नई दिल्ली, देश में कोरोना की दूसरी लहर धीमी पड़ती दिखाई दे रही है। वैक्सीनेशन अभियान भी तेजी से चलाया जा रहा है। वैक्सीन लगवाने के बाद कई लोगों में बेल पाल्सी यानी फेशियल पैरालिसिस के लक्षण देखे गए हैं। हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार, बेल्स पाल्सी को कोविड-19 वैक्सीन के दुर्लभ साइड इफेक्ट के तौर पर दर्ज किया गया है। यह साइड इफेक्ट उन लोगों में ज्यादा कॉमन है, जो कोरोना संक्रमण से पीड़ित हुए थे। यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स क्लीवलैंड मेडिकल सेंटर और केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों को कोरोना से बचाने के लिए वैक्सीन लगाई गई, उनकी तुलना में कोरोनो वायरस से पीड़ित लोगों में फेशियल पैरालिसिस की संभावना 7 गुना अधिक थी।
37,000 वैक्सीन लेने वालों में से 8 केस बेल पाल्सी के पाए गए हैं। जबकि प्रति 1 लाख कोविड मरीजों के लिए यह संख्या 82 दर्ज की गई है। बेल्स पाल्सी एक ऐसी स्थिति है, जो अचानक मरीज के चेहरे पर दिखने लगती है। इसमें मरीज को अचानक मांसपेशियों में कमजोरी या पैरालिसिस का अनुभव होता है। इसके कारण उनका आधा चेहरा लटक जाता है। इससे व्यक्ति को बोलने में, आंख बंद करने में दिक्कत महसूस होती है।
आमतौर पर यह एक अस्थाई स्थिति है। इसके लक्षणों में कुछ हफ्तों में सुधार आने लगता है। इसके अलावा इस बीमारी के लक्षण छह महीने में पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। बहुत ही छोटी संख्या में मरीजों को लंबे समय तक इसके कुछ लक्षण रह सकते हैं या आगे चलकर जीवन में इसके लक्षण उभर के आ सकते हैं।
हालांकि, इस स्थिति का सटीक कारण अभी ज्ञात नहीं हो पाया है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ये शरीर के इम्यून सिस्टम की अधिक प्रतिक्रिया के कारण होता है। इससे चेहर पर सूजन आ जाती है, जो चेहरे की गति को नियंत्रित करने वाली तंत्रिका को नुकसान पहुंचाती है। जॉन्स हॉपकिन्स के अनुसार बेल्स पाल्सी डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, चोट, लाइम डिजीज और कुछ संक्रमणों के कारण हो सकती है। हर साल ये स्थिति बहुत ही कम लोगों को प्रभावित करती है, जबकि यू।एस। में प्रत्येक 100,000 लोगों में 15 से 30 मामले बेल पाल्सी के दर्ज किए जाते हैं।
हालांकि, हाल ही में, इस स्थिति ने अधिक ध्यान आकर्षित किया है। क्योंकि कोविड वैक्सीन लेने वाले मरीजों में बेल्स पैरालिसिस के बहुत कम मामले सामने आए हैं। एक नए शोध के अनुसार, बेल्स पैरालिसिस, वैक्सीन लेने वाले लोगों की तुलना में कोरोनोवायरस से संक्रमित मरीजों में होने की अधिक संभावना है। कुल मिलाकर 348,000 मरीजों में से, डॉक्टरों ने कोविड मरीजों में 284 बेल्स पाल्सी के केस दर्ज किए हैं।