भोपाल,मंदसौर में गोलीकांड के जरिए किसानों की हत्या करने के मामले में सत्ता पक्ष के जो लोग यह आरोप लगाते हैं कि इस घटना के पीछे कांग्रेसी नेताओं का हाथ है, दरअसल उन्हें मालूम होना चाहिए कि इस हत्याकांड में किसी और का नहीं बल्कि केंद्र का हाथ है। इस आशय की बात आज मप्र विधानसभा में विपक्ष द्वारा लाए गए स्थगन पर चर्चा में हिस्सा ले रहे कांग्रेसी विधायक ओमकार सिंह ने कही। मप्र विधानसभा में मानसून सत्र के तीसरे दिन बुधवार को भी स्थगन पर चर्चा जारी रही, जिसमें हिस्सा लेते हुए कांग्रेस विधायक ओमकार सिंह ने कहा कि किसान आंदोलन और पुलिस गोलीचालन में जो लोग समझते हैं कि कांग्रेसियों का हाथ है, दरअसल इसमें कांग्रेसियों का नहीं बल्कि केंद्र का हाथ है। वहीं भाजपा विधायक डॉ मोहन यादव ने कहा कि किसानों के आंदोलन को गलत रास्ते में ले जाने में जो भूमिका निभाई गई उससे विपक्ष का व्यवहार नक्सलाइटों को मात देता प्रतीत हुआ है। चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस सदस्य हर्ष यादव ने कहा कि मंदसौर की घटना मध्य प्रदेश के इतिहास में काला अध्याय जैसा है। उन्होंने अपनी बात को मजबूती से रखते हुए क्षेत्र में हुए आर्थिक सर्वेक्षण का हवाला भी दिया और कहा कि प्रदेश का किसान कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है। इसलिए सरकार से मांग है कि किसानों का कर्ज माफ किया जाए। खेत का बीमा हो, ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलु और सिंचाई के लिए पर्याप्त बिजली प्रदाय की जाए। इस प्रकार सत्ता पक्ष के सदस्य जहां मंदसौर की घटना को एक षडयंत्र निरुपित करते रहे तो वहीं सत्ता पक्ष इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी।
किसानों की रीढ़ तोड़ना चाहते हैं विरोधी
लगातार दूसरे दिन भी स्थगन पर हो रही चर्चा में भाग ले रहे कांग्रेस विधायक डॉ राम किशोर ने इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि प्रदेश के किसानों की समस्याओं पर चर्चा इस तरह हो रही है मानों हास-परिहास हो रहा हो। उन्होंने कहा कि एक दूसरे पर आरोप मढ़ने से बेहतर होता कि सदन में इस बात पर चर्चा होती कि समस्याग्रस्त किसान को कैसे लाभ पहुंचाया जाए। उसकी बेहतरी के लिए क्या-क्या काम किए जाएं जिससे किसानों को आंदोलन करने के लिए सड़कों पर न आना पड़े। इसके साथ ही विधायक रामकिशोर ने कहा कि मंदसौर की घटना के लिए दरअसल एक थाना प्रभारी जिम्मेदार है, जिसके कारण यह बड़ी घटना घटित हो गई। यहां उन्होंने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट का भी जिक्र किया और सरकार से पूछना चाहा कि क्या सरकार आत्महत्या करने वाले किसानों के परिजनों को भी मुआवजा देगी? इसके साथ ही कांग्रेस विधायक ने अफसोस जाहिर किया कि यह चर्चा हास-परिहास के तौर पर की जा रही है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा विधायक पुष्पेंद्रनाथ पाठक ने क्षेत्रीय बोली के शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि उनके क्षेत्र के किसान उनसे पूछ रहे हैं कि “कौन मेर के किसान हथे?” उन्होंने यह जुमला मंदसौर और आस-पास के क्षेत्रों में किसानों द्वारा सड़कों और नालियों में दूध और सब्जी-भाजी फेंके जाने को लेकर कसा। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में तो दूध की एक बूंद यदि जमीन पर गिर जाती है तो उसे महिलाएं अपने पल्लू से पोंछती हैं और पूरा सम्मान देती हैं। यही नहीं बल्कि यदि दूध भरे गिलास में मख्खी गिर जाए और वह उपयोग के लायक भी न बचे तब भी उसे यूं फेंका नहीं जाता बल्कि उसे किसी पेड़ या पौधे की जड़ में डालकर सिरा दिया जाता है। ऐसे दूध का सम्मान करने वाले समाज में वो लोग आखिर किसान कैसे हो सकते हैं जो दूध को नालियों में बहा रहे थे। उन्होंने चर्चा में हिस्सा लेते हुए अपनी बात रखी और पूरे विश्वास के साथ कहा कि जो लोग किसानों के कर्ज की माफी की बात करते हैं दरअसल वो किसानों के हितैषी हैं ही नहीं। बल्कि वो तो ऐसा करके किसानों की रीढ़ ही तोड़ देना चाहते हैं, जबकि सरकार किसानों के हित में अनेक कार्य कर रहे है।
