टोक्यो, भारतीय महिला हॉकी टीम के पहली बार ओलंपिक सेमीफाइनल में पहुंचने के बाद टीम के मुख्य कोच सोर्ड मारजेन ने कहा है कि लगातार तीन हार के बाद टीम का मनोबल टूट गया था। ऐसे में खिलाड़ियों ने आत्मविश्वास जगाने वाली फिल्म देखी जिससे उनमें नया जोश भरा जिससे वह जीत दर्ज करने में सफल रहीं। भारतीय टीम ने लगातार तीन मुकाबले जीतकर मनोवैज्ञानिक बढ़त भी हासिल की। कोच ने जीत के बाद कहा, ‘ स्वयं पर विश्वास करने और अपने सपनों पर विश्वास करने से अंतर पैदा हुआ और यह अतीत को ध्यान में रखते हुए वास्तविकता का सामना करने से जुड़ा था। यह अहम चीज थी और हमने यही किया। अगर आप हार जाते हैं तो आप स्वयं पर विश्वास करना नहीं छोड़ते हैं और यही मैंने लड़कियों से कहा। सबसे अहम उस पल में जीना होता है। मैंने उन्हें एक फिल्म दिखाई और यह फिल्म वर्तमान पल को जीने से जुड़ी थी और मुझे लगता है कि इससे वास्तव में मदद मिली। आयरलैंड के खिलाफ हम इस फिल्म का जिक्र करते रहे।’
मारजेन ने हालांकि इस फिल्म का नाम बताने से इनकार करते हुए कहा, ”मैंने इसका जिक्र अपनी किताब में किया है जो मैंने लॉकडाउन के दौरान भारत में अपने अनुभवों के बारे में लिखी है। आपको ऊंची सोच रखनी चाहिए और यही मैंने लड़कियों से कहा। यदि आप सर्वोच्च को लक्ष्य बनाते हो, बादल छूने का लक्ष्य बनाते हो तो आप सबसे ऊंचे पर्वत पर गिरोगे और आप पहाड़ को लक्ष्य बनाते हो तो मैदान पर गिरोगे। हमने बादलों को छूने का लक्ष्य बनाया और मैंने कहा कि इसके बाद जो कुछ होगा वह मायने नहीं रखता लेकिन हमें अपना लक्ष्य ऊंचा रखना है।’ वहीं भारतीय कप्तान रानी रामपाल ने भी टीम की किस्मत बदलने के लिए इस फिल्म को श्रेय दिया। उन्होंने कहा, ‘ मुझे लगता है कि फिल्म ने वास्तव में हमारी मदद की। फिल्म ने हमें वर्तमान पल को जीने के लिए प्रेरित किया। केवल आपके सामने जो है उसके बारे में सोचने और अतीत के बारे में नहीं सोचने की सीख दी। आज कोच ने कहा कि केवल 60 मिनट पर ध्यान लगाओ, केवल 60 मिनट में भूमिका निभाओ।’ मुख्य कोच ने कहा कि वह गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं क्योंकि यह उपलब्धि भारत में महिला हॉकी के लिये काफी मायने रखती है।