कैंसर की दवा होगी सस्ती लेकिन डीजल-पेट्रोल इसके दायरे से अभी रहेंगे बाहर

लखनऊ,जीएसटी काउंसलि की आज 45वीं बैठक यहाँ सम्पन्न हुई जिसमें कैंसर की बीमारी के उपयोग में आने वाली दवा पर जीएसटी को घटाने का निर्णय हुआ है। जबकि फिलहाल डीजल और पेट्रोल को इसके दायरे में नहीं लाया जायेगा। बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए यह सही समय नहीं है, इसके लिए हमें अभी और इन्तजार करना चाहिए। वित्त मंत्री ने कहा कि केरल हाई कोर्ट के आदेश के बाद यह मुद्दा उठा था परन्तु राज्य इसके पक्ष में नहीं थे। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई लेकिन राज्य नहीं चाहते कि यह इसमें शामिल किये जाए।
सीतारमण ने फैसलों की जानकारी में बताया कि ‘कोविड उपचार में उपयोग होने वाली दवाओं पर लागू रियायती जीएसटी दरों का समय 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ा दिया है। परिषद ने कैंसर के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं पर कर दर को 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने का भी निर्णय किया है। काउंसिल ने मस्कुलर एट्रॉफी के इलाज में उपयोग में आने वाली दवाओं को भी जीएसटी में छूट दी है। ये दवाएं बहुत महंगी होती हैं और इनकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपये है। व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए आयात की जाने वाली दवाओं पर यह छूट मिलेगी। इस बैठक में माल ढुलाई वाहनों के परिचालन के लिये राज्यों द्वारा वसूले जाने वाले राष्ट्रीय परमिट शुल्क से छूट देने का फैसला किया गया है। सीतारमण ने कहा कि परिषद ने जूता-चप्पल और कपड़ों पर एक जनवरी, 2022 से उल्टा शुल्क ढांचे को ठीक करने को लेकर सहमति जतायी है।
जौमैटो और स्विगी की तरह की फूड डिलिवर करने वाली कंपनियों पर जीएसटी लगाने के मामले में कहा गया है कि यह कोई नया टैक्स नहीं है। यह टैक्स डिलिवरी पॉइंट पर वसूला जाएगा। बता दें कि इस बैठक में गुजरात को छोड़कर सभी प्रदेशों के वित्त मंत्री शामिल हुए थे। कोविड का ल के बाद यह पहली फिजिकल मीटिंग थी। इससे पहले आमने सामने बैठक 18 दिसंबर 2019 को हुई थी।

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