आप बात तो अच्छी करते हैं, लेकिन लंबी करते हैं: अध्यक्ष
मप्र विधानसभा में मानसून सत्र के तीसरे दिन स्थगन पर चल रही चर्चा में हिस्सा ले रहे कांग्रेस विधायक कुंवर सौरभ सिंह अपनी बात तर्क और तथ्यों के माध्यम से पूरी दमदारी से रख रहे थे, लेकिन तभी अध्यक्ष डॉ सीतासरन शर्मा ने समय पूर्ण होने का हवाला देते हुए उन्हें शांत करने की कोशिश की, लेकिन सदस्य अपनी बात रखने के लिए समय की मांग करते रहे। इस पर अध्यक्ष डॉ शर्मा ने बहुत ही शीरीं लहजे में कहा कि ‘आप बात तो अच्छी करते हैं, लेकिन लंबी करते हैं।’ यह सुनना था कि सदन में मुस्कान भरी ध्वनी छा गई और तभी आसंदी ने अन्य सदस्य को अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया। इससे पहले कांग्रेस विधायक ने किसानों के साथ होने वाली तरह-तरह की परेशानियों को तथ्यों के साथ रखा। उन्होंने बताया कि मंडी में तुलाई के दौरान किसानों को दलालों से खासी परेशानी होती है, क्योंकि उन्हें दलाली देने के लिए मजबूर किया जाता है। वहीं मंडी में चोरी होने वाली घटना से लेकर दो हेक्टेयर से कम जमीन वाले किसानों की समस्याओं को प्रमुखता से रखा। सदस्य सौरभसिंह ने कहा कि पुराने बीजों की सब्सिडी खत्म कर दी गई है जबकि ये ऐसे बीज हैं जो एक या दो पानी में ही अच्छी फसल तैयार हो जाती है। इस प्रकार तर्कों और तथ्यों से अपनी बात को सदन के सामने रख रहे कांग्रेसी विधायक को समय कम होने के कारण अध्यक्ष ने जहां रोका वहीं यह कहकर पीठ थपथपाने जैसा काम भी किया कि आप अच्छा बोलते हैं…!
सीएम कर सकते हैं स्वेच्छानुदान मद से राशि जारी
राज्य विधानसभा में आज प्रदेश के गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह ने जानकारी दी कि किसानों का कोई नुकसान होता है तो उसकी भरपाई के रूप में मुआवजा देने सामान्यत आरबीसी में राहत के प्रावधान है। उन्होंने स्पष्ट किया कि किन्हीं गंभीर प्रकरणों में मुआवजा देने के लिए मुख्यमंत्री को विशेषाधिकार प्राप्त है। वे ऐसे विशेष प्रकरणों में मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान मद से हटकर सहायता राशि जारी कर सकते हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि शासन स्तर पर फिलहाल कोई ऐसे स्पष्ट प्रावधान नहीं है। शासन ऐसे मामलों के लिए प्रावधान बनाने पर विचार कर रहा है। इससे पहले मूल प्रश्नकर्ता विधायक मुकेश नायक ने सवाल किया था कि क्या मंदसौर की जैसी घटना एवं अन्य घटनाओं के होने के बाद दिए जाने वाले मुआवजे की कोई स्पष्ट पॉलिसी सरकार ने बनाई है क्या अथवा यह सब मुख्यमंत्री की मंशा पर ही निर्भर करता है। इसी प्रश्न में अपना नाम जोड़ दिए जाने पर आपत्ति जताते हुए विधायक रामनिवास रावत ने कहा कि मेरा मूल प्रश्न अलग है, जिसे इस प्रश्न के साथ जोड़ दिया गया। इस मामले को लेकर सदन में मंत्री गौरीशंकर शैजवार तथा श्री रावत के बीच गरमागरम बहस हुई। इसके बाद आसंदी से नियम पढ़कर सुनाए गए तदोपरांत मामला शांत हुआ।
विधायक की उपस्थिति में होगी नल-जल योजनाओं की जांच
