मुख्यमंत्री चौहान बोले सरकार के खजाने पर पहला हक जनजातियों का

भोपाल,मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश का विकास तभी संभव है, जब प्रदेश के जनजातीय भाई-बहन समाज की मुख्य-धारा से जुड़ें। प्रदेश सरकार जनजातियों की शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका विकास और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिये कमर कस चुकी है। सरकार के खजाने पर पहला हक जनजातियों का है और हम उनके लिए धन और अवसर दोनों के खजाने खोलने के लिए कृत-संकल्पित हैं।
बजट में 948 प्रतिशत की वृद्धि
चौहान ने कहा कि जनजातीय वर्ग के समग्र विकास के लिए बजट में लगातार वृद्धि की गई है। वर्ष 2003-04 में जनजातीय कार्य विभाग का बजट 746.60 करोड़ था, जिसे वर्ष 2020-21 में बढ़ाकर 8085.99 करोड़ तक लाया गया है। इस प्रकार इस वर्ग के बजट में 948 प्रतिशत की वृद्धि की गई।
चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में देश की सर्वाधिक जनजातीय आबादी है। यहाँ कुल जनसंख्या का पाँचवा हिस्सा जनजातियों का है। जनजाति भाई-बहनों के सर्वांगीण विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के लिए शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक तथा रोजगार संबंधी योजनाएँ चलाई जा रही हैं।
जनजातीय शिक्षा में हम क्रांति लाएंगे
चौहान ने कहा कि जनजातीय शिक्षा में हम क्रांति लाएंगे और प्रधानमंत्री जी द्वारा दी गई नई शिक्षा नीति का लाभ जनजातीय बच्चों और युवाओं को दिलाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे। हमने तय किया है कि 8वीं और 9वीं कक्षा से ही मेरे भांजे-भांजियों को नीट और जेईई के फाउंडेशन को सुधारने स्मार्ट क्लास की ऑनलाइन व्यवस्था की जाएगी। हम पाठयक्रम को भी आज की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाएंगे। कौशल विकास से आर्थिक उन्नति के उद्देश्य से प्रत्येक ग्राम पंचायत में कम से कम 4 लोगों को ग्रामीण इंजीनियर के रूप में कृषि उपकरण कौशल, आईटी सर्विसेस, भवन निर्माण संबंधित कौशल, जैविक खेती जैसे विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा।
प्रदेश भर में आश्रम, छात्रावास, शालाएँ, कन्या शिक्षा परिसर संचालित किए जा रहे हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रशिक्षण के लिए आकांक्षा और सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना संचालित है। स्व-रोजगार योजनाओं में आरक्षण के साथ ही कौशल विकास के लिए केन्द्र संचालित किये जा रहे हैं।
विशेष पिछड़ी जनजातियों पर विशेष ध्यान
चौहान ने कहा कि जनजातीय वर्ग के विद्यार्थियों के शैक्षणिक विकास के लिए एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, गरूकुलम विद्यालय, विशेष पिछड़ी जनजाति आवासीय विद्यालयों के साथ न्यूनतम साक्षरता वाले कन्या परिसरों का संचालन किया जा रहा है। प्रदेश की 3 विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा, भारिया और सहरिया के विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करने के लिए गुना, जबलपुर और श्योपुर में आवासीय विद्यालय संचालित हैं। विशेष पिछड़ी जनजाति परिवारों की महिला मुखिया को कुपोषण से बचाने के लिए प्रति माह एक हजार रूपये का आहार अनुदान भी दिया जा रहा है। जनजातीय विद्यार्थियों के लिए यूपीएससी कोचिंग है। इसमें प्रति विद्यार्थी अधिकतम 4 लाख 40 हजार रूपये की राशि 18 माह के लिए दी जा रही है। जनजातीय विद्यार्थियों को विदेश में शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी सरकार द्वारा छात्रवृत्ति दी जाती है। अलग-अलग जिलों में बालक-बालिकाओं के लिए 8 क्रीडा परिसर भी बनाए गए हैं।
वनाधिकार पट्टे
चौहान ने कहा कि जल, जंगल और जमीन पर वनवासियों का अधिकार है। हमने वन अधिकार के निरस्त पट्टों का पुन: परीक्षण कर 34 हजार से अधिक निरस्त पट्टों को फिर से स्वीकृति दी। सरकार लघु वनोपज को मिट्टी के मोल कदापि बिकने नहीं देगी। पिछले वर्ष 32 लघु वनोपजों का समर्थन मूल्य तय किया गया। सरकार ने समर्थन मूल्यों पर लघु वनोपजों की खरीदी भी की।
सिकल सैल मिशन 15 नवंबर से
चौहान ने कहा कि प्रदेश के सभी 89 जनजातीय विकासखण्डों में सिकल सैल मिशन 15 नवंबर से प्रांरभ किया जाएगा। इसमें घर-घर जाकर ऐसे भाई-बहनों की पहचान की जाएगी, जिनके खून में सिकल सैल ट्रेट विद्यमान हैं। ऐसे व्यक्तियों को चिन्हित कर उनका इलाज करवाया जाएगा।
साहूकारों के शोषण से मुक्ति
चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजाति साहूकार विनियम 1972 को अब और प्रभावी बनाया गया है। जनजातीय क्षेत्रों में साहूकारी का धंधा करने वालों के लिए पंजीयन शुल्क में वृद्धि की गई है। साहूकारों द्वारा वसूले जाने वाले ब्याज की दरों को भी अब नियंत्रित किया गया है। निर्धारित दर से अधिक ब्याज वसूलने वाले साहूकारों को कड़ा दण्ड दिया जाएगा।
पेसा कानून की भावना के अनुरूप जंगल का प्रबंधन
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में पिछले 15 सालों में डेढ़ लाख हेक्टेयर जंगल बढ़े हैं। साथ ही कम घने जंगलों को घने जंगलों में बदला गया है। इस कार्य में हमारे आदिवासी भाइयों और अन्य स्थानीय लोगों ने जंगलों को बचाने में बड़ी भूमिका निभाई है। पेसा एक्ट ग्राम सभा को सामुदायिक संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार देता है। वन भी सामुदायिक संसाधन है। इस कारण पेसा एक्ट वनों की सुरक्षा और संरक्षण का भी अधिकार ग्राम सभा को देता है। हम सामुदायिक वन प्रबंधन समितियों के गठन की जिम्मेदारी ग्राम सभा को देने जा रहे हैं। अब सामुदायिक वन प्रबंधन समितियाँ वर्किंग प्लान के अनुसार हर साल का माइक्रो प्लान बनाएंगी और उसे ग्राम सभा से अनुमोदित करवाकर क्रियान्वित करेंगी। इस काम में वन विभाग समितियों को मदद करेगा। आवश्यक वित्तीय संसाधन सरकार उपलब्ध कराएगी।
ग्राम सभा को होगा समिति भंग करने का अधिकार
वनों के प्रबंधन के दौरान विरलन यानी थिनिंग से जो भी बाँस-बल्ली या जलाऊ लकड़ी निकलेगी वह समिति की होगी। कटाई से प्राप्त इमारती लकड़ी का भी एक अंश समिति को जाएगा। ग्राम सभा यदि समिति के कार्य से खुश नहीं होंगी तो वो खुद ही उस समिति को भंग करके नई समिति गठित कर सकेगी। अभी तक यह अधिकार डी.एफ.ओ. को था। बफर क्षेत्र में पर्यटन से जो भी आय होगी वह भी इन समितियों को जायेगी।

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