भोपाल, मप्र सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में प्रापर्टी की रजिस्ट्री दर नहीं बढ़ाने का फैसला लिया है। यानी मौजूदा कलेक्टर गाइडलाइन की दरों पर ही 31 मार्च 2022 तक संपत्तियों की रजिस्ट्री होगी। वहीं प्रदेश की 5 हजार नई जगहों पर दरें निर्धारित की जाएगी। माना जा रहा है कि आगामी नगरीय निकाय चुनावों को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है। बुधवार सुबह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।
मप्र में प्रापर्टी की रजिस्ट्री फीस 19 से 20 प्रतिशत तक बढ़ाने का प्रस्ताव मूल्यांकन बोर्ड ने जून में सरकार को दिया था। इसे 1 जुलाई से लागू किया जाना था, लेकिन सरकार ने पहले 15 जुलाई और फिर 31 जुलाई तक मौजूदा गाइडलाइन के हिसाब से ही रजिस्ट्री फीस लेने का फैसला किया था। अब सरकार ने इस वर्ष गाइडलाइन की दरों में वृद्धि नहीं करने का फैसला लिया है। इस वित्तीय वर्ष में मौजूदा गाइडलाइन से ही संपत्ति की रजिस्ट्री होगी। साथ ही 5 हजार ऐसे स्थान जहां दरें निर्धारित नहीं थीं, वहां दरें निर्धारित की जाएगी।
40 प्रतिशत तक दरें बढ़ाने का था प्रस्ताव
मूल्यांकन बोर्ड ने जून माह में सरकार को भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर समेत प्रदेश की सवा लाख लोकेशन पर 5 से 40 प्रतिशत तक दरें बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था। भोपाल और इंदौर में मेट्रो प्रोजेक्ट की वजह से कलेक्टर गाइडलाइन (बाजार दर) 40 प्रतिशत तक बढ़ाने का प्रस्ताव था। हालांकि, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे हरी झंडी नहीं दी थी और 31 जुलाई तक गाइडलाइन बढ़ाने के फैसले को टाल दिया था। अब मुख्यमंत्री ने मौजूदा गाइडलाइन ही यथावत रखने का निर्णय लिया है।
निकाय चुनाव बड़ी वजह
मुख्यमंत्री चौहान ने बुधवार सुबह ट्वीट कर गाइडलाइन की दरें नहीं बढ़ाने की जानकारी दी। उन्होंने लिखा कि मध्यप्रदेश शासन ने आमजन को राहत देने के उद?्देश्य से इस वर्ष संपत्ति की गाइडलाइन की दरों में वृद्धि नहीं करने का फैसला किया है। हालांकि, जानकार नगरीय निकाय चुनाव के चलते गाइडलाइन पर फैसला लेने की बात कह रहे हैं। बता दें कि आगामी दिनों में नगरीय निकाय चुनाव हो सकते हैं। चूंकि, गाइडलाइन बढऩे से उसका असर शहरी लोगों पर ज्यादा होना था। इसलिए सरकार ने मौजूदा गाइडलाइन ही जारी रखने का निर्णय लिया है।
2015-16 में बढ़ी थी दरें
बता दें कि वर्ष 2015-16 में सरकार ने 4त्न बढ़ोतरी की थी। वहीं 2019-20 में तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने गाइडलाइन की दरें 20 प्रतिशत तक इस उम्मीद में घटा दी थी कि मंदी की मार झेल रहे रीयल एस्टेट में फिर बूम आएगा। हालांकि साल 2016-17 से अब तक सरकार स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस में बढ़ोतरी करती रही है। इस साल 40 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी करने का प्रस्ताव था, जो अगले वित्तीय वर्ष तक टाल दिया गया है।