भोपाल, लोकायुक्त छापे में धार के सहायक इंजीनियर देवेंद्र कुमार जैन के ठिकानों से करोड़ों की संपत्ति मिली है। लोकायुक्त को उम्मीद थी इंजीनियर के यहां से आय से दो गुना ज्यादा संपति मिलेगी लेकिन वहां तो आय से कई गुना ज्यादा संपति मिली है। सहायक इंजीनियर जैन के इंदौर के स्कीम-78 के घर में भी लोकायुक्त पुलिस की टीम पहुंची। धार के दोनों घरों में कुछ खास संपत्ति नहीं मिलने के बाद यहीं सबसे अधिक संपत्ति मिलने की संभावना थी। यहां हर कमरे में अलमारी और लाकर मिले, जिनमें गहनों को अलग-अलग रखा गया था। लोकायुक्त टीम ने छत पर बनी पानी की टंकी तक खंगाल डाली। बाहर खड़ी एक्टिवा की तलाशी भी ली गई। इस बीच बेटे राजदीप ने कहा, हमारा संयुक्त परिवार है। मेरे दो भाई इंजीनियर हैं और बड़े पैकेज पर हैं। हमारे पास सारी संपत्ति के दस्तावेज हैं। लोकायुक्त अधिकारियों ने जैन के यहां छापा मारने के पहले जब उसके बारे में जानकारियां जुटाई तो पता चला वह कम खर्च के लिए मशहूर हैं। चाय-नाश्ते के रुपये भी बचा लेता था। जब भी किसी निरीक्षण के लिए जाना होता, हमेशा दूसरे के वाहन पर जाता था। लोकायुक्त को लग रहा था उसके यहां आय से दोगुनी संपत्ति ही मिलेगी, लेकिन मिली कई गुना ज्यादा। जांच अधिकारियों के अनुसार धार में जैन के दो मकान हैं। एक सरकारी मकान में वह पत्नी सरोज के साथ रहता है। वहीं खुद का जो घर बनाया है, वह एक जज को किराए पर दे रखा है। टीम वहां पर भी गई थी, तब पता चला इसे किराए पर दे रखा है। डीएसपी आनंद यादव ने बताया जैन वर्ष 2013 से 2019 तक राऊ नगर पालिका जिला इंदौर में भी उपयंत्री रहा। तब कालोनाइजर एवं टीडीके गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्या के पदाधिकारियों के साथ मिलीभगत कर संस्था की भूमि पर नियम प्रक्रियाओं के विपरीत बहुमंजिला भवनों के निर्माण की अनुमति जारी कर दी थी। इसकी जांच होने पर वर्ष 2019 में संस्था पदाधिकारियों एवं अन्य सहित कुल 13 आरोपितों के विरुद्ध विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त कार्यालय इंदौर में अपराध पंजीबद्ध हुआ था, जिसमें जैन का भी नाम था। जैन की नियुक्ति नगरीय प्रशासन विभाग में बतौर उपयंत्री वर्ष 1981 में हुई थी। दो साल पहले ही 2019 में वह सहायक यंत्री पदोन्नत हुआ था। जैन वर्ष 1995 से 2010 तक नगर पालिका परिषद धार में उपयंत्री भी रहा।