व्रत में खाते हैं, क्योंकि न तो यह अनाज है और न ही वनस्पति। यह एक घास परिवार का सदस्य है। कहते हैं कि इस आटे की तासीर गर्म होती है, जिससे शरीर में कार्बोहाइड्रेट और ग्लूकोज़ का स्तर बढ़ता है। कूटू का आटा ग्लूटन फ्री होने के साथ काफी पौष्टिक भी होता है। इसमें फाइबर, प्रोटीन और विटामिन-बी की मात्रा अधिक होती है। इस आटे में आयरन, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस जैसे कई मिनरल्स होते हैं, जो कि व्रत के लिए पौष्टिक आहार माने जाते हैं।
सिंघाड़े का आटा
व्रत में पूरा दिन फलाहार खाने के बाद जब रात में भूख लगती है, तो लोग या तो कूटू के आटे की पकौड़ी खाते है या सिंघाड़े के आटे की। असल में यह आटा सूखे पिसे सिंघाड़े से बनता है। इसमें पोटेशियम और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ज़्यादा और सोडियम और चिकनाई की मात्रा कम होती है।सिंघाड़ा, एक तरह का फल होता है, जिसमें फाइबर, विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं. व्रत के समय में इसे खाने का मतलब है, शरीर के पोषक तत्वों से जुड़ी जरूरतों को पूरा करना।
रामदाना
यह फलाहार पोषक तत्वों से भरा है। इसमें प्रोटीन और कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है। व्रत के समय लोग, अनाज की जगह अपने खाने में इसे शामिल कर सकते हैं। इसमें ग्लायसैमिक इंडेक्स कम होता है और यह ग्लूटेन फ्री भी होता है। आप इससे रामदाना चिक्की या लड्डू समेत कई तरह के पकवान बना सकते हैं। कई लोग तो इसे दूध में ऊपर से डालकर खाना पसंद करते हैं।
गुरुवार को न करें ये काम
भारतीय सभ्यता में हर दिन का अलग महत्व है। खासतौर से गुरुवार को तो धर्म का दिन मानते हैं। गुरु को लेकर एक भी मान्यता है कि यह दूसरे ग्रहों के मुकाबले ज्यादा भारी होते है। इसलिए इस दिन कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए, जिससे शरीर या घर में हल्कापन आता हो क्योंकि गुरु के प्रभाव में आने वाले कारक तत्वों का प्रभाव हल्का हो जाता है. वो काम कौन से हैं, जिन्हें गुरुवार को नहीं करना चाहिए, आप भी जानिये।
ना बाल धोएं ना कटाएं
शास्त्रों के अनुसार महिलाओं की जन्मकुंडली में बृहस्पति पति और संतान का कारक होता है। इसका मतलब यह है कि गुरु ग्रह संतान और पति दोनों के जीवन को प्रभावित करता है। ऐसे में गुरुवार को महिलाएं अगर अपना सिर धोती हैं या बाल कटाती हैं तो इससे बृहस्पति कमजोर होता है और पति व संतान की उन्नति रुक जाती है।
गुरु ग्रह को जीव भी कहा जाता है। जीव यानी कि जीवन। जीवन से तात्पर्य है आयु. गुरुवार को नाखून काटने और शेविंग करने से गुरु ग्रह कमजोर होता है, जिससे जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उम्र में से दिन कम हो जाता है।
घर में अधिक वजन वाले कपड़ों को धोने, कबाड़ घर से बाहर निकालने, घर को धोने या पोछा लगाने से बच्चों, पुत्रों, घर के सदस्यों की शिक्षा, धर्म आदि पर शुभ प्रभाव में कमी आती है।
गुरुवार को नारायण का दिन होता है, ये बात तो ठीक है. पर नारायण तभी प्रसन्न होंगे जब आप उनके साथ उनकी पत्नी यानी कि लक्ष्मी जी की भी पूजा करेंगे। गुरुवार को लक्ष्मी-नारायण दोनों की एक साथ पूजा करने से जीवन में खुशियां आती हैं और पति-पत्नी के बीच कभी दूरियां नहीं आतीं। साथ ही धन में भी वृद्धि होती है।
