आयोग ने किरायेदार से जबर्दस्ती मकान खाली कराने पर घर मालिक पर ठोका जुर्माना

भोपाल,मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने एक प्रधान आरक्षक द्वारा किरायेदार को मकान खाली करने और बकाया किराया देने का दबाव बनाने के मामले में राज्य शासन को पीड़ित किरायेदार को दस हज़ार रूपये की क्षतिपूर्ति राशि दो माह में देने की अनुशंसा की है। शासन चाहे, तो यह राशि संबंधित दोषी शासकीय सेवक के वेतन से नियमानुसार वसूल कर सकता है। साथ ही अनुचित दबाव डालने वाले प्रधान आरक्षक के विरूद्ध विभागीय जांच भी प्रारम्भ करने को कहा है।
मामला भोपाल जिले का है। आयोग के प्रकरण क्र.- 641/भोपाल/2019 के अनुसार भोपाल शहर निवासी किरायेदार एवं आवेदक श्री दिनेश कुमार पस्तोर ने 31 जनवरी 2019 को आयोग में एक शिकायती आवेदन दिया, जिसमें उसने बताया कि कुछ समय से उसका मकान मालिक से मकान के संबंध में विवाद चला आ रहा है। दोनों के मध्य एक वैध किरायानामा है, जिसकी किसी भी शर्त का उसने उल्लंघन नहीं किया है। परन्तु मकान मालिक द्वारा पुलिस अधिकारियों का अनुचित रूप से सहायता लेकर उसे भिन्न-भिन्न प्रकार से सताया जा रहा है। मकान मालिक के कहने पर कोलार थाने के प्रधान आरक्षक श्री विजय कुमार यादव, 23 जनवरी 2019 को उसके एम.पी. नगर स्थित कार्यालय आये और उसे धमकाया गया कि यदि उसने घर को खाली नहीं किया और उसके कहे अनुसार राशि नहीं दी, तो उसको फर्जी प्रकरण बनाकर जेल में डाल देगा और उसके द्वारा दबाव बनाकर एक पत्र लिखवाया गया, जिसमें उससे जबरदस्ती यह लिखवाया गया कि वह 31 जनवरी 2019 को किराये पर लिया गया घर खाली कर देगा। इसके अलावा बकाया किराया भुगतान के संबंध में 25 जनवरी 2019 को उसे अपनी बाइक पर कोलार थाने ले जाकर दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक बेवजह थाने में बिठाकर रखा था। शिकायत मिलने पर आयोग ने स्वयं अपने अनुसंधान दल से मामले की गहन जांच कराई। जांच में किरायेदार की शिकायत सही पाई गई। आयोग ने दोनो पक्षों को सुनने के बाद ही यह अनुशंसा की है।
अपनी अनुशंसा में आयोग ने यह भी कहा है कि पुलिस महानिदेशक, मध्यप्रदेश ऐसे प्रकरणों में प्रदेश के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को यह निर्देश जारी करे कि यदि पुलिस के पास मकान मालिक और किरायेदार के बीच विवाद के प्रकरण केवल मकान खाली कराने एवं किराया वसूली के लिए (बिना किसी आपराधिक कृत्य के आरोप के) आते हैं, तो ऐसे प्रकरणों में मकान मालिक को ‘‘मध्यप्रदेश स्थान नियंत्रण अधिनियम, 1961’’ के प्रावधानों के अंतर्गत सक्षम अदालत में समुचित कार्यवाही करने की समझाईश देकर प्रकरण को समाप्त करें।
आयोग ने इस सम्पूर्ण अनुशंसा पर की गई कार्यवाही का राज्य शासन से तीन माह में पालन प्रतिवेदन भी मांगा है।

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