राज्य विधानसभा में आज प्रदेश की लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुश्री कुसुम मेहदेले ने सदस्य को आश्वस्त किया कि उनकी मौजूदगी में अधिकारी क्षेत्र में जाकर नल-जल योजनाओं की जांच कर लेंगे कि कितनी योजना चालू और कितनी बंद है। प्रश्नोत्तरकाल के दौरान यह आश्वासन विधायक लाखन सिंह यादव द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में दिया। इससे पहले विधायक श्री यादव ने अपने विधानसभा क्षेत्र में पिछले कुछ सालों से बारिश नहीं होने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि ज्यादातर नल-जल योजनाएं बंद पड़ हुई है और जनता पीने के पानी के लिए परेशान है। उन्होंने विधानसभा में गलत जानकारी देने का आरोप लगाते हुए कहा कि मैं महीने में बीस विधानसभा क्षेत्र में रहता हूं मेरे पास जानकारी है। उन्होंने मांग की जो जानकारी सरकार ने सदन में दी है उसकी जांच एक समिति का गठन कर करवा लें और साथ मुझे भी रख लें।काफी ना नुकूर के बाद मंत्री सुश्री मेहदेले ने हामी भर दी कि विभाग के अधिकारी मामले की जांच करेंगे और साथ में विधायक जी को भी रख लेंगे।
पात्रता पर्ची जारी करने 25 पात्रता श्रेणियों में होना अनिवार्य
खाद्यमंत्री ओमप्रकाश धुर्वे ने विधानसभा में जानकारी दी कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अंतर्गत हितग्राहियें को पात्रता पर्ची प्राप्त करने हेतु अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित 25 पात्रता श्रेणियों में होना अनिवार्य है।उन्होंने बताया कि खाद्य आवंटन की सीमा है। हमारे प्रदेश की आबादी के 75 फीसदी से ज्यादा गरीबों को खाद्यान्न नहीं दिया जा सकता है। यह जानकारी श्री धुर्वे ने प्रश्नकर्ता सदस्य सुंदरलाल तिवारी के प्रश्न के उत्तर में दी। इससे पहले श्री तिवारी एससी-एसटी वर्ग के परिवारों की पर्ची जनरेट नहीं होने का मामला उठाते हुए कहा कि अनाज के अभाव में गरीब रोज मर रहे हैं। क्या सरकार गरीबों को अधिनियम के तहत पांच किलो अनाज आवंटित कर रही है।आगे जानकारी देते हुए श्री धुर्वे बताया कि प्रदेश के पांच करोड़ 47 लाख गरीब परिवारों को हम सस्ता अनाज उपलब्ध करा रहे हैं।उन्होंने जानकारी दी कि प्रत्येक जिलों में कमेटी बन चुकी है और बोगस हितग्राहियों के नाम गरीबी रेखा की सूची से काटे जा रहे हैं और नए नामों को जोड़ा जा रहा है।
पहले आओ-पहले काम कराओं के आधार पर हो रहा सीमांकन का काम
राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने जानकारी दी कि जमीन के सीमांकन का कार्य पहले आओ और पहले काम कराओ के आधार पर ही हो रहा है। यह जानकारी उन्होंने विधायक ड़ा मोहन यादव द्वारा प्रश्नोत्तर काल के दौरान पूछे गए प्रश्न के उत्तर में दी। श्री यादव ने सीमांकन के लंबित आवेदनों पर चिंता प्रकट करते हुए किसानों की समस्या की ओर सदन का ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि किसान पटवारियों के चक्कर लगाने को मजबूर है और उनके काम नहीं हो रहे हैं। जवाब में श्री गुप्ता ने बताया कि नामांतरण, सीमांकन और बंटवारा आदि कार्यों की समस सीमा निर्धारित है। काम समयसीमा के अंदर ही हो रहे हैं। इसी मिलते-जुलते के सवाल विधायक मुकेश पंडया, कुंवर हजारीलाल दांगी ने पूछे थे। विधायक श्री पंडया के सवाल के जवाब में श्री गुप्ता ने बताया कि सीमांकन प्रकरणों के निराकरण हेतु ऑनलाइन सुविधा गत 2 जून से प्रारंभ की गई है। कांग्रेस के वरि‰ विधायक राम निवास रावत ने सीमांकन के प्रकरणों के निराकरण समय सीमा में हो इसके लिए इस सेवा को लोक सेवा गारंटी विधेयक के अंतर्गत लाने की मांग की, जिस पर श्री गुप्ता ने बताया कि सरकार सिस्टम को ठीक कर रही है।