मप्र के स्कूल शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को ‎दिया बच्चों को प्रवेश ‎दिलाने का लक्ष्य

भोपाल, ‎निजी स्कूलों के शिक्षकों की तर्ज पर अब सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को भी बच्चों को स्कूलों में प्रवेश ‎दिलाने का लक्ष्य दे ‎दिया गया है। शिक्षकों को वार्ड में घर-घर संपर्क कर बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलाना हैं। 30 जून तक का समय शिक्षकों को दिया गया है, ताकि वे बच्चे और अभिभावकों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित कर सकें। साथ ही शिक्षकों को मैपिंग भी करना है। मालूम हो कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 15 जून से प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। स्कूलों में बच्चे नहीं आ रहे है, लेकिन शिक्षकों को पढ़ाने की बजाय नया काम दे दिया गया है। स्कूल शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को प्रवेश प्रक्रिया में लक्ष्य पूर्ति करने के लिए लगा दिया है। मालूम हो ‎कि कोरोना महामारी के कारण प्रदेश के स्कूल एक साल से बंद हैं। इसके चलते बच्चे स्कूल जाने की कक्षा में पढ़ाई से वंचित हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग ने बच्चों की पढ़ाई को लेकर नई पहल शुरू की है। कोरोना के कारण कई प्रवासी मजदूर अपने गांव चले गए थे। फिर से काम के सिलसिले में वापस आ गए हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। ऐसे बच्चों को जोड़ने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग नई पहल किया है। ऐसे में बच्चों को स्कूल से जोड़ने के लिए शिक्षकों को जिम्मेदारी दी गई है। पहली कक्षा में नामांकन के लिए शिक्षा पोर्टल पर उपलब्ध नवप्रवेश प्रबंधन मॉड्यूल में उपलब्ध बच्चों की सूची के अनुसार उनके अभिभावकों से संपर्क कर सहमति के बाद स्कूल में नामांकन सुनिश्चित किया जाए। इस संबंध में राज्य शिक्षा केंद्र ने निर्देश जारी किए हैं। सभी शिक्षकों को निर्देशित किया गया है कि ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित ना हो, इसके लिए पहली से लेकर कक्षा आठवीं तक के लिए ग्रामीण शिक्षा पंजी तैयार किया है, जिसके तहत शिक्षक रोजाना बच्चों के घर-घर जाकर पढ़ाई करवा रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में शिक्षक बच्चों के मेंटर बनकर उनका स्कूलों में दाखिला करवाना है। प्रवेश करवाने के बाद बच्चों को पाठ्य सामग्री भी उपलब्ध कराई जाएगी। हालांकि, एडमिशन का सिलसिला 30 जून तक जारी रहेगा। इसमें एक शिक्षक को कम से कम 10 से 15 बच्चों का दाखिला करवाना है। साथ ही उनके घर स्मार्ट फोन है या नहीं और टीवी उपलब्ध है कि नहीं, इस संबंध में जानकारी भरवाई जाएगी। कोरोना संक्रमण के चलते इस बार शिक्षा सत्र डेढ़ माह की देरी से शुरू हुआ है। सामान्य स्थिति में शैक्षणिक सत्र एक अप्रैल से शुरू होना था, लेकिन इस बार 15 जून से शुरू हो सका है। नए शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए नौवीं से 12वीं के एडमिशन शुरू हो चुके हैं। कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक के बच्चों को घर-घर जाकर पाठ्य सामग्री और पढ़ाई को लेकर शिक्षकों की घर की ड्यूटी लगाई गई है। साथ ही शिक्षकों को पोर्टल पर भी ऑनलाइन अपडेट करना है। बच्चों की पढ़ाई एक जुलाई से पहली से आठवीं कक्षा का रेडियो के माध्यम से और नौवीं से बारहवीं के बच्चों का टीवी के माध्यम से ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की जाएगी। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना का कहना है ‎कि शिक्षक रोजाना पहली से आठवीं तक के पांच-पांच बच्चों की कक्षाएं ले रहे हैं। यह कक्षा 30 मिनट से 2 घंटे तक की होती है। उन्होंने बताया कि बच्चों की पढ़ाई 15 जून से शुरू हो चुकी है।

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