केमद्रुम दोष में जन्म लेने वाला व्यक्ति रहता है परेशान
यदि जन्म कुंडली में चन्द्रमा किसी भी भाव में अकेला बैठा हो, उससे आगे और पीछे के भाव में भी कोई ग्रह न हो तो केमद्रुम दोष बनता है। केमद्रुम दोष में जन्म लेने वाला व्यक्ति मानसिक रूप से हमेशा परेशान होता है। उसे हमेशा एक अज्ञात भय रहता है। उसके जीवन काल में अनेक उतार-चढ़ाव आते हैं। आर्थिक रूप से ऐसे व्यक्ति कमजोर ही रहते हैं। जीवन में अनेकों बार आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति खुद को बहुत समझदार समझते हैं। उन्हें लगता है की उनसे अधिक बुद्धिमान व्यक्ति कोई नहीं है। ऐसे व्यक्ति चिड़चिड़े और शक्की स्वभाव के होते हैं। संतान से कष्ट पाते हैं परन्तु दीर्घायु होते हैं। कुछ परिस्थितियों में केमद्रुम योग भंग या निष्क्रिय भी हो जाता है।
जन्म कुंडली में केमद्रुम दोष हो परन्तु चन्द्रमा के ऊपर सभी ग्रहों की दृष्टि हो तो केमद्रुम दोष के दुष्प्रभाव निष्क्रिय हो जाते हैं।-यदि चन्द्रमा शुभस्थान (केंद्र या त्रिकोण) में हो तथा बुद्ध, गुरु एवं शुक्र किसी अन्य भाव में एक साथ हो तो भी केमद्रुम दोष भंग हो जाता है।-यदि दसवें भाव में उच्च राशि का चन्द्रमा केमद्रुम दोष बना कर बैठा हो परन्तु उस पर गुरु की दृष्टि हो तो भी केमद्रुम दोष भंग माना जायेगा।यदि केंद्र में कहीं भी चन्द्रमा केमद्रुम दोष का निर्माण कर रहा हो परन्तु उस पर सप्तम भाव से बली गुरु की दृष्टि पड़ रही हो तो भी केमद्रुम दोष भंग हो जाता है।
आईये राहु-मंगल के मिलन से पड़ने वाले प्रभाव को जानें
जुलाई 2017 से मंगल जल तत्व राशि कर्क में प्रवेश कर चुका है जो उसकी नीच राशि है। वहीं 18 अगस्त, 2017 को राहू कर्क राशि में प्रवेश कर रहा है अत: दोनों का इस राशि में मिलन विश्व में भारी प्राकृतिक आपदा का सूचक है। उसके पूर्व राहू सूर्य के साथ भ्रमण कर रहा है एवं बुध भी गोचर के साथ है। मंगल अग्नि तत्व एवं कर्क राशि जल तत्व राशि है, दोनों एक-दूसरे के शत्रु हैं। जब-जब मंगल-राहू ऐसी राशि में भ्रमण करते हैं तब-तब जल प्रलय, भूकंप, हिंसा, राजनीतिक उथल-पुथल, सरकार व नेताओं एवं सेना के लिए भारी परेशानियों वाला समय होता है।
गोचर में अग्नि तत्व राशि सिंह में सूर्य, बुध-राहू का भ्रमण अशांति का सूचक है। राहू-मंगल की इस युति से आने वाले 60 दिन बहुत ही नाजुक होंगे और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि विश्व के उत्तरी भाग में भारी जल प्रलय के कारण तबाही का माहौल बन सकता है। हिमालय के आगे अफगानिस्तान, रूस, चीन, अटलांटिक यूरोप में इसके कारण बड़ी प्राकृतिक आपदा के साथ-साथ हिंसा, आंदोलन, विमान दुर्घटना, युद्ध जैसा माहौल होगा। राहू की दृष्टि शनि पर होगी जो और ज्यादा प्राकृतिक आपदा, हिंसा, आंदोलन व वृद्ध जैसी स्थिति पैदा करेगी।
भारत की वृषभ लग्न की कुंडली में फिलहाल चतुर्थ भाव में राहू का भ्रमण जनता को असमंजस स्थिति में डाले हुए है। पिछले लेख में राहू की माया के बारे में लिखा था। कुंडली का चतुर्थ स्थान जनता व दशम स्थान राजा का होता है। शनि सप्तम स्थान में भ्रमण कर रहा है और भाग्य, लग्न एवं चतुर्थ स्थान पर दृष्टि कर रहा है। चूंकि शनि भाग्य व दशम स्थान का मालिक भी है अत: भाग्य हानि इतनी नहीं हुई जो आगे जाकर होगी। राहू ने जनता को जकड़ रखा है एवं ऐसा प्रेमजाल फैला चुका है कि किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा है लेकिन आने वाले 15 महीनों में भारत में जबरदस्त परिवर्तन देखने को मिलेगा।
