सरकारी कार्यालयों में बिजली की खपत दस फीसद कम करो

भोपाल,मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि सभी शासकीय कार्यालयों को बिजली की खपत में 10 प्रतिशत की कमी करने के निर्देश दिए गए हैं। अगर हम एक यूनिट बिजली बचाते हैं तो 900 ग्राम कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन कम करते हैं। जिन शासकीय कार्यालयों में सौर ऊर्जा का उपयोग हो सकता है, वहाँ सोलर पैनल लगाए जाएंगे। सूर्य से प्राप्त ऊर्जा ग्रीन और क्लीन है, तो हम कोयले से पैदा होने वाली बिजली का अधिक उपयोग क्यों करें। पर्यावरण-संरक्षण हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। इसमें सरकार के साथ-साथ समाज को भी प्रतिबद्धता और सक्रियता से जुटना होगा।
चौहान विश्व पर्यावरण दिवस पर कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में “यही एक पृथ्वी-“ विषय पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम से सभी जिले वर्चुअली जुड़े थे। मुख्यमंत्री ने पर्यावरण-संरक्षण के लिए कार्यरत संस्थाओं एवं नागरिकों को सम्मानित किया। चौहान द्वारा नर्मदा नदी के तट पर वृक्षारोपण की योजना संबंधित वन विभाग की पुस्तक “नर्मदा नदी के जलग्रहण क्षेत्र का संरक्षण- वृक्षारोपण अभियान- 2022” का विमोचन भी किया गया।
उल्लेखनीय है कि विश्व पर्यावरण दिवस को वृक्षारोपण संकल्प दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने उपस्थित गणमान्य नागरिकों तथा जिलों से जुड़े सभी नागरिकों को पर्यावरण-संरक्षण और सेवा के लिए संकल्प दिलाया। पर्यावरण मंत्री श्री हरदीप सिंह डंग तथा प्रसिद्ध समाजसेवी और पर्यावरणविद श्री ध्यानेश्वर जामदार एवं अन्य जन-प्रतिनिधि उपस्थित थे। कार्यक्रम को पर्यावरणविद पद्मश्री श्री पोपट लाल पवार तथा श्री जामदार ने भी संबोधित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अमरकंटक को रिजर्व फारेस्ट घोषित किया जाएगा। वहाँ निवास कर रहे लोगों को किसी प्रकार की समस्या नहीं होगी। पर्यावरण-संरक्षण की दृष्टि से संवेदनशील और माँ नर्मदा के उदगम-स्थल के आस पास स्थानीय परिवेश के प्रतिकूल लगे यूकेलिप्टिस के पेड़ों के स्थान पर परिवेश के अनुरूप उपयुक्त प्रजाति के पौधे लगाए जाएंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने पर्यावरण दिवस पर प्रदेश के नागरिकों को पाँच संकल्प दिलवाए जिसमें वृक्षारोपण के लिए सक्रिय रहना, ऊर्जा संरक्षण के लिए बिजली बचाना, वाहनों का मितव्ययी उपयोग सुनिश्चित करने के लिए वाहन पूल करना, पब्लिक ट्रान्सपोर्ट को अपनाना और प्रधानमंत्री श्री मोदी के मंत्र के अनुरूप ट्रिपल आर अर्थात रीफ्यूज, रीयूज और रीसायकल, का पालन शामिल है।
चौहान ने कहा कि पर्यावरण दिवस को औपचारिक रूप से मनाने से पर्यावरण-संरक्षण संभव नहीं होगा। हमें इन संकल्पों को प्राणप्रण से व्यवहार में लाना होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि, मैं और मेरा परिवार अपने घर पर बिजली बचाने के संबंध में बहुत सजग हैं। मैं जब भी कमरे से बाहर निकलता हूँ तो स्वयं स्विच बंद करता हूँ। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मंत्रीगण और उपस्थित अधिकारियों से भी पूछा कि- “क्या वे भी ऐसा करते हैं?”
चौहान ने भोपालवासियों को वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि भोपालवासी अपने जन्म दिन पर मेरे साथ पौध-रोपण के लिए आमंत्रित हैं। हमारी संस्कृति प्रकृति पूजा की है। गौवर्धन पूजा भी प्रकृति पूजा को स्थापित करती है। नदियों को हमने माँ माना है, अत: उनकी चिंता आवश्यक है। विकास की प्रक्रिया में नदियों के आस पास के पेड़ बड़ी संख्या में कटे हैं,परंतु पर्यावरण और विकास में संतुलन आवश्यक है। विकसित देश कार्बन उत्सर्जन में कमी नहीं कर रहे हैं। यदि हम ऐसे ही स्वार्थी बने रहे तो धरती के अस्तित्व पर संकट सघन होता चला जाएगा। वैज्ञानिकों का मनाना है कि वर्ष 2050 तक धरती का तापमान 1.5 से पाँच डिग्री तक बढ़ना संभावित है। इससे ग्लेशियर पिघलने से जल-प्लावन की स्थिति निर्मित होगी।
चौहान ने कहा कि पर्यावरण-संरक्षण के लिए वृक्षारोपण एकमात्र उपाय है। हरियाली अमावस्या के दिन प्रत्येक ग्राम, पंचायत, विकास खण्ड, जिला मुख्यालय में वृक्षारोपण होगा, प्रदेश की जनता पेड़ लगाएगी। दुनिया करे ना करे, मध्यप्रदेश अपने कर्तव्यों का पालन करेगा, इसमें प्रदेशवासियों का सहयोग आवश्यक है। विश्व में वृक्षारोपण में प्रदेश को सर्वश्रेष्ठ बनाना है इससे हमारा प्रदेश हरा-भरा होगा, भू-जल स्तर बढ़ेगा, पक्षियों का कलरव बढ़ेगा, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कम होगा।
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले की ग्राम पंचायत हिवरे बाजार को सूखाग्रस्त गाँव से हरे और समृद्ध मॉडल गाँव में बदलने का नेतृत्व करने वाले पर्यावरणविद पद्मश्री किसान सरपंच श्री पवार ने कहा कि हम बच्चों को पढ़ा रहे हैं कि प्रकृति ही हमारा भविष्य है। इसके प्रति संवेदनशीलता स्वयं के लिए जरूरी है। पंचायत द्वारा टयूबवेल तथा अधिक पानी वाली फसलों पर प्रतिबंध लगाने से क्षेत्र के भू-जल स्तर को बढ़ाने में मदद मिली। जंगल में लगने वाली आग के लिए 8 सौ लोगों के मोबाइल नम्बर का नेटवर्क बनाया गया है। इससे आग लगने पर त्वरित रूप से नियंत्रण संभव हो पाता है।

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