भोपाल,केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में नई दिल्ली में वामपंथी उग्रवाद पर समीक्षा बैठक में नक्सलवाद प्रभावित सभी राज्यों ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नियंत्रण और विकास के लिये किये जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि वर्ष 2020-21 में नक्सल प्रभावित जिलों में 12 लाख श्रमिकों को रोजगार प्रदान कर 802 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। नक्सल प्रभावित क्षेत्र में विगत 5 वर्ष में 375 करोड़ रुपये के अधोसंरचनात्मक निर्माण कार्य कराये गये हैं। इसके अतिरिक्त ईनामी नक्सली मुठभेड़ में मारे गये हैं और गिरफ्तारी भी की गई है।
बैठक में केन्द्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री श्री गिरिराज सिंह, जनजातीय मामलों के मंत्री श्री अर्जुन मुंडा, दूरसंचार, सूचना-प्रौद्योगिकी और रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव, सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल वी.के. सिंह और केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय भी उपस्थित थे। बैठक में बिहार, ओडिसा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्यप्रदेश और झारखण्ड के मुख्यमंत्री और आंध्र प्रदेश की गृह मंत्री, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और केरल के वरिष्ठ अधिकारी, केन्द्रीय गृह सचिव, केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के शीर्ष अधिकारी और केन्द्र तथा राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को निरंतरता
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बैठक में अवगत कराया कि प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों में नक्सलवाद को नियंत्रित करने के लिये सशस्त्र कार्यवाही करने के साथ ही निरंतर विकासात्मक कार्य कराये जा रहे हैं। प्रभावित क्षेत्र में लोगों को वृहद स्तर पर मनरेगा अंतर्गत रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। मनरेगा के 12 लाख श्रमिकों को रोजगार प्रदान करते हुए 2020-21 की एक वर्ष की अवधि में ही 802 करोड़ 57 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। विगत 5 वर्ष की अवधि में राज्य ने अपने स्रोतों से 375 करोड़ रुपये व्यय कर 430 किलोमीटर सड़कें एवं 14 पुल निर्मित किये हैं। इसके अतिरिक्त मध्यप्रदेश रूरल कनेक्टिविटी योजना एवं प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 72 करोड़ के व्यय से 1405 किलोमीटर की सड़कें नक्सल प्रभावित जिलों में बनाई गई हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश में पूर्व में निरस्त वन अधिकार दावों पर पुनर्विचार करते हुए 34 हजार पट्टे जनजाति भाई-बहनों को दिए गए हैं।
जनजातियों के आर्थिक सशक्तीकरण के कार्य निरंतर
चौहान ने बताया कि मध्यप्रदेश में जनजातियों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये निरंतर कार्य किये जा रहे हैं। अनुसूचित जनजाति ऋण विमुक्ति अधिनियम-2020 पारित किया है, जिससे अनुसूचित क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों को नियम विरूद्ध दिए गए ऋण अपने आप माफ हो गए हैं। राज्य में पेसा कानून को चरणबद्ध रूप से लागू करने का कार्य प्रारम्भ किया जा रहा है। “ग्राम न्यायालयों” को सशक्त करने की दिशा में राज्य के नियमों में संशोधन किया जाएगा। देवारण्य योजना के तहत अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों में औषधियों के उत्पादन की तकनीक और उनके लिए बाजार लिंकेज उपलब्ध कराई जा रही है। वन विभाग के माध्यम से संचालित गतिविधियों से बालाघाट, मण्डला एवं डिंडौरी जिले में रोजगार सृजित हुआ है।