देश की आर्थिक स्थिति जैसी दिखाई जा रही है वैसी नहीं होगी एवं जो व्यापार या आर्थिक स्थिति और प्रगति की कल्पना की जा रही है वह शायद राहू कपोल कल्पना साबित कर दे तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। 18 अगस्त, 2017 से राहू का कर्क राशि में भ्रमण देश की कुंडली में तीसरे पराक्रम पड़ोस, मित्र स्थान में होगा। पड़ोसी अपनी नापाक हरकतों से ज्यादा परेशान करेगा एवं आतंकवादी घटना व छद्म युद्ध से ज्यादा नुक्सान पहुंचाने का प्रयास करेगा। सरकार, सेना व जनता को बहुत ही सतर्क रहकर कार्य करना होगा एवं किसी भी स्थिति से निपटने के लिए हमें हर पल एकजुट होकर सामना करना होगा।
आने वाले 60 दिन में पाक या चीन दोनों कोई बड़ी हरकत को अंजाम दे सकते हैं अत: हमें अति सचेत होकर चार गुना तीव्रता से उसका जवाब देने की तैयारी रखनी होगी। देश को एक तरफ आंतरिक और दूसरी तरफ बाहरी दुश्मनों का सामना करना पड़ेगा। देश के उत्तर-पूर्व एवं दक्षिण व दक्षिण-पश्चिम भाग में भारी वर्षा के कारण जल प्रलय व एवं दुर्घटना होना संभव है।7 अगस्त से 18 अगस्त के मध्य कोई आतंकवादी घटना या सैनिक कार्रवाई की आशंका रहेगी। वहीं शेयर बाजार भारी उतार-चढ़ाव के कारण हाहाकार मचा सकता है। भारत हाल में चंद्रमा की महादशा, राहू की अंतर्दशा में शनि की सूक्ष्म दशा में दिनांक 12 जुलाई से 7 अक्तूबर तक तत्पश्चात 24 दिसम्बर तक बुध एवं 25 जनवरी तक केतु की सूक्ष्म दशा में रहेगा जिस कारण देश को चारों ओर से संकट का सामना विशेषकर शत्रु से सावधान रहने की अति आवश्यक सावधानी रखनी पड़ेगी। शायद यह कहना अतिशयोक्तिपूर्ण न होगा कि भारत इस बार दीवाली पाकिस्तान के साथ मनाएगा।
कुल मिलाकर आने वाले 18 महीने राहू के कर्क राशि में भ्रमण के कारण यह कई वरिष्ठ नेताओं, अधिकारियों के निधन का संकेत देता है। वहीं पड़ोसी देशों से युद्ध करने का संकेत भी दे रहा है। कई प्रदेशों में सत्ता परिवर्तन एवं कई नेताओं का जेल भ्रमण का संकेत भी दे रहा है लेकिन शनि का वृश्चिक राशि में भ्रमण कई ऐसे राज खोलने का संकेत भी दे रहा है जिसके कारण देश की जनता आश्चर्यचकित हो जाए। कुल मिलाकर भारत के लिए आगामी 18 महीने तलवार की धार पर चलने के बराबर होंगे।
इन वस्तुओं का दान नहीं करें
सनातन ध्रर्म में दान की प्रथा शुरु से है और यह जीवन में बेहद अहम माना गया है पर इसमें भी
इन वस्तुओं का दान कभी मत करें, बर्बाद हो सकते हैं आपइन वस्तुओं का दान कभी मत करें, बर्बाद हो सकते हैं आपग्रहों की किस स्थिति में कैसा दान कर्म भूलकर भी नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा दान हमें हमेशा हानि ही देता है।
सनातन धर्म में दान को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। यह मात्र रिवाज़ के लिए नहीं किया जाता, वरन् दान करने के पीछे विभिन्न धार्मिक उद्देश्य बताए गए हैं। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार दान से इंद्रिय भोगों के प्रति आसक्ति छूटती है। मन की ग्रंथियां खुलती है जिससे मृत्युकाल में लाभ मिलता है।
