यूपी में गोवंश में लम्पी रोग को कंट्रोल करने के लिए टीम-9 का गठन

लखनऊ,उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह ने लम्पी रोग के प्रभावी नियंत्रण एवं बचाव हेतु युद्ध स्तर पर कार्य किये जाने के लिए टीम-09 का गठन करते हुए लम्पी रोग से प्रभावित 7 मण्डलों में 29 अगस्त से 3 सितम्बर,तक छह दिवसीय अभियान चलाकर आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। लम्पी प्रभावित मुरादाबाद, सहारनपुर, अलीगढ़, मेरठ, आगरा, बरेली तथा झांसी मण्डल में आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने हेतु वरिष्ठ अधिकारियों को नोडल अधिकारी के रूप में नामित किया गया है। पशुधन मंत्री ने प्रभावित मण्डलों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की छुट्टियां निरस्त करते हुए वैक्सीनेशन कार्य, गो-आश्रय स्थलों एवं गो-संरक्षण केन्द्रों के सेनेटाइजेशन एवं स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने के आदेश दिए हैं।
पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने आज यहां विधान भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में आहूत बैठक में कहा है कि लम्पी रोग से प्रभावित मुरादाबाद, सहारनपुर, अलीगढ़, मेरठ, आगरा, बरेली एवं झांसी मण्डलों हेतु नामित वरिष्ठ नोडल अधिकारी अभियान के दौरान मण्डल में ही प्रवास करेंगे और प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण करेंगे और गोवंश की सुरक्षा, आवश्यक औषधियां, भूसा, चारा तथा पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करायेंगे। साथ ही जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक कर इस बीमारी की रोकथाम, बचाव की रणनीति तैयार करेंगे। इसके अतिरिक्त पशुपालकों, कृषकों तथा आम जनता को जागरूक करने के लिए इस बीमारी से बचाव हेतु सार्वजनिक स्थलों पर ‘‘क्या करें, क्या न करें’’ के पोस्टर, बैनर, होर्डिंग एवं वॉल राइटिंग लगवाकर व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करायेंगे। संक्रमित पशुओं की देखभाल एवं मृत पशुओं के समुचित ढंग से शव निस्तारण हेतु भी आवश्यक प्रोटोकॉल का पालन किये जाने हेतु एवं दिशा-निर्देश देंगे।
पशुधन मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि लम्पी रोग नियंत्रण हेतु इस छह दिवसीय अभियान को मिशन मोड में सम्पन्न कराया जाये और लम्पी त्वचा रोग के रोकथाम के लिए कन्टेमेंट, उपचार, टीकाकरण, जनजागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यों की नियमित रूप से समीक्षा करते हुए औषधियों, उपकरणों एवं पशु आहार की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाये। उन्होंने निर्देश दिए कि पशुपालन निदेशालय में स्थापित कन्ट्रोल रूम में प्राप्त शिकायतों , सुझावों एवं सूचनाओं की नियमित रूप से समीक्षा की जाए। इसके अतिरिक्त इस रोग के संबंध में दुग्ध समितियों को जागरूक किया जाए और इसके लिए दुग्ध आयुक्त की ओर से प्रोटोकॉल/एडवाइजरी जारी करायी जाए।

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