जबलपुर, एक तरफ सिटी अस्पताल में नकली रेमडिसिविर मामले में जांच जारी है, दूसरी तरफ शासकीय अस्पताल को रेमडिसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी मामले में नये नये खुलासे हो रहे हैं. सूत्रों की माने एसटीएफ के हाथ चौंकाने वाले साक्ष्य लगे हैं। जिसके आधार पर यह पाया गया कि विक्टोरिया जिला अस्पताल से कोरबा (छत्तीसगढ़) तक मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन दिए गए थे। जब एसटीएफ ने पड़ताल की तो संबंधित युवक ने बताया कि वह कभी जिंदगी में जबलपुर नहीं आया है। वह पूरी तरह से स्वस्थ है और कभी रेमडेसिविर इंजेक्शन की उसे जरूरत ही नहीं पड़ी। गौरतलब है कि विक्टोरिया अस्पताल के स्टोर रूम से सारे इंजेक्शन मेडिकल कॉलेज की डिमांड पर्ची और आधार कार्ड की फोटो प्रति के आधार पर एक ही व्यक्ति ने निकाले। बावजूद स्टोर रूम और रेमडेसिविर इंजेक्शन के आवंटन से जुड़े लोगों ने क्रॉस चेक करना जरूरी नहीं समझा। एसटीएफ अप्रैल में आवंटित किए गए रेमडेसिविर इंजेक्शन के संबंध में दस्तावेजों की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ा रही है, कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं।
ऐसे गायब होता था इंजेक्शन
विक्टोरिया स्टोर रूम से गायब इंजेक्शन मामले में हिरासत में लिये गये, आनंद पटेल व राहुल सेन ने बताया कि उन्हें मेडिकल में कार्यरत और पूर्व में गिरफ्तार हो चुके राहुल विश्वकर्मा डिमांड पर्ची उपलब्ध कराता था। इसी डिमांड पर्ची और आधार कार्ड के माध्यम से वह स्टोर से इंजेक्शन निकलवा कर उसे देता था। इसके एवज में आनंद पटेल को ३ हजार रुपए मिलते थे। ऐसी ही सात पर्ची उसके घर से जब्त भी हुए हैं। राहुल विश्वकर्मा ओपीडी से डॉक्टर की सील लगी पर्ची चुरा लेता था। फिर उसमें रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड दर्शा कर डॉक्टर का फर्जी हस्ताक्षर कर देता था। उसने मेडिकल में भर्ती दूसरे मरीजों और अपने परिचितों सहित कई लोगों के आधार कार्ड लगाकर इंजेक्शन निकलवाए हैं। इसके बाद यह इंजेक्शन ५० हजार रुपए तक में जरूरतमंदों को बेचे गए।
क्या है मामला
२० अप्रैल को एसटीएफ ने मेडिकल कॉलेज में ओपीडी पर्ची बनाने वाले गंगानगर गढ़ा निवासी कम्प्यूटर ऑपरेटर राहुल विश्वकर्मा व सुधीर सोनी, दीक्षितपुरा निवासी एवं संस्कारधानी हॉस्पिटल में कार्यरत राकेश मालवीय, दीक्षितपुरा निवासी एवं आशीष हॉस्पिटल में कार्यरत डॉक्टर नीरज साहू और लाईफ मेडीसिटी हॉस्पिटल में कार्यरत डॉक्टर जितेंद्र सिंह ठाकुर को गिरफ्तार किया था। आरोपियों के पास से ४ रेमडेसिविर इंजेक्शन, ६ मोबाइल, १० हजार ४०० रुपए नकदी, कार एमपी २० सीके ०८३० को जब्त किया था। निजी अस्पतालों में कार्यरत नीरज साहू व जितेंद्र ठाकुर मरीजों के लिए आने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन चुराकर २५ हजार रुपए में बेचते थे। इसमें सभी का हिस्सा तय था। दो जून को बैंक ट्रांजेक्शन के आधार पर एसटीएफ ने नागपुर में कार्यरत महिला डॉक्टर संगीता पटेल को दबोचा। उसने तीन इंजेक्शन ५४ हजार रुपए में नीरज साहू को बेचे थे।
हर दिन नये खुलासे
इसी दौरान नीरज साहू की फर्जी डिग्री का पता चला। एसटीएफ ने इस मामले में दूसरी एफआईआर दर्ज की। इस मामले में नीरज ने बताया उसने ओमती पुलिस द्वारा गिरफ्तार इनफिनिटी हार्ट इंस्टीट्यूट के नरेंद्र ठाकुर से फर्जी डिग्री बनवाए थे।रिमांड में लिया तो विक्टोरिया व मेडिकल कॉलेज के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ एसटीएफ ने नीरज साहू और नरेंद्र ठाकुर को रिमांड पर लिया। पूछताछ में नरेंद्र ठाकुर ने दमोह निवासी रवि से पांच-पांच हजार रुपए में बीएएमएस की डिग्री बनाने की बात स्वीकार की। इस पर रवि को टीम ने दबोच लिया। इसी पूछताछ में पता चला कि उनके रैकेट में विक्टोरिया अस्पताल की महिला डॉक्टर के ड्राइवर गोरखपुर हाऊबाग निवासी आनंद पटेल और संजीवनी नगर निवासी राहुल सेन के माध्यम से ८ रेमडेसिविर इंजेक्शन मिला था। एसटीएफ ने दोनों को दबोचा तो नई कहानी सामने आई।