नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल की बलात्कार पीड़िता मासूम लड़की को गर्भपात की अनुमति नहीं दी है। यह नाबालिग लड़की 32 सप्ताह की गर्भवती है। कोर्ट ने लड़की की मेडिकल रिपोर्ट पर विचार करते हुए उसकी याचिका को खारिज कर दिया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि गर्भपात करना लड़की और उसके बच्चे दोनों के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही केंद्र को सुझाव दिया है कि प्रत्येक राज्य में ऐसे मामलों में तत्परता से निर्णय लेने के लिए स्थाई मेडिकल बोर्ड गठित करे। बता दें कि 18 जुलाई को चंडीगढ़ कोर्ट ने भी लड़की की याचिका को खारिज कर दिया था। दरअसल, कोर्ट के संज्ञान में यह बात आई थी कि लड़की 26 सप्ताह की गर्भवती है। इसके बाद वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
अलख ने जनहित याचिका में देश के हर जिले में स्थायी मेडिकल बोर्ड के गठन को लेकर उचित दिशानिर्देश जारी करने की मांग की थी। बोर्ड के गठन की मांग हर संभव स्वास्थ्य सुविधाओं के बीच रेप पीड़ित बच्चियों के जल्द गर्भपात कराने के लिए की गई थी। देश की अदालतों ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनैंसी ऐक्ट के तहत 20 सप्ताह के भीतर गर्भपात की इजाजत दी है और वह भी उस हालात में जब गर्भ में पल रहा शिशु असामान्य हो।