एफए बोला यूरो कप में इंग्लैंड के तीन खिलाड़ियों पर नस्लीय टिप्पणियां करने वालों को मिलेगी कठोर सजा

लंदन, मेजबान इंग्लैंड का यूरोपीय फुटबॉल चैंपियनशिप जीतने का सपना फिर टूट गया है। इटली ने एक बेहद रोमांचक पेनल्टी शूटआउट मुकाबले में 3-2 से मेजबान इंग्लैंड को हराकर दूसरी बार यह खिताब जीता है। खिताबी टीमों के 120 मिनट के खेल में मुकाबला 1-1 से बराबर रहा, जिसके बाद विजेता का फैसला करने के लिए पेनल्टी शूटआउट में हुआ, जहां इटली ने बाजी मार ली। इस प्रकार पेनल्टी शूटआउट में मेजबान इंग्लैंड को हराकर इटली 53 साल के बाद यूरोपीय फुटबॉल चैंपियन बना है। इटली ने 1968 में अपना पहला यूरो खिताब जीता था।फाइनल में इटली के खिलाफ पेनल्टी शूटआउट में नाकाम रहे इंग्लैंड के तीनों अश्वेत खिलाड़ी प्रशंसकों के निशाने पर आ गये। इन तीनों के ही खिलाफ सोशल मीडिया पर नस्लीय टिप्पणियां की गयी है। जिसकी इंग्लैंड फुटबॉल संघ (एफए) ने कड़ी आलोचना की है। एफए ने बयान में कहा कि वह तीनों खिलाड़ियों के साथ किये जा रहे व्यवहार से स्तब्ध है। एफए ने बयान में कहा, ‘हम प्रभावित खिलाड़ियों का पुरजोर समर्थन करते रहेंगे और (नस्लभेदी टिप्पणियां करने के लिए) जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा देने की अपील करेंगे।’
नस्लीय टिप्पणियों की शिकायत के बाद पुलिस ने जांच शुरु कर दी है। इंग्लैंड की टीम के सबसे युवा खिलाड़ियों में से एक 19 वर्षीय बुकायो साका के पेनल्टी पर गोल नहीं कर पाने से इटली को खिताब मिल गया। वहीं इंग्लैंड साल 1966 विश्व कप के बाद कोई बड़ा टूर्नामेंट जीतने में एक बार फिर विपफल रहा। यह लगातार तीसरा अवसर है जबकि इंग्लैंड को पेनल्टी शूटआउट में असफलता मिली है। इससे पहले मार्कस रशफोर्ड और जादोन सांचो भी पेनल्टी पर गोल नहीं कर पाये थे।

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