मुस्लिमों की गरीबी और अशिक्षा 2 बच्चों की नीति से ही होगी दूर

 

गुवाहाटी, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि उनके राज्य के मुस्लिम अल्पसंख्यकों में गरीबी और निरक्षरता को मिटाने का एकमात्र तरीका दो बच्चों की नीति है। उन्होंने कहा कि समुदाय में काम कर रहे संगठनों ने इस तरह की नीति समेत उनके प्रस्ताव का स्वागत किया है। सरमा ने गुवाहाटी में मीडियाकर्मियों से कहा, “यह मुस्लिम लोगों का विरोध नहीं है। ऑल-असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन के दो धड़े पिछले एक महीने में मुझसे दो बार मिले और खुले तौर पर 2 बच्चे की नीति का प्रस्ताव का स्वागत करते हुए कहा कि असम के मुसलमानों को जनसंख्या नियंत्रण उपायों की जरूरत है। बिस्वा ने कहा मैं जुलाई में बहुत से मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मिल रहा हूं और मुझे यकीन है कि वे राज्य सरकार की नीतियों का समर्थन करेंगे क्योंकि यही एकमात्र तरीका है जिसके जरिए असम के मुस्लिम अल्पसंख्यकों से गरीबी और अशिक्षा को मिटाया जा सकता है। उन्होंने 4 जुलाई को मिलने के लिए 150 मुस्लिम बुद्धिजीवियों को आमंत्रित किया है। उन्होंने मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले कई सामाजिक-राजनीतिक संगठनों के साथ गहन चर्चा करने की भी योजना बनाई है। बिस्वा ने कुछ दिनों पहले घोषणा की थी कि राज्य द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं में दो बच्चों की नीति को धीरे-धीरे लागू किया जाएगा। उनकी सरकार जुलाई में राज्य विधानसभा के अगले बजट सत्र के दौरान इसे लागू करने के लिए नया कानून भी ला सकती है। आधिकारिक सूत्रों ने पहले संकेत दिया था कि कानून में केवल दो बच्चों को सरकारी नौकरियों और कल्याणकारी योजनाओं के योग्य बनाया जा सकता है। बताया जा रहा है कि यह प्रस्ताव और इसके आस-पास की बयानबाजी राज्य की बांग्लादेशी मूल की मुस्लिम आबादी को लक्षित करने के लिए है। पिछले दो विधानसभा चुनावों में भाजपा ने इस पर जोर दिया है कि उसे अवैध प्रवासियों के खिलाफ असम के स्वदेशी समुदायों की रक्षा करनी है।

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