EOW का पीडब्ल्यूडी के प्रभारी एसडीओ के निवास पर छापा,करोड़ों की मिली बेनामी संपत्ति

भोपाल, ग्वालियर में लोक निर्माण विभाग में एसडीओ रवींद्र सिंह कुशवाह के घर ईओडब्ल्यू पुलिस ने छापामारी की है। एसडीओ का घर ही चार करोड़ का है, जबकि ग्वालियर-भोपाल में 3 फ्लैट, प्लॉट और दुकानें भी उसने खरीदा है। ग्वालियर के डबरा क्षेत्र में 75 बीघा जमीन तक के कागज मिले हैं। छापामारी के दौरान ईओडब्ल्यू अफसरों ने यह संपत्ति जुटाने का सोर्स पूछा। इस पर एसडीओ बगले झांकता रहा। लोक निर्माण विभाग के इंचार्ज एसडीओ के घर बेहिसाब संपत्ति ईओडब्ल्यू को मिली। यह संपत्ति को बनाने के लिए एसडीओ रविंद्र सिंह कुशवाह ने पैसा, पावर और पॉल्टिक्स का उपयोग किया। इस की दम पर विभाग में गहरी पैठ बनाई थी। अफसरों पर दबाव बनाने के लिए कर्मचारी एसोसिएशन में सक्रिय रहता था।
पीडब्ल्यूडी एसडीओ ग्वालियर की पॉश टाउनशिप में रहता है। सुबह करीब साढ़े नौ बजे ईओडब्ल्यू अफसर, दल-बल के साथ रविंद्र सिंह कुशवाह के घर पहुंचे। यहां ईओडब्ल्यू अफसरों ने कार्रवाई शुरू की, जिस पर एसडीओ कुशवाह से ईओडब्लू अफसरों ने 3 लाख 70 हजार की नकदी जब्त की। इसके अलावा 5 किलो चांदी और 250 ग्राम सोना मिला है। ईओडब्ल्यू अफसरों के मुताबिक, जिस मकान में पीडब्ल्यूडी का एसडीओ कुशवाह रहता है, उसकी कीमत 4 करोड़ है। इस मकान को खरीदने के बाद इसे अपनी सुविधा के अनुसार आलीशान बनवाया है। इसके अलावा डबरा क्षेत्र के समुदन, बिलौआ और बड़ी अकबई में 75 बीघा से अधिक की खेती की जमीन खरीदी है। इसके अलावा एसडीओ ने ग्वालियर में पीएचई कॉलोनी में प्लॉट खरीदा है। बसंत कुंज में दो फ्लैट बुक कराए। गुड़ागुडी के नाका पर प्लॉट है। डबरा के बालाजी कॉम्प्लेक्स में दुकानें भी खरीदी हैं। इसके अलावा भोपाल में फ्लैट खरीदे हैं।
मकान को दोबारा तोड़कर बनाया
प्रभारी एसडीओ के यहां छापे में अन्य कई जानकारियां भी सामने आई हैं। सूत्रों की माने तो डीबी सिटी में बने मकान तो हाल ही में तोड़कर दोबारा लग्जरी सुविधायुक्त बनवाया था। बिलौआ में पचास बीघा जमीन पहले खरीदी और फिर उसे बेचा भी गया है। लोक निर्माण विभाग के सूत्रों के मुताबिक लंबे समय से विभाग के प्रभारी कार्यपालन यंत्री आरके गुप्ता और इंजार्च एसडीओ रविंद्र सिंह कुशवाह की मिलीभगत से विभाग का संचालन हो रहा है। दोनों ही अफसर एक है। बीते दिनों बंगला सेक्शन के एक सब इंजीनियर से 40 फीसदी हिस्सा लेने का विवाद विभाग में गहराया था। पीडब्ल्यूडी के वरिष्ठ अफसर इस बात बंगला सेक्शन में चालीस फीसदी हिस्सा लेने के बाद ठेकेदारों का काम स्वीकृत करने की बात कह रहे थे। इस बात से खफा होकर सब इंजीनियर ने अपना इस्तीफा भी थमा दिया था। इसके बाद विभाग के चीफ इंजीनियर तक यह मामला पहुंचा और चीफ इंजीनियर के समक्ष सब इंजीनियर शिवराज पाठक ने पूरे मामले को रखा है।

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