गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मिलेंगे संघ प्रमुख भागवत

नई दिल्ली, देश में भाजपा और मोदी विरोधी राजनीतिक दलों ने जहां एक मंच पर एकजुट होने की कवायद शुरू की है वहीं अब दूसरी ओर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और पार्टी अध्यक्षों से मुलाकात करने की योजना तैयार की है। संघ विपक्ष और गैर भाजपा शासित राज्यों के नेताओं को यह भरोसा दिलाना चाहता है कि वह किसी भी विरोधी विचारधारा रखने वालों के खिलाफ नहीं है। संघ के सूत्रों का कहना है कि विपक्ष के नेताओं और मुख्यमंत्रियों से सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत खुद मुलाकात करेंगे और उन्हें संघ से संबंधित पुस्तकें भी भेंट करेंगे। इस योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है और संभावना है कि संघ के गुरु दक्षिणा कार्यक्रम के खत्म होने यानी रक्षाबंधन के बाद इसकी शुरुआत हो सकती है।
डैमेज कंट्रोल करेगा संघ
सूत्रों की बात मानें तो संघ हाईकमान का मानना है कि देश में ज्यादातर गैर-भाजपा राजनीतिक दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ माहौल बना रहे हैं, ऐसे में जरूरी है कि संघ डैमेज कंट्रोल की पहल करे। संघ बताना चाहता है कि वह किसी राजनीतिक विचारधारा का दुश्मन नहीं है। संघ का मानना है कि उनके इस योजना से मोदी की छवि खराब करने वालों के अभियान को कमजोर किया जा सकेगा। संघ का मानना है कि देश की नई पीढ़ी और मुख्यमंत्रियों को संघ के बारे में जानकारी कम है इसलिए वे संघ के खिलाफ हो रहे भ्रामक प्रचार के प्रभाव में जल्दी आ जाते हैं। इसलिए संघ सबसे मिलने की पहल करेगा। इस समय 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों से पहले मुलाकात होगी। इनमें तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव, आंध्र प्रदेश में जगन रेड्डी, ओडिशा में बीजू पटनायक, तमिलनाडु में स्टालिन, केरल में पिनराई विजयन, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, बिहार में नीतीश कुमार आदि नेता शामिल हो सकते हैं।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी हुए थे संघ के कार्यक्रम में शामिल
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जब 7 जून 2018 को नागपुर में संघ के समारोह में शामिल हुए थे, तब बहुत से लोगों ने सवाल खड़े किए थे लेकिन कार्यक्रम के शुरू में भगवा झंडा फहराया गया तो संघ के हजारों स्वयंसेवक और पदाधिकारी सफेद कमीज, खाकी पैंट और चौड़े बेल्ट लगाए हुए बेहद सम्मान के साथ खड़े हुए और ध्वज प्रणाम किया। गणवेशधारी स्वयंसेवकों की भीड़ में धोती और अचकन पहने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भीड़ में अलग लग रहे थे। प्रणब मुखर्जी के बाद इसके अगले साल उद्योगपति शिव नाडर को भी बुलाया गया। कुछ साल पहले इसी कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता और मैगसेसे पुरस्कार विजेता अभय बांग को भी बुलाया गया था। उस वक्त भी महाराष्ट्र में कुछ लोगों ने यह सवाल उठाया था कि अभय बांग ने संघ का निमंत्रण क्यों स्वीकार कर लिया? अभय बांग पर समारोह में न जाने का दबाव बनाने के लिए इन लोगों ने अपनी मराठी साप्ताहिक पत्रिका ‘साधनाÓ में जम कर लेख छापे। इन कोशिशों का जवाब बांग ने ये कह कर दिया कि वे तो इस समारोह में केवल अपने विचार रखने जा रहे हैं, तो इसका इतना विरोध क्यों?
कई बार होती रही है संघ विरोधी नेताओं से बातचीत
संघ विचारक दिलीप देवधर कहते हैं कि संघ प्रमुख और संघ हाईकमान की विरोधी विचारधारा के नेताओं से मीटिंग पहले भी होती रहती थी। संघ के दूसरे सरसंघचालक गुरुजी गोलवलकर और बालासाहब देवरस अक्सर विरोधी नेताओं से मुलाकात करते रहते थे। इसके अलावा संघ के मुख्यालय नागपुर में भी ऐसे नेताओं को तीसरे साल के प्रशिक्षण शिविर के समारोहों में बुलाया जाता रहा है। फिर डॉ. भागवत वैसे भी विरोधियों से मुलाकात करने में विशेष रुचि रखते हैं।

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