जीवन भर किए गए पाप से मुक्त होने के लिए दान ही सबसे सरल और उत्तम माध्यम माना गया है। वेद और पुराणों में दान के महत्व का वर्णन किया गया है। यही कारण है कि हजारों वर्षों पुराने हिन्दू धर्म में आज भी विभिन्न वस्तुओं को दान करने के संस्कार का पालन किया जाता है। आजकल अधिकतर दान कर्म ज्योतिषीय उपायों को मद्देनज़र रख कर किए जाते हैं।
दान का महत्व
ज्योतिषियों द्वारा किसी व्यक्ति विशेष की जन्म पत्रिका का आंकलन करने के बाद, जीवन में सुख, समृद्धि एवं अन्य इच्छाओं की पूर्ति हेतु दान कर्म करने की सलाह दी जाती है। दान किसी वस्तु का, भोजन का, और यहां तक कि महंगे आभूषणों का भी किया जाता है।
जन्म कुण्डली के विभिन्न ग्रहों को शांत करने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के दान कर्म किए जाते हैं।
जन्म कुण्डली में कुछ ग्रहों को मजबूत एवं दुष्ट ग्रहों को शांत करने के लिए तो हम दान-पुण्य करते ही हैं, लेकिन ग्रहों की कैसी स्थिति में हमें कैसा दान नहीं करना चाहिए, यह भी जानने योग्य बात है।
ऐसा दान ना करें
क्योंकि ग्रहों की स्थिति के विपरीत यदि दान कर्म किया जाए, तो वह और भी बुरा असर देता है। ऐसे में हमारे द्वारा किया गया दान हमें अच्छा फल देने की बजाय, बुरा फल देना आरंभ कर देता है और हमें इस बात की जानकारी भी नहीं होती।
ग्रहों की किस स्थिति में कैसा दान कर्म भूलकर भी नहीं करना चाहिए, हम आज यही आपको बताने जा रहे हैं। ज्योतिष विधा के अनुसार जन्मकुंडली में जो ग्रह उच्च राशि या अपनी स्वयं की राशि में स्थित हों, उनसे सम्बन्धित वस्तुओं का दान व्यक्ति को कभी भूलकर भी नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा दान हमें हमेशा हानि ही देता है।
सूर्य ग्रह
सूर्य मेष राशि में होने पर उच्च तथा सिंह राशि में होने पर अपनी स्वराशि का होता है। यदि किसी जातक की कुण्डली में सूर्य इन्हीं दो राशियों में से किसी एक में हो तो उसे लाल या गुलाबी रंग के पदार्थों का दान नहीं करना चाहिए। इसके अलावा गुड़, आटा, गेहूं, तांबा आदि दान नहीं करना चाहिए। सूर्य की ऐसी स्थिति में ऐसे जातक को नमक कम करके, मीठे का सेवन अधिक करना चाहिए।
चंद्र ग्रह
चन्द्र वृष राशि में उच्च तथा कर्क राशि में अपनी राशि का होता है। यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में चंद्र ग्रह ऐसी स्थिति में हो तो, उसे खाद्य पदार्थों में दूध, चावल एवं आभूषणों में चांदी एवं मोती का दान नहीं करना चाहिए। ऐसे जातक के लिए माता या अपने से बड़ी किसी भी स्त्री से दुर्व्यवहार करना हानिकारक हो सकता है। किसी स्त्री का अपमान करने पर ऐसे जातक मानसिक तनाव का शिकार हो जाते हैं।
मानसिक तनाव हो सकता है
जिस जातक के लिए चंद्र ग्रह स्वराशि हो उसे किसी नल, टयूबवेल, कुआं, तालाब अथवा प्याऊ निर्माण में कभी आर्थिक रूप से सहयोग नहीं करना चाहिए। यह उस जातक के लिए आर्थिक रूप से हानिकारक सिद्ध हो सकता है।
मंगल ग्रह
मंगल मेष या वृश्चिक राशि में हो तो स्वराशि का तथा मकर राशि में होने पर उच्चता को प्राप्त होता है। यदि आपकी कुण्डली में मंगल ग्रह ऐसी स्थिति में है तो, मसूर की दाल, मिष्ठान अथवा अन्य किसी मीठे खाद्य पदार्थ का दान ना करें।
