भोपाल, विवाह के ज्यादातर मुहूर्त कोरोना की चपेट में आ गए। अब एक बार फिर से बैंड, बाजा, बारात पर ब्रेक लगने जा रहा है। 20 जुलाई को चातुर्मास शुरू होते ही सभी तरह के मांगलिक कार्य 4 महीने के लिए बंद हो जाएंगे। चातुर्मास को देवताओं का शयन काल माना जाता है। इस दौरान भगवान श्री हरि योग निद्रा में विश्राम करते हैं। इस बार खास बात यह है। भगवान विष्णु बीते 6 साल में 3 दिन कम सोएंगे। तिथियों की घटत, बढ़त के कारण चंद्रमा के तेज गति से तिथियों का क्षय होने से पूरे 4 महीने नहीं होकर इसमें 3 दिन की कमी रहेगी। उनकी अनुपस्थिति में शुभ कार्य नहीं होते। अब 18 जुलाई के बाद नवंबर में ही शादियां होंगी। पहला मुहूर्त 20 नवंबर को होगा।
ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश सोनी के अनुसार साल की शुरुआत में ही गुरु, शुक्र, अस्त होने की वजह से शादियों के लिए कम मुहूर्त थे। मार्च में कुछ शादियां हुई और 9 अप्रैल से दोबारा लाकडाउन लग गया। जून में बंदिशों से राहत मिली, तो अब आगे चतुर्मास सामने है। इस तरह 2021 के ज्यादातर मुहूर्त ग्रह गोचर की स्थिति और कोरोना महामारी की भेंट चढ़ गए। चतुर्मास के बाद नवंबर में चार और दिसंबर में 13 मुहूर्त ही शादी के बचेंगे।जनवरी-फरवरी में क्रमश: शुक्र और गुरु अस्त हो जाएंगे। इसकी वजह से साल 2022 के शुरुआती महीने में केवल 6 मुहूर्त ही शादी के मिलेंगे। ऐसे में जनेऊ, मुंडन, संस्कार, विवाह आदि नहीं होंगे, लेकिन खरीदारी कर सकेंगे। चतुर्मास में शादी के अलावा जनेऊ, मुंडन, संस्कार, गृह प्रवेश, नए कार्य की शुरुआत समेत सभी शुभ कार्य प्रतिबंधित हो जाएंगे, लेकिन खरीदारी बिक्री पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
कौन है योग निद्रा माया
ब्रह्मावैवर्त पुराण के अनुसार एक बार योग निद्रा ने बड़ी कठिन तपस्या कर भगवान विष्णु को प्रसन्न किया। उनसे प्रार्थना की कि भगवान आप मुझे अपने अंगों में स्थान दें, लेकिन श्री हरि ने देखा कि उनका अपना शरीर तो लक्ष्मी के द्वारा अधिकृत है। इस तरह का विचार कर विष्णु ने अपने नेत्रों में योग निद्रा को स्थान दे दिया और योग निद्रा को आश्वासन देते हुए कहा कि तुम वर्ष मै 4 माह के लिए मेरे नेत्रों में आश्रित रहोगी।
चतुर्मास का वैज्ञानिक महत्व
चतुर्मास का धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी है। वैज्ञानिक नजरिए से देखें तो इन दिनों में बारिश होने से हवा में नमी बढ़ जाती है। इस कारण बैक्टेरिया और कीड़े, मकोड़े ज्यादा हो जाते हैं। उनकी वजह से संक्रमण रोग अधिक तथा अन्य बीमारियां होने लगती है। इनसे बचने के लिए खानपान में सावधानी रखने के साथ संतुलित जीवन शैली अपनानी चाहिए।
चतुर्मास में क्या करें
देवताओं के पूजन, मंत्र, सिद्धि, और मनोवांछित कामना की पूर्ति के लिए अद्वितीय अवसर चतुर्मास को माना गया है। इस दौरान अर्गला स्त्रोत का पाठ करने से विवाह में आ रही बाधा दूर होती है। रोग मुक्ति के लिए सावन मास में रुद्राभिषेक करने से रोग दूर होते हैं। गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से धन की बढ़ोतरी होती है।