उत्पादन तथा उत्पादकता दोनों को बढ़ाओ

लखनऊ,कृषि क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाए जाने की आवश्यकता है। यह बात प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने राज्य स्तरीय रबी उत्पादकता गोष्ठी के दौरान कही। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि वह अपने जनपद की फसलवार उत्पादकता का आंकलन करें और देखे की किन-किन फसलों की उत्पादकता राष्ट्रीय स्तर और प्रदेश स्तर से कम है। उनका मुख्य फोकस प्रदेश की उत्पादकता कैसे बढ़े इस पर होना चाहिए। प्राकृतिक संसाधनों के दोहन पर चिन्ता व्यक्त करते हुये उनके द्वारा बताया गया कि प्रदेश में देश की 17 प्रतिशत आबादी के लिए 03 प्रतिशत ही भू-जल उपलब्ध है।
कृषि निदेशक, उ0प्र0 द्वारा सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुये प्रदेश की रबी हेतु रणनीति पर चर्चा करते हुये बताया गया कि प्रदेश में बीज एवं खाद की पर्याप्त व्यवस्था कर दी गयी है। किसानों को रबी की बुवाई में किसी भी निवेश की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने अधिकारियों को पराली प्रबन्धन हेतु किसानों को जागरूक करने के निर्देश दिये तथा पराली में आग की घटनाओं के प्रति सजग रहने की अपेक्षा की गयी।
कृषि उत्पादन आयुक्त श्री मनोज कुमार सिंह ने इस अवसर पर बताया कि कुल उत्पादन में रबी फसलों का हिस्सा दो तिहाई होता है इसलिए रबी की फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। समय से बुवाई के महत्व के दृष्टिगत उन्होंने किसानों से समय से खेती की तैयारी करने का सुझाव दिया ताकि अधिकतम उत्पादकता प्राप्त की जा सके। जनपद लखनऊ के दो तीन गांवों को चयनित कर इसमें संरक्षित खेती के मॉडल तैयार करने के निर्देश दिये गये। बड़े-बड़े शहरो के पास के गांवों में भी इस तरह के मॉडल बनाने पर बल दिया गया। आमदनी वृद्धि हेतु किसानों को खेती के साथ-साथ खाद्य प्रसंकरण अपनाने की भी आवश्यकता है। कृषि एवं उद्यान विभाग द्वारा भी प्रयास किया जाये कि प्रत्येक गांव में संरक्षित खेती की कम से कम एक इकाई की स्थापना की जाये। उन्होंने बताया कि प्रदेश के प्रत्येक जिले में दो हाईटेक नर्सरी लगाने की व्यवस्था की गयी है। जिलाधिकारी एवं जिला उद्यान अधिकारी को इस बिन्दु पर तत्काल कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये। कृषि राज्य मंत्री द्वारा अपने उद्बोधन में इस खरीफ में मौसम की विपरीत परिस्थितियों का जिक्र करते हुये बताया गया कि धान, गेहूँ, गन्ना प्रदेश की मुख्य फसलें हैं। उन्होंने इस फसलों के अतिरिक्त अन्य फसलों की ओर उन्मुख होने के लिए कृषकों का आहवाहन किया। साथ ही प्राकृतिक खेती अपनाने पर भी जोर दिया गया। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती का सिद्धान्त है कि खर्चा कम हो आमदनी बढ़ें।

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