भोपाल, प्रदेश के विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लगता नजर आ रहा है। 31 जुलाई को सरकार के खिलाफ प्रदेश के 50 हजार निजी स्कूल बंद रहेंगे। भोपाल के 2 हजार निजी स्कूल भी विरोध में शामिल होंगे। मान्यता संबंधी नियमों को लेकर शिवराज सरकार की नई नीति के खिलाफ विरोध जताते हुय यह निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही प्राइवेट स्कूल संचालक शासन की नीति के विरुद्ध जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन करेंगे। निजी स्कूल संचालक मान्यता नियमों में स्कूल संचालन के लिए एक एकड़ जमीन की अनिवार्यता, बीएड, डीएड शिक्षकों को ही रखने जैसे अन्य नियमों को लेकर आपत्ति जता रहे हैं। इसके पहले भी प्राइवेट स्कूलों की समस्याओं को लेकर सीएम को भी ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन अभी तक निराकरण नहीं हुआ है। इसके खिलाफ एक दिन स्कूल बंद रखने का निर्णय लिया गया है।
वसूली का खेल चला रही सरकार
इस साल स्कूलों के पास एक एकड़ जमीन होने का नियम लागू किया गया है। मान्यता का नवीनीकरण तभी होगा, जबकि स्कूलों के पास एक एकड़ जमीन होगी। यह नियम अधिकांश स्कूल पूरे नहीं करते। लोक शिक्षण संचालनालय के सूत्रों का कहना है कि इसी नियम के आधार पर वूसली की योजना काम कर रही है।
मान्यता देते समय बनाने थे नियम
संचालकों ने बताया कि हमारे स्कूल 30-40 साल पहले से संचालित हो रहे हैं। हमें मान्यता दी गई। अब यह नए नियम कैसे लागू किये जा सकते हैं। हमारे द्वारा लगातार उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम दिए जा रहे हैं। हमारे स्कूलों की मान्यता का नवीनीकरण हर साल संभाग स्तर पर हो जाता था, लेकिन इस बार हमें जानबूझकर परेशान किया जा रहा है।
-ये नियम सरकारी स्कूल भी पूरे नहीं करते
स्कूलों शिक्षा विभाग के अफसरों का कहना है कि प्रदेश के अधिकांश सरकारी स्कूलों के पास भी एक एकड़ जमीन नहीं है। इन सरकारी स्कूलों का परीक्षा परिणाम भी लगातार गिर रहा है। ऐसे में निजी स्कूल अच्छा परीक्षा परिणाम दे रहे हैं। निजी स्कूलों से एक एकड़ जमीन होने के नियम पर छूट देने के नाम पर वसूली की जा रही है।
यह थे नियम, ऐसे की छेड़छाड़
2010 और 2015 के गजट में यह नियम लाया गया था कि जो भी स्कूल शहरों में स्थित हैं। यहां जमीन की समस्या है तो उनके पास जमीन की अनिवार्यता नहीं होगी। 2017 में नया गजट लाया गया है, जिसके अनुसार स्कूलों के पास एक एकड़ जमीन होना जरूरी है।
-सड़कों पर आ जाएंगे लाखों बच्चे
जो स्कूल पहले से संचालित हैं वे यह जमीन कहां से ला सकते हैं। ऐसे में प्रदेश के हजारों स्कूल बंद हो सकते हैं और उनमें पढऩे वाले लाखों विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में पड़ जायेगा। क्योंकि हिन्दी भाषी यह निजी स्कूल बेहद कम फीस में बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। वहीं, सीबीएसई से संबंद्ध कान्वेंट स्कूल हजारों फीस वसूलते हैं जिसका वहन बच्चे नहीं कर पाते। ऐसे बच्चे इन निजी स्कूलों में प्रवेश लेते हैं, लेकिन शिवराज सरकार के मंत्री इन बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने पर तुले हैं।