पश्चिम बंगाल में ममता से मुकाबले के लिए स्मृति ईरानी को सौंपी जा सकती है पार्टी की कमान

कोलकाता, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा के तेवर नरम पड़ जाएंगे, इसकी संभावना नहीं है। भाजपा प। बंगाल में आक्रामक ढंग से ममता बनर्जी और उनके नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस का सामना करने के लिए नई योजना तैयार कर रही है। इस बार पार्टी कई बड़े बदलाव करने वाली है। सूत्रों के अनुसार भाजपा के मिशन बंगाल की कमान इस बार केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के हाथों में सोंपी जाएगी।
भाजपा भले ही इस चुनाव में ममता बनर्जी का किला नहीं भेद पाई हो, लेकिन उसने राज्य में अपनी सम्मानजनक जगह तो बना ही ली है। भाजपा नई रणनीति के साथ एक बार फिर से बंगाल के लोगों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश करेगी। यही कारण है कि तृणमूल से आए नेताओं की वापसी का सिलसिला शुरू होने के बाद भी भाजपा चिंतित नजर नहीं आ रही है।
सूत्रों ने बताया कि भाजपा बंगाल की लड़ाई को अब महिला बनाम महिला बनाने की कोशिश करेगी। भाजपा उसी रणनीति के तहत आगे बढ़ना चाहती है जो रणनीति सोनिया गांधी के खिलाफ सुषमा स्वराज को उतारकर अपनाई गई थी। भाजपा का मानना है कि स्मृति ईरानी को आगे करके वह राज्य के महिला वोटर को साधने की कोशिश कर सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन के पीछे महिला मतदाताओं का हाथ बताया जा रहा है।
पार्टी को यह भी लगता है कि ममता बनर्जी को लेकर जिस तरह से आक्रामक प्रचार हुआ उससे कहीं न कहीं पार्टी को नुकसान का सामना करना पड़ा। कई बार तृणमूल कांग्रेस ने पार्टी की ओर से लगाए गए आरोपों को महिला विरोधी करार दिया। ऐसे में स्मृति ईरानी काट के तौर पर वहां पेश की जा सकती हैं। प्रधानमंत्री मोदी के बयान ‘दीदी ओ दीदी’ को भी महिला विरोधी बताया गया। ऐसे में वहां स्मृति ईरानी की जरूरत महसूस होने लगी है।
भाजपा में सुषमा स्वराज के निधन के बाद फिलहाल कोई वैसी कद्दावर महिला नेता नहीं बची है, जो ममता बनर्जी की चुनौती का सामना कर सके। स्मृति ईरानी की एक अलग राजनीतिक साख है। स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को पटखनी देकर यह तो बता ही दिया है कि वह राजनीतिक तौर पर बहुत मजबूत हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार कैलाश विजयवर्गीय की ही तरह स्मृति ईरानी का भी बंगाल प्रभार का कार्यकाल लंबा रहेगा। स्मृति ईरानी को बंगाल प्रभार देने का एक वजह यह भी है कि वह अच्छी बंगला बोल लेती हैं।
स्मृति ईरानी का राजनीतिक कद भी ऊंचा है। वह महिला वर्ग को आसानी से अपने साथ जोड़ पाएंगी। चुनाव के दौरान स्मृति ईरानी ने प्रचार जरूर किया था, लेकिन अमित शाह और जेपी नड्डा की तुलना में उनसे कम प्रचार कराया गया। माना जा रहा है कि स्मृति ईरानी को अगले विधानसभा चुनाव तक प्रभारी बनाए रखा जा सकता है। इस दौरान स्मृति ईरानी हर माह बंगाल का दौरा करके अधिक से अधिक महिलाओं को अपने पक्ष में लाने का प्रयास करेंगी।

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