भोपाल,मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि “शिक्षा का मुख्य उद्देश्य नई पीढ़ी को ज्ञान, कौशल और संस्कार देना है।” शिक्षक दिवस के रूप में आज का दिन भारत के पूर्व राष्ट्रपति, प्रख्यात शिक्षाविद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को समर्पित है। डॉ. राधाकृष्णन शिक्षा और ज्ञान को जीवन का सबसे सशक्त आधार मानते थे। मुख्यमंत्री ने शिक्षक दिवस पर अपने ट्वीट में लिखा है कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सपनों के शिक्षित, समर्थ और सशक्त भारत के निर्माण में मध्यप्रदेश अपना हरसंभव योगदान देने के लिए संकल्पित है। डॉ. राधाकृष्णन का मत था कि “शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है, जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करे।” वास्तव में समाज को गढ़ने का कार्य शिक्षक ही करते हैं।
अपने कर्त्तव्य के प्रति प्रतिबद्ध रहे शिक्षक
प्रदेश में शालेय शिक्षक न केवल आने वाली पीढ़ी को चुनौतियों के लिए तैयार कर रहे हैं, अपितु स्वयं भी चुनौतियों का दृढ़ता पूर्वक सामना कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण ने शालेय शिक्षा व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया था। बच्चों के एक साथ होने, सीखने, खेलने–कूदने, अन्य पाठ्येत्तर गतिविधियों और परस्पर आपसी संवाद से ही स्कूल नामक संस्था जीवंत थी और उसकी पहचान थी। वहाँ का आनंद एवं बच्चों में स्कूल के लिए रूचि इन्हीं कारणों से थी। कोरोना ने इन सब गतिविधियों को संक्रमण फैलने का कारण बना दिया। परिणामस्वरूप स्कूल लंबे समय तक बंद रहे। इस विपरीत परिस्थिति में भी विद्यार्थियों को ज्ञान- कौशल और संस्कार प्रदान करने के अपने कर्त्तव्य के प्रति शिक्षक प्रतिबद्ध रहे। शिक्षकों के इन प्रयासों के परिणामस्वरूप विद्यार्थियों के अध्ययन का क्रम नहीं टूटा और वे शिक्षा में निरंतरता अनुभव करते रहे।
शिक्षकों ने ऑनलाइन कक्षाएँ लेने के साथ कोरोना ग्रस्त लोगों की मदद भी की
प्रदेश के गुरूजन ने कोविड संक्रमण के दौरान दीक्षा, डिजिलेप, दूरदर्शन, रेडियो, व्हाटएप आदि माध्यमों से ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन कर शिक्षा व्यवस्था का संचालन किया। “हमारा घर-हमारा विद्यालय” जैसी योजनाओं के माध्यम से विद्यार्थियों तक निरंतर शिक्षा की पहुँच बनाए रखी। शिक्षा के साथ शिक्षकों ने कोरोना से ग्रसित लोगों के सर्वेक्षण, उनकी चिकित्सा तथा टीकाकरण मे सहयोग जैसे कार्य भी किये।