गैस और दूध की कीमतों में वृद्धि से महंगाई का ग्राफ जुलाई में शीर्ष पर होगा

 

नई दिल्ली, देश में महंगाई का ग्राफ जुलाई में शीर्ष पर होगा। तेल कंपनियों द्वारा 1 जुलाई से घरेलू रसोई गैस की कीमत में 25 रुपए के वृद्धि किए जाने के साथ ही देश की सबसे बड़ी मिल्क को-आपरेटिव अमूल और पंजाब की सरकारी मिल्क को-आप्रेटिव वेरका ने दूध की कीमतों में दो रुपए प्रति किलो की वृद्धि कर दी है। मतलब साफ है कि जुलाई के पहले दो दिन में ही आम लोगों को महंगाई के दो बड़े झटके लग गए हैं। अमूल और वेरका द्वारा दूध की कीमतें बढ़ाने के बाद अब सामान्य मिल्क की आपूर्ति करने वाले भी दूध की कीमतें बढ़ाएंगे और इसके साथ ही दूध से बनाए जाने वाले अन्य उत्पादों मखन्न, दही, पनीर और देसी घी की कीमतें भी बढ़ेंगी। पेट्रोल और डीजल की रोजाना बढ़ रही कीमतों से आम लोग पहले से ही परेशान थे और अब पेट्रोल-डीजल की महंगाई का सीधा असर रसोई पर पड़ने लगा है जिस से आम लोगों का बजट बिगड़ना तय है।
पिछले एक साल में सबसे ज्यादा महंगाई खाद्य तेलों में देखने को मिली है और सरसों के तेल से लेकर सूरजमुखी, मूंगफली और वनस्पति का तेल काफी महंगा हो गया है। सबसे ज्यादा तेजी सूरजमुखी के तेल में आई है और इसकी रिटेल कीमत 128 रुपए प्रति पैकेट से बढ़कर 193 रुपए हो गई है। हालांकि केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों की महंगाई को कम करने के लिए पिछले दिनों इसके आयात पर लगाए जाने वाले शुल्क को कम किया है। सरकार ने पालम आयल पर लगने वाली इम्पोर्ट ड्यूटी को 15 प्रतिशत से कम कर के 10 प्रतिशत कर दिया था ताकि पालम आयल का आयात सस्ता होने से घरेलू बाजार में खाद्य तेल सस्ते हो सकें लेकिन सरकार के इस कदम के बाद अगले ही दिन अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पालम आयल की कीमतों में तेजी आ गई और मलेशिया में पालम आयल की कीमतें करीब डेढ़ प्रतिशत तेज हो गईं लिहाजा अब सरकार द्वारा इम्पोर्ट ड्यूटी के जरिए दी गई राहत का असर लगभग समाप्त हो गया है और रिटेल उपभोक्ताओं का अब इसका लाभ नहीं मिल पाएगा।

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