भोपाल,मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि पेसा एक्ट एक सामाजिक क्रांति है, इससे जनजातीय विकासखण्डों में ग्राम सभाओं को अधिकार सम्पन्न बनाया जा रहा है। गत 15 नवंबर से लागू इस एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये अब सशक्त रूप से ग्राम सभाओं की शुरूआत हो चुकी है। ग्रामीणजन अपने अधिकारों का उपयोग कर ग्राम को आत्म-निर्भर बनाये और ग्रामीणों को आर्थिक संबल प्रदान करें। मुख्यमंत्री आज डिंडौरी जिले में पेसा एक्ट की जागरूकता के लिये ग्राम शहपुरा और गुरैया में ग्राम सभा में शामिल होकर ग्रामीणों से रू-ब-रू हुए। मुख्यमंत्री ग्रामीणों से कहा कि मैं आज भाषण देने नहीं, आपको पैसा एक्ट पढ़ाने आया हूँ।
चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश की धरती पर जनजातीय समुदाय के लिये ऐतिहासिक निर्णय लिया जाकर पेसा एक्ट लागू किया गया है। इसमें प्रत्येक जनजातीय ग्राम की अलग से ग्राम सभा होगी और उसे अधिकार सम्पन्न बनाया जाएगा। इसके लिये जरूरी है कि ग्राम के लोग पेसा एक्ट की भावना को समझे और उसे अपने ग्राम हित में लागू करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने पेसा एक्ट लागू कर यह सुनिश्चित किया है कि अब सरकार भोपाल से नहीं चौपाल से चलेगी।
चौहान ने कहा कि पेसा एक्ट किसी के खिलाफ नहीं है, इससे किसी का कोई नुकसान नहीं है, सभी का फायदा ही फायदा है। आज मैं आपको जल, जंगल और जमीन का अधिकार देने आया हूँ। अब हर साल ग्राम की ग्राम सभा में पटवारी और फारेस्ट गार्ड नक्शा, खसरे की नकल, बी-1 की कापी लेकर आयेंगे और ग्रामवासियों को पढ़ कर सुनायेंगे। गड़बड़ी पाई गई तो ग्राम सभा सुधार करेगी। गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। चौहान ने कहा कि अब किस सरकारी कार्य, योजना के लिये जमीन देना है, यह ग्राम सभा तय करेगी। ग्राम की भूमि का बिना ग्राम सभा की अनुमति के भू-अर्जन नहीं किया जा सकेगा। किसी जनजातीय भाई की जमीन पर कोई व्यक्ति बहला-फुसला कर, शादी के माध्यम से अथवा धर्मांतरण द्वारा कब्जा नहीं कर पायेगा। गाँव की गिट्टी, पत्थर, रेती आदि की खदानों की नीलामी होनी है या नहीं यह ग्राम सभा तय करेगी। खदान पहले जनजातीय सोसायटी को, फिर ग्राम की बहन को और फिर पुरूष को प्राथमिकता के आधार पर दी जायेगी।
चौहान ने कहा कि गाँव के तालाबों का प्रबंधन, उनमें मछली पालन, सिंघाड़ा उत्पादन आदि का अधिकार ग्राम सभा का होगा और प्राप्त आमदनी पर ग्रामवासियों का हक होगा। सौ एकड़ तक के सिंचाई तालाब और बाँधों का प्रबंधन ग्राम सभा के पास होगा। हर्र, बहेड़ा, ऑवला, गोंद, करंज आदि वनोपज संग्रह और बेचने का अधिकार ग्राम सभा को होगा। वह इनके मूल्य भी निर्धारित कर सकेगी। वनोपज की आमदनी भी ग्राम सभा के पास आयेगी। जनजातीय भाइयों को अब तेन्दूपत्ता तोड़ने और बेचने का अधिकार होगा। साथ ही आमदनी भी उनके खाते में जायेगी। आगामी 15 दिसम्बर तक ग्राम सभा तय कर ले कि वह इस वर्ष तेन्दूपत्ता संग्रहण करेगी अथवा नहीं।