मीठे खाद्य पदार्थ का दान निषेध
आपके घर यदि मेहमान आए हों तो उन्हें कभी सौंफ खाने को न दें अन्यथा वह व्यक्ति कभी किसी अवसर पर आपके खिलाफ ही कटु वचनों का प्रयोग करेगा। यदि मंगल ग्रह के प्रकोप से बचना चाहते हैं तो किसी भी प्रकार का बासी भोजन न तो स्वयं खाएं और न ही किसी अन्य को खाने के लिए दें।
बुध ग्रह
बुध मिथुन राशि में तो स्वराशि तथा कन्या राशि में हो तो उच्च राशि का कहलाता है। यदि किसी जातक की जन्मपत्रिका में बुध उपरोक्त वर्णित किसी स्थिति में है तो, उसे हरे रंग के पदार्थ और वस्तुओं का दान कभी नहीं करना चाहिए। हरे रंग के वस्त्र, वस्तु और यहां तक कि हरे रंग के खाद्य पदार्थों का दान में ऐसे जातक के लिए निषेध है। इसके अलावा इस जातक को न तो घर में मछलियां पालनी चाहिए और न ही स्वयं कभी मछलियों को कभी दाना डालना चाहिए।
बृहस्पति ग्रह
बृहस्पति जब धनु या मीन राशि में हो तो स्वगृही तथा कर्क राशि में होने पर उच्चता को प्राप्त होता है। जिस जातक की कुण्डली में बृहस्पति ग्रह ऐसी स्थिति में हो तो, उसे पीले रंग के पदार्थ नहीं करना चाहिए। सोना, पीतल, केसर, धार्मिक साहित्य या वस्तुओं आदि का दान नहीं करना चाहिए। इन वस्तुओं का दान करने से समाज में सम्मान कम होता है।
शुक्र ग्रह
शुक्र ग्रह वृष या तुला राशि में हो स्वराशि का एवं मीन राशि में हो तो उच्च भाव का होता है। जिस जातक की कुण्डली में शुक्र ग्रह की ऐसी स्थिति हो, तो उसे श्वेत रंग के सुगन्धित पदार्थों का दान नहीं करना चाहिए अन्यथा व्यक्ति के भौतिक सुखों में कमी आने लगती है। इसके अलावा नई खरीदी गई वस्तुओं का एवं दही, मिश्री, मक्खन, शुद्ध घी, इलायची आदि का दान भी नहीं करना चाहिए।
शनि ग्रह
शनि यदि मकर या कुम्भ राशि में हो तो स्वगृही तथा तुला राशि में हो तो उच्च राशि का कहलाता है। यदि आपकी कुण्डली में शनि की स्थिति है तो आपको काले रंग के पदार्थों का दान कभी भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इसके अलावा लोहा, लकड़ी और फर्नीचर, तेल या तैलीय सामग्री, बिल्डिंग मैटीरियल आदि का दान नहीं करना चाहिए।
काला रंग
ऐसे जातक को अपने घर में काले रंग का कोई पशु जैसे कि भैंस अथवा काले रंग की गाय, काला कुत्ता आदि नहीं पालना चाहिए। ऐसा करने से जातक की निजी एवं सामाजिक दोनों रूप से हानि हो सकती है।
राहु ग्रह
राहु यदि कन्या राशि में हो तो स्वराशि का तथा वृष एवं मिथुन राशि में हो तो उच्च का होता है। जिस जातक की कुण्डली इसमें से किसी भी एक स्थिति का योग बने, तो ऐसे जातक को नीले, भूरे रंग के पदार्थों का दान नहीं करना चाहिए। इसके अलावा अन्न का अनादर करने से परहेज करना चाहिए। जब भी ये खाना खाने बैठें, तो उतना ही लें जितनी भूख हो, थाली में जूठन छोड़ना इन्हें भारी पड़ सकता है।
केतु ग्रह
केतु यदि मीन राशि में हो तो स्वगृही तथा वृश्चिक या फिर धनु राशि में हो तो उच्चता को प्राप्त होता है। यदि आपकी कुण्डली में केतु उपरोक्त स्थिति में है तो आपको घर में कभी पक्षी नहीं पालना चाहिए, अन्यथा धन व्यर्थ के कामों में बर्बाद होता रहेगा। इसके अलावा भूरे, चित्र-विचित्र रंग के वस्त्र, कम्बल, तिल या तिल से निर्मित पदार्थ आदि का दान नहीं करना चाहिए।