भोपाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री भरत सिंह सोलंकी और मप्र के पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने आज कहा कि केंद्र सरकार ने हर मोर्चे पर विफल होने के बाद अब सरकारी संपत्ति को बेचने का अभियान छेड़ दिया है। मोदी सरकार देश की बेशकीमती संपत्ति महज 6 लाख करोड़ रुपये में बेचने पर आमादा है। कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार के देश बेचने के अभियान का विरोध करती है।
सोलंकी ने कहा कि 2008 में भी देश में आर्थिक मंदी आई थी, लेकिन उस समय देश को मंदी से बाहर निकाल लिया गया। मनमोहन सिंह सरकार के समय हमने उन बैंकों पर आंच नहीं आने दी जिनका राष्ट्रीयकरण श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल में किया था। बैंकों को मनमोहन सिंह ने हर हालत में सलामत रखा और यही वजह थी कि भारत बहुत तेजी से आर्थिक मंदी से बाहर आ गया। लेकिन उसके बाद कांग्रेस सरकार के खिलाफ एक व्यापक षड़यंत्र और कुचक्र चलाया गया। हमारे ऊपर झूठे इल्जाम लगाए गए। जो घोटाले कभी नहीं हुए थे उन घोटालों के लिए हमें दोषी बताया गया। यह सब करने के बाद नरेंद्र मोदी ने देश को 15-15 लाख मुफ्त देने के सपने दिखाये। उन्होंने बड़े-बड़े वादे करके लोगों को भ्रमित किया। लेकिन आज सच्चाई यह है कि उन्होंने पहले नोटबंदी लागू की, फिर जीएसटी लागू किया और अब देश की अर्थव्यवस्था को नेगेटिव जोन में लेकर चले गए हैं। मोदी सरकार लगातार खराब आर्थिक विकास दर के लिए कोरोना महामारी को दोषी ठहराती है। लेकिन सच्चाई यह है कि कोविड-19 और लॉकडाउन शुरू होने से पहले ही आठ तिमाहियों से भारत की अर्थव्यवस्था लगातार नीचे जा रही थी। कांग्रेस की सरकारों के समय जीडीपी का मतलब होता था ग्रास डोमेस्टिक प्रोडक्ट। लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने जीडीपी का मतलब कर दिया है गैस, डीजल और पेट्रोल की महंगाई। मोदी सरकार नाकामियों और अर्थव्यवस्था की दुर्गति को विकास और सरकारी संसाधनों को बेचने को मौद्रीकरण जैसे जुमलों से ढंकना चाहती है। नरेंद्र मोदी सरकार जनता और मीडिया को उल्टा चश्मा पहनाने की कोशिश कर रही है।
केंद्र बेशकीमती संपत्ति महज 6 लाख करोड़ रुपये में बेचने पर आमादा -सोलंकी
