ओस्लो, कोरोना वायरस ज्यादातर छोटे बच्चों को प्रभावित करेगा, जिन्हें अभी तक टीका नहीं लगाया गया है। इस स्टडी में शामिल यूएस-नॉर्वेजियन टीम ने देखा कि चूंकि कोविड-19 की गंभीरता आमतौर पर बच्चों में कम होती है, इसलिए इस बीमारी से खतरा कम होने की उम्मीद है। इस वायरस के नए-नए वैरियंट सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन करने वाले देशों में संक्रमण की रफ्तार को तेज कर रहे हैं। इस बीच अमेरिका की लोक स्वास्थ्य एजेंसी ने चेतावनी दी है कि अगले चार हफ्तों में देश में कोविड-19 के मरीजों के अस्पतालों में भर्ती होने और उनकी मौतें होने की संख्या में खासी वृद्धि हो सकती है। नॉर्वे में ओस्लो विश्वविद्यालय के ओटार ब्योर्नस्टेड ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद तेजी से गंभीर परिणामों और उम्र के साथ घातक होने का स्पष्ट संकेत मिला है। फिर भी, हमारे मॉडलिंग परिणाम बताते हैं कि संक्रमण का खतरा बड़ों से बच्चों की तरफ शिफ्ट होगा। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि वयस्क आबादी ने या तो वैक्सीनेशन करवाकर या फिर वायरस के संपर्क में आकर खुद के अंदर इम्यून को विकसित कर लिया है। साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि इस तरह के बदलाव अन्य कोरोना वायरसेज और इन्फ्लूएंजा वायरस में देखे गए हैं क्योंकि वे भी ऐसे ही तेजी से फैले और फिर बाद में पूरी दुनिया में थम गए। ब्योर्नस्टेड ने कहा कि श्वसन रोगों के ऐतिहासिक रिकॉर्ड से संकेत मिलता है कि वर्जिन एपडेमिक के दौरान उम्र घटने के साथ संक्रमण बढ़ने का पैटर्न स्थानीय संक्रमण से अलग हो सकते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जीनोमिक वर्क से पता चलता है कि 1889-1890 महामारी रूप से 70 वर्ष से अधिक आयु के वयस्कों को प्रभावित किया था। इसे फैलाने वाले एचकोव-ओसी43 वायरस को कभी-कभी एशियाई या रूसी फ्लू के रूप में भी जाना जाता है। ब्योर्नस्टैड ने हालांकि आगाह किया कि अगर वयस्कों में सार्स-कोव-2 के फिर से संक्रमण के लिए प्रतिरक्षा कम हो जाती है, तो बीमारी का बोझ अधिक रह सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वयस्क आबादी पिछले बार वायरस के संपर्क में आई है तो इससे बीमारी की गंभीरता कम हो जाएगी।इस महामारी के दौरान करीह 10 लाख लोगों की मौत हुई थी। यह वायरस अब एक स्थानीय, हल्का और बार-बार संक्रमित करने वाला सर्दी का आम वायरस बन गया है। यह ज्यादातर 7-12 महीने की उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है।