नोटबंदी के बाद सबसे अधिक जोखिम में हैं भारतीय बैंक

नई दिल्ली, रेटिंग एजेंसी मूडीज के एक अध्ययन के अनुसार दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में भारतीय बैंक सबसे अधिक खतरे वाले बैंकों में हैं। पूंजी की कमी के चलते उनमें पर्याप्त कर्ज प्रावधान की कमी है। एजेंसी ने अपने एक अध्ययन में कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा नवंबर, 2016 में हुई नोटबंदी के बाद भारतीय बैंकों के पास अपार धन आया। इसके बावजूद मूडीज का यह बताना हैरानी भरा है।
अध्ययन के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास पूंजी जुटाने के लिए इक्विटी बाजारों तक उनकी सीमित क्षमता के बावजूद सरकार इन संस्थानों में पूंजी निवेश बढ़ाने को लेकर अनिच्छुक नजर आती है। इस सप्ताह की शुरुआत में मूडीज ने कई भारतीय बैंकों को लेकर अपना दृष्टिकोण संशोधित किया है। इसे सकारात्मक से नकारात्मक या फिर स्थिर किया गया है।
राजस्व और जीडीपी में होगी वृद्धि
इसी माह मूडीज ने कहा था कि माल एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था को लागू करना भारत की रेटिंग के लिये सकारात्मक कदम है। इससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की गति और तेज होगी और कर राजस्व में वृद्धि होगी। मूडीज के उपाध्यक्ष (सावरेन जोखिम समूह) विलियम फोस्टर ने कहा कि जीएसटी से मध्यम अवधि में कारोबार सुगमता बढऩे, राष्ट्रीय बाजार का एकीकरण होने और विदेशी निवेश स्थल के तौर पर भारत का आकर्षण बढऩे से हमारा मानना है कि उत्पादकता बढ़ेगी और जीडीपी वृद्धि की गति और तेज होगी।

 

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