जबलपुर, मध्य प्रदेश आर्युविज्ञान विश्वविद्यालय में हुये परीक्षा घोटाले की आंच अब राजधानी भोपाल तक पहुंच रही है. परीक्षा घोटाले में अब तक एग्जाम कंट्रोलर डॉ वृंदा सक्सेना को मुख्य आरोपित माना जा रहा था. लेकिन मेडिकल विश्वविद्यालय केम्पस में अब चर्चा है कि भोपाल में बैठी एक महिला अधिकारी इस पूरे खेल की सूत्र संचालक है। डॉक्टर वृंदा सक्सैना केवल एक मोहरा है जिन्होंने भोपाल की उस महिला अधिकारी के आदेश का पालन किया। इसके साथ ही परीक्षा घोटाले की निष्पक्ष जांच पर भी सवाल उठ गए हैं। उल्लेखनीय है कि ऐसे विद्यार्थियों को भी पास किया गया जिन्होंने परीक्षा ही नहीं दी थी।
कुलपति को मात्र 24 घंटे में अपना आदेश वापस लेना पड़ा
कहा जा रहा है कि यह सारा घोटाला उस प्राइवेट कंपनी के साथ मिलकर किया गया जिसे निष्पक्ष परीक्षा प्रणाली के लिए ठेका दिया गया था। प्राथमिक जांच में स्पष्ट हुआ है कि एग्जाम कंट्रोलर एवं एक क्लर्वâ परीक्षा आयोजित करने वाली कंपनी के संपर्क में थे और कंपनी को निर्देशित कर रहे थे कि रिजल्ट किस प्रकार से तैयार करना है। किस विद्यार्थी को पास करना है और किस स्टूडेंट के कितने नंबर बढ़ाना है। प्राथमिक जांच में घोटाला सामने आने के बाद कुलपति ने डॉक्टर वृंदा सक्सेना को एग्जाम कंट्रोलर के पद से हटा दिया था परंतु 24 घंटे के भीतर कुलपति को अपना आदेश वापस लेना पड़ा।
रसूख के दम पर बदलवा दिया आदेश
अब चर्चा यह है कि मध्य प्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर में हुए परीक्षा घोटाले के तार भोपाल की एक महिला अधिकारी से जुड़े हुए हैं। इस पूरे खेल की सूत्रसंचालक वही महिला अधिकारी है जिसने अपने पद और पावर का उपयोग करके कुलपति को आदेश बदलने के लिए मजबूर कर दिया। इसके साथ ही इस मामले में निष्पक्ष जांच पर भी सवाल उठ गए हैं। देखना यह है कि जबलपुर में इतना हंगामा होने के बावजूद मुख्यमंत्री कार्यालय इस मामले में क्या फैसला लेता है।