पटना, जनता दल (यू) के वरिष्ठ नेता और सांसद शरद यादव सांप्रदायिकता से खिलाफ नई दिल्ली में 17 अगस्त को सेमिनार का आयोजन किया है। यह कार्यक्रम जदयू की पटना में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के ठीक दो दिनों पहले आयोजित किया गया है। सूत्रों के अनुसार, राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने आमंत्रित जरूर किया है, लेकिन शरद यादव फिलहाल पार्टी से नाता तोड़ने के मूड में नहीं है। सूत्रों के अनुसार ऐसी स्थिति में पार्टी में विभाजन तय है ।
सूत्रों के अनुसार जदयू के कई नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार को पत्र लिख कर भाजपा से गठबंधन पर नाराजगी जतायी है। पार्टी नेताओं ने कहा कि 2013 में जब पार्टी ने राजग से अगल होने का फैसला किया था, तो पार्टी फोरम पर बात की गई थी। लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया है। तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, गुजरात तथा राजस्थान के जदयू नेताओं ने भाजपा के साथ गठबंधन के फैसले पर फिर से विचार करने का आग्रह किया है। पार्टी में एक ओर जहां भाजपा से गठबंधन पर विरोध किया जा रहा है, तो दूसरी तरफ, पार्टी सुप्रीमो व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुण गाने में लगे हुए हैं। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि ऐसी स्थिति में पार्टी में टूट की संभावनाएं काफी बढ़ गई हैं। प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भले ही शरद यादव को राजद से जुड़ने का आमंत्रण दिया है, लेकिन फिलहाल वह उनके साथ जाते दिखाई नहीं देते। शरद यादव ने इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर लगातार निशाना साधा है और उन्होंने भाजपा से गठबंधन के नीतीश कुमार के फैसले को भी दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। अब उन्होंने दिल्ली में सांप्रदायिकता के खिलाफ संम्मेलन का आयोजन करके एक बार फिर यही संकेत किया है कि वह भविष्य में नीतीश की राह पर चलने वाले नहीं। इसका सीधा अर्थ यही है कि जद यू में विभाजन का समय आ गया है।