नई दिल्ली, केंद्र सरकार और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के बीच जारी घमासान के बीच ट्विटर ने भारत के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के निजी ट्विटर हैंडल से वैरिफाइड ब्लू टिक पहले वापस ले लिया फिर उसे लौटा भी दिया है। उपराष्ट्रपति के कार्यालय ने ये जानकारी दी है। इसको लेकर ट्विटर पर लोग जमकर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। हालांकि कई लोगों का मानना है कि अकाउंट एक्टिव नहीं था इस कारण हो सकता है उसे अनवेरिफाइड कर दिया गया होगा। बता दें कि भारत सरकार की नई गाइडलाइन को लेकर ट्विटर और सरकार के बीच हालिया दिनों में विवाद बढ़ा है। नई गाइडलाइन को अभी तक ट्विटर ने अपनी रजामंदी नहीं दी है। वहीं, कुछ दिन पहले ही कंटेंट फिल्टरिंग को लेकर दिल्ली पुलिस ने ट्विटर इंडिया के दिल्ली और गुरुग्राम के दफ्तर पर छापेमारी की थी। हाल ही में खबर आई थी कि माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने एक बार फिर वेरिफिकेशन प्रोसेस शुरू कर दिया है, जिसके जरिए अब यूजर्स फिर से ब्लू टिक के लिए अप्लाई कर पाएंगे। ट्विटर ने इस प्रक्रिया को पिछले तीन साल से रोका हुआ था। 2017 में इस प्रोसेस पर आम लोगों के लिए उस समय रोक लगा दी गई थी, जब ट्विटर के वेरिफिकेशन प्रोगाम को भ्रमित बताते हुए इसकी आलोचना होने लगी थी। आने वाले हफ्तों में अब यह फिर से शुरू होने जा रहा है। इधर,अब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का अकाउंट भी अनवेरिफाई कर दिया गया है। हालांकि, उपराष्ट्रपति नायडू का अकाउंट दो घंटे बाद दोबारा वेरिफाई कर दिया गया था। लेकिन संघ प्रमुख सहित आरएसएस के कई नेताओं के अकाउंट से ब्लू टिक हटा दिया गया है।
सुबह जब वेंकैया नायडू के अकाउंट वेरिफिकेशन को लेकर विवाद हुआ था,तब ट्विटर की ओर से सफाई में कहा गया था कि अकाउंट में लॉग इन हुए 6 महीने से ज्यादा वक्त बीत गया था, इसकारण ब्लू टिक हट गया था। मोहन भागवत के अकाउंट से भी ब्लू टिक हटने के पीछे यही वजह हो सकती है। मोहन भागवत का ट्विटर अकाउंट मई 2019 में बना था, लेकिन अभी उनके ट्विटर पर एक भी ट्वीट नहीं दिखा रहा है।
भागवत से पहले आरएसएस के कई बड़े नेताओं के अकाउंट को भी ट्विटर ने अनवेरिफाई कर दिया था। इनमें सुरेश सोनी, सुरेश जोशी और अरुण कुमार जैसे नेता शामिल हैं। ट्विटर के नियम कहते हैं,कि पिछले 6 महीने में लॉग इन करना जरूरी है, तभी सक्रिय अकाउंट माना जाएगा। हालांकि, इसके लिए जरूरी नहीं है कि आप ट्वीट, रिट्वीट, लाइन, फॉलो, अनफॉलो करें।