नई दिल्ली, गुरुवार को राजद्रोह की भादवि की धारा 124 ए को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि राजद्रोह कानून का इस्तेमाल अंग्रेजों ने आजादी के अभियान को दबाने के लिए किया था, महात्मा गांधी और बाल गंगाधर तिलक पर भी ये धारा लगाई गई, क्या सरकार आजादी के 75 साल भी इस कानून को बनाए रखना चाहती है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसके अलावा राजद्रोह के मामलों में सजा भी बहुत कम होती है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इन मामलों में अफसरों की कोई जवाबदेही भी नहीं है।
प्रधान न्यायाधीश ने अटार्नी जनरल से कहा कि धारा 66ए को ही ले लीजिए, उसके रद्द किए जाने के बाद भी हज़ारों मुकदमें दर्ज किए गए। उन्होंने कहा “हमारी चिंता कानून का दुरुपयोग है। सरकार पुराने कानूनों को क़ानून की किताबों से निकाल रही है तो इस कानून को हटाने विचार क्यों नहीं किया गया?” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह राजद्रोह कानून की वैधता का परीक्षण करेगा। मामले में केंद्र को नोटिस दिया गया तथा अन्य याचिकाओं के साथ इसकी सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजद्रोह कानून संस्थाओं के कामकाज के लिए गंभीर खतरा है।