सिंधिया के बाद जितिन भी हुए भाजपाई, पायलट को रोकना अब कांग्रेस के लिए चुनौती

नई दिल्ली, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की टीम का एक के बाद एक विकेट गिरता जा रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद अब जितिन प्रसाद ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है। राहुल गांधी के करीबी सचिन पायलट उनसे किए गए वादे 10 महीने बाद भी पूरे नहीं होने पर नाराज हैं, जिनके समर्थन में पार्टी महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह भी आ गए हैं। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान पर दबाव बढ़ गया है। जितिन की खबर आने के बाद सचिन पायलट ट्विटर पर भी टॉप ट्रेंड में बने हुए हैं। देखना ये है कि सचिन पायलट को पार्टी अपने साथ कैसे साधकर रखती है?
जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होते ही सचिन पायलट गुट के विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने कहा कि कांग्रेस में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं हो रही है। सचिन पायलट के साथ जो वादे किए गए थे, उन्हें आज तक पूरा नहीं किया गया। सुलह के लिए जो कमेटी बनाई गई थी, उस कमेटी ने कोई बैठक नहीं की। हम लोग प्रियंका गांधी से दिल्ली में मिले थे, तब बात हुई थी कि हमारी सुनवाई होगी, लेकिन अभी तक हमें बुलाया नहीं गया। हम खुद दो बार दिल्ली जाकर अपना दर्द बताकर आए हैं, लेकिन कोई सुन नहीं रहा।
पायलट समर्थक बगावत पर
बता दें कि पिछले साल अगस्त में सचिन पायलट के नेतृत्व में राजस्थान के कई कांग्रेस विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत का झंडा उठा लिया था। उस वक्त दोनों गुटों के नेताओं ने कई दिन तक होटल में अपने समर्थक विधायकों को बंद रखा था। इसके चलते सीएम गहलोत ने पायलट को डिप्टी सीएम पद से और उनके दो समर्थकों विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था। गहलोत सरकार को अस्थिर देखकर भाजपा भी सक्रिय हो गई थी, लेकिन हाईकमान के दखल के बाद पायलट मान गए थे। पायलट-गहलोत के बीच वर्चस्व की जंग खत्म करने के लिए एक सुलह कमेटी बनी, लेकिन अभी तक न तो पायलट के जिन सहयोगियों को मंत्री पद से हटाया गया उन्हें सरकार में वापस लिया गया और न ही सुलह कमेटी के सामने रखी गई मांगों पर कार्रवाई हुई। ऐसे में पायलट और उनके सहयोगियों के सब्र का बांध टूट रहा है। राजस्थान की राजनीति में अब 10 महीने बाद फिर से बगावत के सुर तेज हो रहे हैं।

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