नई दिल्ली, देश के पांच शीर्ष डॉक्टरों की समिति मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) के कामकाज की निगरानी करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा गठित समिति को मंजूरी देते हुए यह भी साफ कर दिया है कि इसका काम सिर्फ कामकाज की निगरानी तक ही सीमित होगा। समिति में एम्स के निदेशक और दो डॉक्टरों के अलावा पीजीआइ चंडीगढ़ और बेंगलुरु निम्हांस के निदेशक भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष एमसीआइ के कामकाज की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में एक वर्ष के लिए निरीक्षण समिति का गठन किया था। इस समिति का कार्यकाल समाप्त हो गया था। गत सोमवार कोर्ट ने केंद्र सरकार से नई निरीक्षण समिति प्रस्तावित करने को कहा था।
मंगलवार को केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने नई समिति के लिए पांच डॉक्टरों के नाम कोर्ट के समक्ष पेश किए। जिनमें एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया, एम्स के प्रोफेसर डॉ. वीके पॉल और डॉ. निखिल टंडन, पीजीआइएमईआर चंडीगड़ के निदेशक डॉ. जगतराम और निम्हांस बेंगलुरु के निदेशक डॉ. बीएन गंगाधरन शामिल हैं। यह समिति तत्काल प्रभाव से अपना कामकाज शुरू कर देगी। मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सरकार की ओर से दिए गए डॉक्टरों के नामों को मंजूरी दे दी। पीठ ने कहा कि वे जानते हैं कि ये सभी डॉक्टर बहुत ही काबिल और असंदिग्ध निष्ठा वाले लोग हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने इनमें से किसी डॉक्टर के समिति में रहने से इन्कार करने की स्थिति में सरकार को दूसरे डॉक्टर को उसकी जगह शामिल करने की इजाजत भी दे दी है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि यह समिति एमसीआइ के कामकाज की निगरानी के लिए अधिकृत होगी। एमसीआइ के सारे फैसलों और सिफारिशों को सरकार तक भेजने से पहले इस निरीक्षण समिति से मंजूरी लेनी होगी। यह निरीक्षण समिति (ओवरसाइट कमेटी) एमसीआइ के कामकाज में सुधार के लिए उचित निर्देश जारी कर सकती है। ये निरीक्षण समिति केंद्र सरकार द्वारा इस बारे में कोई और तंत्र बनाने या उसके अगले आदेश तक काम करती रहेगी।
देश के शीर्ष पांच डॉक्टरों की समिति करेगी MCI के काम-काज की देखरेख
