भोपाल, सूर्य देव ने सोमवार को सुबह 9:10 बजे उत्तरायण से दक्षिणायन की ओर गतिमान हो गए हैं। अब मंगलवार से उत्तरी गोलार्ध में दिन छोटे और रात बड़ी होने लगेंगी। 21 जून को सूर्य की किरणें लंबवत पडऩे के कारण, इस दिन व्यक्ति की छाया लगभग न के बराबर हो जाती है। 21 जून को व्यक्ति की छाया दिखाई नहीं देगी। इस साल का सबसे बड़ा दिन 21 जून को 13 घंटे 33 मिनट और 46 सेकंड का होगा। इसे ग्रीष्मकालीन संक्रांति भी कहते हैं। इसके साथ ही वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि जब सूर्य देव उत्तर की ओर गति करते हैं तो उसे उत्तरायण कहते हैं और दक्षिण दिशा की ओर गति को दक्षिणायन कहा जाता है। कालगणना के अनुसार, जब सूर्य मकर राशि से मिथुन राशि तक भ्रमण करते हैं, तब इस समय को उत्तरायण कहते हैं। इसका समय छह माह का होता है। इसके बाद जब सूर्य कर्क राशि से सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और धनु राशि में विचरण करते हैं। तब इस समय को दक्षिणायन कहते हैं। उत्तरायण और दक्षिणायन की गति 6-6 माह की होती है। सूर्य देव जब उत्तरायण में होते हैं, तब वे धरती के समीप होते हैं। सूर्य के समीप होने के कारण भीषण गर्मी होती है और इसे ग्रीष्म ऋतु कहा जाता है। वहीं जब सूर्य दक्षिणायन की ओर गति करता है, तब वह धरती से दूर हो जाता है। इस दौरान वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है। पृथ्वी सौरमंडल में अपने अक्ष पर लगभग 23 डिग्री 26 मिनट तक झुकी हुई है, जिससे दिनमान में परिवर्तन होता रहता है। इस झुकाव के कारण ही सूर्यदेव कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच दोलन करते रहते हैं, यह दोलन एक वर्ष में एक आवृति को पूरा करता है।