लखनऊ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के मानसून सत्र में विपक्ष के हंगामे पर जमकर कटाक्ष किया। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा, एक तरफ हमारा देश, हमारे युवा भारत के लिए नई सिद्धियां प्राप्त कर रहे हैं, जीत का गोल कर रहे हैं तो वहीं देश में कुछ युवा ऐसे भी हैं जो राजनीतिक स्वार्थ में सेल्फ गोल करने में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि देश क्या चाहता है, देश क्या हासिल कर रहा है, देश कैसे बदल रहा है? इससे इनको कोई सरोकार नहीं है। ये महान देश ऐसी स्वार्थ और देशहित विरोधी राजनीति का बंधक नहीं बन सकता। ये लोग देश को, देश के विकास को रोकने की कितनी भी कोशिश कर लें, ये देश इनसे रुकने वाला नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को उप्र में अन्न महोत्सव की शुरुआत की। इस दौरान उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या से उनसे वर्चुअली जुड़े। इस मौके पर उन्होंने प्रदेश के पांच लाभार्थियों से संवाद किया। अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि दिल्ली से अन्न का एक-एक दाना भेजा गया, वह आपकी थाली तक पहुंच रहा है। पहले की सरकारों के समय यूपी में गरीब के अनाज की जो लूट हो जाती थी, उसके लिए अब कोई रास्ता नहीं बचा है। भारत टीकाकरण के मामले में भी 50 करोड़ के दरवाजे पर खड़ा है। इस कोरोना कालखंड में भी जुलाई में जीएसटी का कलेक्शन हो या हमारा एक्सपोर्ट, दोनों नई ऊंचाई छू रहा है। एक लाख 16 हजार करोड़ का जीएसटी मिला है। आजादी के बाद पहली बार किसी एक महीने में भारत का एक्सपोर्ट ढाई लाख करोड़ से भी ज्यादा हो गया। दशकों बाद हम दुनिया के टॉप 10 देशों में है। मेक इन इंडिया विमान वाहक पोत विक्रांत समुद्र में अपना ट्रायल शुरू कर चुका है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस मुश्किल समय में एक भी गरीब ऐसा न हो जिसके घर में राशन न हो। यह सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है। 100 साल का यह सबसे बड़ा संकट, सिर्फ महामारी का ही नहीं है बल्कि इसमें कई मोर्चों पर है। अतीत में हमने अनुभव किया है जब देश में इस तरह का बड़ा संकट आता था तब देश के तमाम व्यवस्थाएं पूरी तरह से चरमरा जाती थीं, लेकिन आज भारत और भारत का प्रत्येक नागरिक पूरी ताकत से इस महामारी का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा से जुड़े दो बड़े फैसले ऐसे हैं। पहला फैसला इंजीनियरिंग की पढ़ाई से जुड़ा है। इंजीनियरिंग और टेक्निकल एजुकेशन की पढ़ाई से यूपी के गांव और गरीब की संतान बहुत हद तक भाषा की समस्या के कारण वंचित रह जाता था। अब इस बाध्यता को खत्म कर दिया गया है। हिंदी समेत अनेक भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग और टेक्निकल की पढ़ाई होगी। दूसरा बड़ा फैसला मेडिकल की पढ़ाई करने वालों के लिए है हमारी सरकार ने इसे बदलते हुए अब 10 फीसदी का आरक्षण दिया है। इतना ही नहीं यह आरक्षण सामान्य वर्ग के गरीब परिवार के बच्चों को भी मिलेगा।