लखनऊ,उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने ईको पर्यटन बोर्ड से जुड़े अधिकारियों को निर्देशित किया है कि ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए विकसित की जा रही परियोजनाओं को इस तरह तैयार किया जाए जिससे पारिस्थितिकीय तंत्र को क्षति पहुंचाये बगैर स्थानीय लोगों को जीविका के साधन उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि भौतिकवादी जीवन शैली से उबकर लोग प्रकृति से जुड़ना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में चिन्हित ईको टूरिज्म स्थल, आगन्तुकों एवं पर्यटकों के लिए उपयोगी बनाने का प्रयास किया जाये।
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह एवं राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन अरूण कुमार सक्सेना के साथ ईको टूरिज्म बोर्ड के गठन के उपरान्त बोर्ड द्वारा संचालित विभिन्न गतिविधियों की आज पर्यटन भवन में समीक्षा कर रहे थे। बैठक में ईको टूरिज्म बोर्ड द्वारा संचालित विभिन्न परियोजनाओं की विस्तार से जानकारी दी गई। जयवीर सिंह ने कहा कि चिन्हित समस्त ईको पर्यटन स्थलों तथा साइट्स को इस तरह से विकसित किया जाये कि इन स्थलों पर सभी प्रकार के पर्यटन को बढ़ावा मिल सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कुछ जनपदों जैसे सोनभद्र, चन्दौली, मिर्जापुर, वाराणसी, पीलीभीत, लखीमपुरखीरी में ईको पर्यटन की अपार संभावनायें हैंं। इन स्थलों को पर्यटकों की पसंद के हिसाब से अवस्थापना सुविधायें विकसित की जाए।
पर्यटन मंत्री ने कहा कि ईको पर्यटन बोर्ड के अंतर्गत विकसित किये जा रहे स्थलों के आसपास बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए लैंड बैंक की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि इस भूमि को पीपीपी मॉडल पर विकसित कर इसकी मार्केटिंग एवं ब्राण्डिंग की जाए, इसके साथ ही पर्यटकों को प्रकृति से जोड़ने के लिए मनोरम एवं दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि केरल के पंचकर्म की भांति प्रदेश में ही व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
सिंह ने कहा कि ईको पर्यटन साइट्स को वेलनेस सेंटर की तरह विकसित किया जाए एवं एडवेन्चर पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए ताकि चिन्हित स्थलों पर अधिक से अधिक बच्चों को आकर्षित करके उन्हें प्रकृति से लगाव उत्पन्न करने का अवसर दिया जा सके। उन्होंने कहा कि समय-समय पर बच्चों के टूर कार्यक्रम आयोजित करके इन स्थलों पर आने के लिए जागरूक किया जाए।
ईको टूरिज्म बोर्ड के अंतर्गत चिन्हित स्थलों पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं बढ़ाओ
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