पटना,अंततः बिहार के दो सत्ताधारी दलों आरजेडी और जेडीयू के बीच पिछले कुछ दिनों से चली आ रही छींटाकशी का परिणाम मुख्यमंत्री नितीश कुमार के इस्तीफे के रूप में बुधवार शाम को सामने आया। जब जेडीयू संसदीय दल की बैठक के बाद नितीश कुमार राज्यपाल केशरीनाथ नाथ त्रिपाठी से मिलने गए और उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया।
इस्तीफे के बाद नितीश लालू यादव समेत पूरे विपक्ष पर भी आक्रामक दिखे उन्होंने कहा कि वह अपनी तरफ से प्रयत्न कर थक गए, लेकिन तेजस्वी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर आरजेडी ने चीजें साफ नहीं की। नीतीश ने कहा इस स्थिति में उन्होंने अंतरात्मा की आवाज सुन कर इस्तीफे का निर्णय लिया। नीतीश ने विपक्षी एकता पर भी तंज कसा। कहा की पहले उन नोटबंदी पर दिल्ली के समर्थन पर निशाना बनाया गया। फिर राष्ट्रपति चुनाव में कोविंद का समर्थन करने पर भी निशाने पर लिया गया। ऐसे पर लालू यादव के दल के साथ उनके लिए और आगे काम करना संभव नहीं था।
नीतीश ने अभी भावी कदम का खुलासा तो नहीं किया, लेकिन समझा जा रहा है कि वह भाजपा के साथ जा सकते हैं। उन्होंने इशारा किया कि सारे रास्ते खुले हुए हैं। नीतीश कुमार ने कहा, ‘जितना संभव हुआ है हमने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए उसी के मुताबिक काम करने की कोशिश की। बिहार में सामाजिक परिवर्तन की बुनियाद रखी, शराब बंदी लागू की।
इसके पहले महागठबंधन में दो फाड़ की खबरों के बीच राजद सुप्रीमो ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि तेजस्वी प्रसाद इस्तीफा नहीं देंगे। नीतीश ने इस्तीफा नहीं मांगा हैं।
लालू ने कहा कि नीतीश महागठबंधन के नेता हैं। हमने गठबंधन और नीतीश को मुख्यमंत्री बनाया है। उनसे कोई मनमुटाव नहीं हैं। तेजस्वी को जहां सफाई देनी होगी, वहां दे देंगे। लेकिन, इस्तीफा नहीं देंगे। हमारी सरकार को पांच साल के लिए जनादेश मिला है हम इसे पांच साल चलाएंगे।
भाजपा पर साधा निशाना
लालू ने कहा कि राज्य में विपक्षी भाजपा की लार नीतीश पर टपक रही है। वह महागठबंधन में दरार डालकर सत्ता में लौटने के लिए फडफ़ड़ा रही है। लेकिन, हम ऐसा नहीं होने देंगे।