कोर्ट ने व्यापमं परीक्षा के अभ्यर्थी और नकलची को पांच साल की सजा

इंदौर,विशेष न्यायाधीश, सीबीआई (व्यापम मामले), इंदौर पुरूषोत्तम खोइया (उम्मीदवार) और सौरभ चंद्र गुप्ता (सॉल्वर) दोनों को पांच साल के कठोर कारावास और रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। व्यापम द्वारा आयोजित पीएमटी-2009 परीक्षा से संबंधित एक मामले में प्रत्येक को 12,000/- रु.
सीबीआई ने डब्ल्यूपी (सिविल) संख्या 417/2015 में पारित भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 09.07.2015 के आदेशों के अनुपालन में तत्काल मामला दर्ज किया था और पहले से दर्ज एफआईआर संख्या 682/2014 की जांच अपने हाथ में ले ली थी। 08.07.2009 को व्यापमं द्वारा आयोजित पीएमटी-2009 परीक्षा में प्रतिरूपण के आरोप में इंदौर स्थित एक कॉलेज के डीन की शिकायत पर खोइया (उम्मीदवार) और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ पुलिस थाना संयोगितागंज, इंदौर ने 16.09.2014 को कार्रवाई की। यह आरोप लगाया गया था कि अभ्यर्थी खोइया ने बहुरूपिया के माध्यम से अवैध तरीकों से पीएमटी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद इंदौर के एक मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया था।
सीबीआई ने 25.05.2016 को खोइया के खिलाफ पहला आरोप पत्र दायर किया। खोइया की ओर से पेश हुए प्रतिरूपणकर्ता का पता लगाने के लिए आगे की जांच खुली रखी गई थी।
व्यापक प्रयासों के बाद, सीबीआई ने बहुरूपिया सौरभ चंद्र गुप्ता का पता लगाया। फोटोग्राफ और लिखावट/हस्ताक्षर पर विशेषज्ञ की राय रिपोर्ट ने स्थापित किया कि एमपीपीएमटी-2009 परीक्षा में अभ्यर्थी पुरूषोत्तम खोइया के स्थान पर प्रतिरूपणकर्ता श्री सौरभ चंद्र गुप्ता उपस्थित हुए/प्रतिरूपण किया। पुरूषोत्तम खोइया और सौरभ चंद्र गुप्ता के खिलाफ 30.06.2017 को एक पूरक आरोप पत्र दायर किया गया था। ट्रायल कोर्ट ने दोनों आरोपियों को दोषी पाया और दोषी करार दिया।

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