पांच लाख की क्षतिपूर्ति देने की अनुशंसा का पालन नहीं करने पर आयोग ने उच्च न्यायालय में लगाई रिट

भोपाल,उच्च न्यायालय ने राज्य शासन के मुख्य सचिव, गृह एवं जेल विभाग के प्रमुख सचिवों सहित डीजीपी एवं डीजी जेल से 6 सितम्बर तक मांगा जवाब
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग की अनुशंसा का पालन करने से इंकार कर देने पर आयोग द्वारा राज्य शासन व अन्य के विरूद्ध मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर में एक रिट याचिका लगायी गई थी। इस रिट याचिका प्रकरण क्रमांक 9187/21 पर सुनवाई करते हुये उच्च न्यायालय, जबलपुर ने मुख्य सचिव, म.प्र. शासन, प्रमुख सचिव, म.प्र. शासन, गृह विभाग, प्रमुख सचिव, म.प्र. शासन, जेल विभाग सहित पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), मध्यप्रदेश तथा महानिदेशक, जेल एवं सुधारात्मक सेवायें (डीजी-जेल) को नोटिस जारी कर आगामी 6 सितम्बर 2021 तक जवाब देने के निर्देश दिये हैं। उल्लेखनीय है कि 22 मार्च 2015 को केन्द्रीय जेल, इंदौर में दंडित बंदी अंसार पिता मिस्त्री अहमद, निवासी उज्जैन की जेल अभिरक्षा में मृत्यु हो गई थी। आयोग द्वारा इस जेल अभिरक्षा मृत्यु पर त्वरित संज्ञान लिया गया था। मामले की गहन जांच पश्चात् आयोग ने यह पाया कि बंदी अंसार की मृत्यु प्रकृति के सामान्य क्रम में न होकर उसके सिर में आई चोटों की वजह से हुई है। इसपर आयोग ने दंडित बंदी की अभिरक्षा में असामायिक मृत्यु से उसके जीवन, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के मानव अधिकारों की घोर उपेक्षा पाते हुये राज्य शासन को मृतक बंदी के वैध वारिसों को पांच लाख रूपये की क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान करने की अनुशंसा 20 मार्च 2020 को की थी। उप सचिव, म.प्र. शासन, जेल विभाग द्वारा आयोग की इस अनुशंसा का पालन करने से इंकार कर दिया गया था। मध्यप्रदेश शासन के इस निर्णय के विरूद्ध आयोग द्वारा मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर में एक रिट याचिका प्रस्तुत की गयी थी। इसी संदर्भ में उच्च न्यायालय, जबलपुर द्वारा उपरोक्त सभी अधिकारियों को नोटिस जारी कर 6 सितम्बर 2021 तक जवाब मांगा है।
पुलिस हिरासत में युवक की मौत, थाना प्रभारी समेत 5 सस्पेंड
ग्वालियर शहर की इंदरगंज थाना पुलिस की हिरासत में बीते सोमवार की रात सोनू बंसल (35) की मौत के बाद पुलिस अधीक्षक ग्वालियर ने इंदरगंज थाना प्रभारी, एएसआई और तीन सिपाहियों को सस्पेंड कर दिया है। दरअसल पुलिसकर्मी फालका बाजार से सोनू बंसल और शंकरलाल को सटोरिया होने के शक में पकड़कर लाये थे। फिर दोनों को थाने के ऊपर मिनी कंट्रोल रूम ले गये। यहां दोनों को करीब तीन घंटे तक रखा। जब सोनू की तबीयत बिगड़ी, तो उसे पानी पिलाया, तो उसने उल्टियां कीं। वह बेहोश होने लगा, तो पुलिसकर्मी थाने की गाड़ी से जयारोग्य अस्पताल लेकर पहुंचे। डाॅक्टरों ने सोनू को मृत घोषित कर दिया। सोनू के परिवारवालों का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें पीट-पीटकर मार ड़ाला। मामले में स्वसंज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पुलिस महानिरीक्षक, ग्वालियर रेंज एवं पुलिस अधीक्षक, ग्वालियर से घटना से संबंधित समस्त रिकाॅर्ड एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ तीन सप्ताह में तथ्यात्मक जवाब मांगा है।
पिटाई से युवक की हालत बिगड़ी, हंगामा
मुरैना जिले के जौरा कस्बे में चोरी के शक में पकड़े गये राजेन्द्र कुशवाह की पुलिस की कथित पिटाई से हालत बिगड़ गई। नाजुक हालत में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां पहले तो पुलिस और डाॅक्टर मिलकर मामले को दबाते दिखे। चार घंटे से ज्यादा समय तक जौरा अस्पताल तक उसे रैफर नहीं किया। राजेन्द्र कुशवाह के परिचितों ने मंगलवार को एकत्रित होकर हंगामा शुरू किया, तब उसे जिला अस्पताल मुरैना रैफर किया गया। राजेन्द्र कुशवाह के हाथ-पैर से लेकर शरीर पर कई जगह मारपीट से सूजन के निशान थे। मामले में स्वसंज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक, मुरैना से राजेन्द्र की इन्ज्युरी रिपोर्ट के साथ तीन सप्ताह में तथ्यात्मक जवाब मांगा है।

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