यूपी में एंटीबॉडी मोनोक्लोनल का पहली बार हुआ उपयोग 45 साल डॉक्टर ने लगवाया इंजेक्शन

मेरठ,उत्तर प्रदेश के मेरठ में संभवत: पहली बार किसी मरीज़ को एंटीबॉडी मोनोकोनल इंजेक्शन लगाया गया है। यहां एक निजी अस्पताल में मरीज ने 1 लाख 20 हजार कीमत का यह इंजेक्शन लगवाया है। अस्पताल के डायरेक्टर डॉक्टर संदीप गर्ग का कहना है कि विदेशों में इस दवा का प्रयोग होता आया है, लेकिन भारत में अभी इसका प्रयोग ज्यादा नहीं है। उन्होंने बताया कि इससे पहले मुम्बई में 6 कोरोना मरीजों को यह इंजेक्शन लगाया गया था। उन्होंने बताया कि 45 साल के एक कोरोना मरीज को यह इंजेक्शन लगाया गया है। संक्रमित होने के तीन चार दिन के भीतर ही यह इंजेक्शन लगवाना होता है। उनके मुताबिक यूपी में संभवत: पहली बार किसी को यह इंजेक्शन लगाया गया है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लगने के बाद एंटीबाडी काकटेल संभवतः पहली बार उत्तर प्रदेश में इस्तेमाल की गई है। मेरठ निवासी 35 वर्षीय कोरोना संक्रमित एक चिकित्सक ने मोनोकोनल एंटीबाडी काकटेल का इंजेक्शन लगवाया है। इंजेक्शन लगाने वाले न्यूटिमा अस्पताल के चिकित्सक ने बताया कि उक्त पेशेंट के भाई का कुछ दिन पहले निधन हुआ है। ऐसे में जब इन्हें संक्रमण हुआ तो इन्होंने यह डोज लिया है। इसकी कीमत एक लाख बीस हज़ार रुपए है। डॉक्टर ने बताया कि इंजेक्शन लगवाने के बाद दो घंटे के बाद मरीज घर चला गया। डॉक्टर ने कहा कि मोनोकोनल लेने वाले मरीज़ अपना नाम सार्वजनिक नहीं करना चाहते। डॉक्टर गर्ग ने कहा कि बनी बनाई एंटीबॉडी बाहर से दी जाती है ताकि वायरस को नष्ट किया जा सके। डॉक्टर गर्ग ने कहा कि ये दवा अब उपलब्ध हो गई है। और इंडिया ने इसे लॉंच कर दिया है।

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