नई दिल्ली, कांग्रेस ने उत्तरप्रदेश, गुजरात और मध्यप्रदेश में कोविड से मौत के आंकड़े छिपाए जाने का आरोप लगाते हुए शनिवार को कहा कि इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों योगी आदित्यनाथ, विजय रुपाणी और शिवराज सिंह चौहान को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए। मुख्य विपक्षी पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से यह आग्रह भी किया कि देश में कोविड से हुई मौतों का सही आंकड़ा पता करने और आंकड़े छिपाने वालों की जवाबदेही तय करने के लिए न्यायिक जांच कराई जाए।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मप्र में कोविड से मौत के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस पर जवाब देना चाहिए। उन्होंने ट्वीट किया कि 1,70,000 मौत- अकेले मई माह में- सिर्फ मप्र में! जो न सोचा, न सुना, वो सत्य सामने है। मप्र में अकेले मई माह में 6 महीने के बराबर मौतें हो गईं। इंसान की जान सबसे सस्ती कैसे हो गई? क्यों आत्मा मर गई? कैसे शासन पर बैठे हैं शिवराज? प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री सामने आएं, बताएं कि कौन जिम्मेदार?
एनडीए का मतलब ही नो डेटा अवेलेबल
पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि एनडीए का मतलब ही नो डेटा अवेलेबल (कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं) है। अर्थव्यवस्था और नौकरियों के आंकड़े छिपाए जा रहे हैं। अब लोगों की जान जाने के आंकड़े छिपाए जा रहे हैं, जो बहुत ही दुखद है। नए भारत में अब मरने वालों का सही आंकड़ा भी नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मई महीने में मध्यप्रदेश में 1.7 लाख लोगों की मौत हुई जबकि सरकारी आंकड़े में सिर्फ 2,451 लोगों की मौत कोविड से होने की बात की गई है। सच्चाई यह है कि आंकड़ा छिपाया गया है। गुजरात और उत्तरप्रदेश में भी आंकड़े छिपाए गए हैं। इन दोनों राज्यों के बारे में भी ऐसी खबरें आ चुकी हैं।
मौत का आंकड़ा छिपाने की होड़
खेड़ा ने दावा किया कि ऐसा लगता है कि भाजपा शासित राज्यों में कोविड से मरने वालों का आंकड़ा छिपाने की होड़ लगी हुई है। उन्होंने कहा कि क्या आंकड़े छिपाने वाले इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को कुर्सी पर बने रहने का नैतिक अधिकार है? मुख्यमंत्रियों की जिम्मेदारी बनती है। इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा कि हम प्रधानमंत्री से मांग करते हैं कि पूरे देश में कोविड से मरने वालों की संख्या का पता करने के लिए न्यायिक जांच कराई जाए। सही आंकड़े सामने आना चाहिए और आंकड़े छिपाने वालों की जवाबदेही तय होनी चाहिए।