बेंगलूरु ,अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप का युग शुरू होने की दहलीज पर है. एैसे में भारतीयों के मन एच1बी वीजा नियमों में बदलाव की संभावना को लेकर हलचल तेज होने लगी है. अमेरिका में कारोबार कर रही प्रौद्योगिकी क्षेत्र की भारतीय कंपनियों ने इस स्थिति से निपटने के लिए कमर कस ली है. ये कंपनियां अमेरिका में स्थानीय कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने और दूसरे कर्मचारियों के साथ उनका समन्वय बढ़ाने के तौर तरीकों पर विचार कर रही हैं.
ट्रंप के सत्ता में आने के बाद एन1बी पर भारत से इंजीनियर लाने के बजाय स्थानीय लोगों को नौकरी देना अनिवार्य किया जा सकता है. ट्रंप के वरिष्ठï नीति सलाहकार स्टीफन मिलर ने एच1बी वीजा देने की मौजूदा लॉटरी व्यवस्था को खत्म करने का प्रस्ताव रखा है. पिछले महीने ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के दो सांसदों ने एक विधेयक पेश किया था जिसमें एच1बी वीजा धारकों के न्यूनतम वेतन में एक लाख डॉलर की बढ़ोतरी और कार्य वीजा की फीस में बढ़ोतरी का प्रावधान है. दो कंपनियों टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) और इन्फोसिस लिमिटेड का कहना है कि उन्हें इस बदलाव का पूर्वाभास है और इसे देखते हुए उन्होंने अमेरिका में अपनी स्थानीय टीमें बनाना शुरू कर दिया है.