पंजाब में सिद्धू रह सकते हैं खाली हाथ,कप्तान के पेंच से अध्यक्ष बनने पर भी संशय

चंडीगढ़, पंजाब में सियासी उथल-पुथल के बीच खाली हाथ रहे नवजोत सिंह सिद्धू के अध्यक्ष बनने पर भी संशय है। जो नया फार्मूला सामने आया है उसके मुताबिक कैप्टन अमरिंदर सिंह ही सरकार के मुखिया रहेंगे और अगले चुनाव का नेतृत्व भी करेंगे। कैप्टन सोनिया गांधी को यह समझाने में कामयाब रहे हैं कि पंजाब में किसी को उप मुख्यमंत्री बनाने की जरूरत नहीं वजह उन्होंने बताई कि चुनाव में 7-8 महीने ही बचे हैं और अभी किसी को उप मुख्यमंत्री बनाया तो गलत संदेश जाएगा और एक और पावर सेंटर खड़ा करने का अब कोई मतलब नहीं है।
पंजाब में नए प्रदेश अध्यक्ष पर नवजोत सिंह सिद्धू गुट आस लगाए बैठा था किंतु कैप्टन ने सोनिया गांधी को समझाया कि एक सिख के मुख्यमंत्री पद पर बने रहते हम किसी दूसरे सिख को प्रदेश अध्यक्ष नहीं बना सकते इससे हिंदुओं में गलत संदेश जाएगा। पंजाब में करीब 40 फीसदी हिंदु है और गुरदासपुर, जालंधर, होशियारपुर और लुधियाना जैसे जिलों में हिंदुओं की संख्या सिखों से ज्यादा है। यही नहीं कैप्टन ने हिंदु विधायकों को खाने पर बुला कर एक संदेश देने की कोशिश की कि हिंदुओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अब जब यह तय हो गया कि प्रदेश अध्यक्ष हिंदु होगा तो नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब चुनाव के संचालन समिति का अध्यक्ष बनाने की बात चल रही है। यानि सीटों के बंटवारे में अब थोड़ी सिद्धू की भी चलेगी और कुछ टिकट वो अपने सर्मथकों के लिए ले सकेंगे।
कैप्टन पर यह दबाब बनाया गया है कि बचे हुए महीनों में वो अपने पिछले वायदों को पूरा करें जिसमें सबसे बड़ा वायदा है 2015 में गुरू ग्रंथ साहिब के साथ छेड़छाड़ करने वालों को सजा दिलवाना। 2015 में फरीदकोट में गुरू ग्रंथ साहिब के पन्नों के साथ खिलवाड किया गया था। सिखों ने प्रर्दशन किया जिसमें दो सिख मारे गए फिर गुरू ग्रंथ साहिब से छेडछाड की ये घटना फिरोजपुर और मोंगा में भी हुई। तब अकाली दल की सरकार थी। कैप्टन ने विरोधी दल के नेता के तौर पर इस मुद्दे को खूब भुनाया लिहाजा अकाली हार गए और 117 की विधान सभा में कांग्रेस को 77 सीटें मिली जो अभी तक के लिहाज से सर्वश्रेष्ठ पर्दशन था। मगर दो न्यायिक आयोग, 3 पुलिस कमीशन जांच और यहां तक की सीबीआई जांच के बाद कुछ ठोस हो नहीं पाया है।
पंजाब में बिजली का संकट और नशे का व्यापार ये मुद्दे हैं जहां कैप्टन पिछड़ते आ रहे हैं। अब कैप्टन पर विधायक दबाब बना रहे हैं कि बचे महीनों में कुछ किजिए वरना हम वोट मांगने नहीं जा पाएंगे खासकर गावों में। इन्हीं मुद्दों को सिद्धू हवा दे रहे है। दूसरी ओर प्रशांत किशोर की पंजाब में इंट्री हो चुकी है जिस पर भी कई कांग्रेसी नेताओं को आपत्ति है। वो पहले से ही कैप्टन पर नौकरशाही को बेलगाम छोड़ने का आरोप लगा रहे हैं। फिलहाल कांग्रेस आलाकमान ने सुलह तो करवा दी है मगर लगता है कि कैप्टन और सिद्धू का झगड़ा चलता ही रहेगा।

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