जबलपुर, बिजली दर बढ़ाने के साथ बिजली के दाम ६.२५ तक बढ़ाने का रास्ता खुल गया है, जबलपुर हाईकोर्ट ने वित्तीय वर्ष २०२१-२२ में बिजली की दरें तय करने पर लगाई गई रोक हटा दी है, इसके अलावा हाईकोर्ट ने उस याचिका को भी खारिज कर दिया है, जिसपर सुनवाई के बाद बिजली की दरें तय करने पर रोक लगाई गई थी.
बताया जाता है कि प्रदेश की तीनों विद्युत कंपनियों ने जनवरी में नियामक आयोग में बिजली के रेट में ६.२५ प्रतिशत वृद्धि की याचिका दायर की थी, जिसपर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी, १५ जून को हाईकोर्ट ने इसपर रोक हटा दी है, अब मध्यप्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग वित्तीय वर्ष २०२१-२२२ के लिए टैरिफ आर्डर जारी करने के लिए स्वतंत्र है. मप्र पावर मैनेजमेंट की ओर से राज्य विद्युत नियामक आयोग में ६.२५ प्रतिशत दर बढ़ाने की टैरिफ याचिका लगाई है. कंपनी ने इसके पीछे ४४ हजार ८१४ करोड़ रुपए की वार्षिक राजस्व की जरूरत बताते हुए करीब ३००० करोड़ रुपए की कमी होना बताया है. पूर्व में जनवरी से मार्च तक ३ महीने के लिए दरें १.९८प्रतिशत पहले ही बढ़ाई जा चुकी है. फिलहाल १०० एवं १५० यूनिट की खपत वालों को इंदिरा गृह ज्योति योजना के तहत सब्सिडी मिल रही है. इसे जारी रखने का निर्णय राज्य सरकार को करना है. टीकमगढ़ के अधिवक्ता निर्मल लोहिया ने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इसमें कहा गया था कि राज्य विद्युत नियामक आयोग ने बिजली के दाम बढ़ाने के खिलाफ याचिकाकर्ता की आपत्ति पर सुनवाई नहीं की. १६ मार्च २०२१ को जबलपुर हाईकोर्ट ने अपना अंतरिम आदेश सुनाते हुए विद्युत नियामक आयोग को साल २०२१.२२ का टैरिफ आदेश सुनाने पर रोक लगा दी थी. हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए अपना फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने कहा नैसर्गिक न्याय का मतलब व्यक्तिगत सुनवाई नहीं है. याचिकाकर्ता चाहें तो अपीलीय अधिकरण के सामने अपील कर सकते हैं और राज्य विद्युत नियामक आयोग को समय सीमा में टैरिफ याचिका पर अपना आदेश सुनाना चाहिए.
राज्य सरकार की ओर महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव, आदित्य खांडेकर ने पक्ष रखा वहीं याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राहुल रावत ने पैरवी की।